आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शनिवार, जुलाई 30, 2011

ममा का जन्मदिन आया...

आज 30 जुलाई को ममा का जन्म-दिन है. आज तो पार्टी वाला मस्ती भरा दिन है. मेरी भी छुट्टी और पापा की भी. आज तो खूब धमाल करेंगें. तन्वी तो पहली बार ममा के बर्थ-डे पर है. फिर हम तो चले आज ममा का हैपी बर्थ-डे सेलिब्रेट करने. और चलते-चलते यह बाल-गीत....



प्यारा-प्यारा दिन ये आया,
ममा का जन्मदिन लाया।
ढेर सारी केक-मिठाई,
और खूब चाकलेट लाया।




ममा ने काटा बर्थ-डे केक,
फूँक मार मोमबत्ती बुझाई।
सबने गाया हैप्पी बर्थ-डे,
जन्मदिन की दी बधाई।



रंग-बिरंगे प्यारे-प्यारे,
सजे हुए गुब्बारे न्यारे।
मस्ती करूँ, धमाल करूँ,
गिफ्ट मिले हैं कितने सारे।



मैंने तो एक कार्ड बनाया,
फूलों से फिर उसे सजाया।
ममा को दी खूब बधाई,
ममा ने फिर गले लगाया।

गुरुवार, जुलाई 28, 2011

पाखी का गुलाब

अंडमान-निकोबार में इस पूरे महीने 62 वाँ वन-महोत्सव मनाया जा रहा है. इस अवसर पर मेरे स्कूल में भी कई कार्यक्रम हुए. यह महोत्सव 30 जुलाई को ख़त्म होगा. आज हम लोगों को स्कूल में इस महोत्सव के बारे में बताया गया और ग्रीन इण्डिया व ग्रीन आइलैंड्स को लेकर हम सभी लोगों ने पौधारोपण किया।


हम सभी बच्चे आज अपने साथ एक-एक पौधा ले गए और स्कूल में लगाया. किसी ने फलों का, किसी ने फूलों का, किसी ने पत्तियों वाले पौधे लगाये. मैंने तो एक गुलाब का पौधा लगाया।


आखिर गुलाब फूलों का राजा जो होता है. जब तक मैं अंडमान में हूँ, तब तक तो इस पौधे पर गुलाब के ढेर सारे फूल भी आ जाएंगें और उन्हें देखना कित्ता अच्छा लगेगा !!

...आप भी ढेर सारे पौधे लगाइए. तभी तो चारों तरफ हरियाली रहेगी और हमें शुद्ध हवा और आक्सीजन मिल सकेगी !!

सोमवार, जुलाई 25, 2011

ये रहे मेरे साफ्ट टॉयज


आपको टॉयज अच्छे लगते हैं. मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं. आपने साथ-साथ तन्वी के टॉयज भी तो हैं, फिर ढेर सारी मस्ती. ऐसी ही एक दिन की मस्ती को पापा ने कैमरे में कैद कर लिया.






आप बताईए, कैसी लगी मेरी यह मस्ती और मेरे साफ्ट टॉयज !!

बुधवार, जुलाई 20, 2011

कित्ती स्वादिष्ट है यह लीची..

लीची तो मुझे बहुत भाती है. पर यहाँ अंडमान में ज्यादा नहीं मिलती. गर्मी की छुट्टियों में एक दिन ममा-पापा के साथ हेलीपैड से बाहर निकल रही थी कि लीची वाला दिख गया.




फिर क्या था, ढेर सारी लीची खरीदकर लाई.





खूब स्वाद ले-ले कर खाए.





कित्ती स्वादिष्ट है यह लीची..

शुक्रवार, जुलाई 15, 2011

ये ब्लॉग अच्छा लगा : पाखी माने पक्षी या चिड़िया - अक्षिता पाखी


कल एक चिङिया उङती हुयी मेरे ब्लाग पर आयी । मैंने कहा - हल्लो डियर लिटिल बर्ड ।

तब चिङिया ने कहा - मैं चिङिया नहीं हूँ । मेरा नाम चिङिया है । पाखी माने पक्षी या चिड़िया ।

मैंने कहा - डियर ! आप चिङिया हो । तभी तो आपका नाम पाखी है । अब चिङिया को खरगोश कहते सुना है किसी से ?

पाखी ने कहा - ओफ़्फ़ोह अंकल ! वैसे तो मैं एक प्यारी बच्ची हूँ । पर मैं दिन भर चिङिया की तरह इधर उधर फ़ुदकती हूँ ना । इसलिये मम्मी ने मेरा नाम पाखी रख दिया ।

अच्छा ! मैंने आश्चर्य से कहा - और आपके पापाजी का नाम क्या है ?

पाखी - अंकल ! माय फ़ादर नेम इज श्री कृष्ण कुमार यादव । ( उफ़ ! अब इस बच्ची को कौन समझाये कि मुझे इंगलिश बिल्कुल भी नहीं आती )

मैंने कहा - फ़िर आपकी ममा का नाम जरूर राधा यादव होगा । स्योर !

पाखी ने झुँझलाकर माथे पर हाथ मारा । और बोली - उफ़ ! अंकल लगता है । आपने शेक्सपियर को नहीं पढा कि ..नाम में क्या रखा है ?

मैंने कहा - अगर नाम में कुछ नहीं रखा । तो फ़िर मैं आपको कैसे बुलाऊँगा । और आप मुझे कैसे बुलाओगी ? सब लोग एक दूसरे को कैसे बुलायेंगे ?

अच्छा अंकल ! पाखी चुटकी बजाकर बोली - आपका नाम राजीव है । और राजीव माने कमल । तो क्या आप कमल हो गये । मीन एक फ़्लावर । ( उफ़ ! अब इस स्वीट बच्ची को कैसे बताऊँ कि पर्यायवाची शब्दों का पेज मैंने चूरन रखने के लिये किताब से फ़ाङ ही दिया था )

इसलिये मैंने टापिक बदलते हुये कहा - खैर छोङो । एक बात बताओ । आप तो पाखी हो । इसलिये समुद्र के ऊपर से हनुमान जी की तरह उङकर हमारे सबके ब्लाग पर आ जाती हो । लेकिन हम सभी ब्लागर आपके ब्लाग पर जाने के लिये समुद्र कैसे पार करें ?

पाखी दो मिनट तक सोचती रही । और फ़िर खुश होकर बोली - अंकल ! आप विक्रम वैताल वाले वैताल के द्वारा आ जाना ।
और फ़िर मुझे आगे बोलने का अबसर दिये बिना " फ़ुर्र " से टाटा बाय बाय करते हुये पोर्ट ब्लेयर को उङ गयी ।

और ये है । प्यारी नन्ही अक्षिता पाखी का परिचय -

मेरा नाम अक्षिता है । सब मुझे प्यार से पाखी नाम से बुलाते हैं । मेरा ये निकनेम अच्छा है ना । आप भी मुझे पाखी कहकर बुला सकते हैं । पाखी माने पक्षी या चिड़िया । मैं भी तो एक चिड़िया ही हूँ । जो दिन भर इधर उधर फुदकती रहती हूँ । मेरा जन्म 25 मार्च को हुआ । अब इसे अपने दिमाग की डायरी में नोट कर लीजिये । तभी तो आप मुझे जन्मदिन की बधाई देंगे । और ढेर सारे गिफ्ट भी । और हाँ..खूब सारा प्यार और आशीर्वाद भी । मुझे अच्छा लगता है - खेलना । नृत्य करना । चित्र बनाना । आइसक्रीम खाना और ढेर सारी शरारतें करना । मेरे ममा श्रीमती आकांक्षा पापा श्री कृष्ण कुमार यादव हैं । मेरा ददिहाल आजमगढ़ और ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर) में है । फ़िलहाल ममा पापा के साथ पोर्टब्लेयर (अंडमान) में हूँ । मेरी छोटी बहन तन्वी भी है । मैं LKG में पढ़ती हूँ । 'पाखी की दुनिया' में आप पायेंगें मेरी ढेर सारी बातें । घूमना फिरना । मेरी क्रिएटिविटी । मेरी फेमिली और स्कूल की बातें और भी बहुत कुछ । यह ब्लॉग 24 जून 2009 को आरंभ हुआ । अब तो यहाँ भी खूब फुदक फुदक करुँगी । इनका ब्लाग - पाखी की दुनिया

( 'ये ब्लॉग अच्छा लगा' ब्लॉग पर राजीव कुलश्रेष्ठ अंकल जी द्वारा 'पाखी की दुनिया' के बारे में लिखी गई पोस्ट साभार)


...यहाँ BLOG WORLD .COM पर भी राजीव कुलश्रेष्ठ अंकल जी ने मेरे बारे में लिखा है, आभार और प्यार !!

सोमवार, जुलाई 11, 2011

बेटियों को मारो नहीं...


आज विश्व जनसंख्या दिवस है. 2011 में तो मैं पहली बार जनसंख्या में शामिल हुई. मैं ही नहीं, 2001 के बाद पैदा सभी बच्चे पहली बार इस जनसंख्या में शामिल हुए. यह तो हम सभी के लिए ख़ुशी की बात है !

...पर इक दुःख की बात भी है कि बेटों कि अपेक्षा बेटियों की संख्या घटी है. इसलिए नहीं कि बेटियाँ पैदा ही नहीं हुईं, बल्कि इसलिए कि कई लोग बेटियों को पसंद नहीं करते और उन्हें पेट में ही मार डालते हैं. वे क्यों नहीं सोचते कि आखिर, हम बेटियों के बिना तो दुनिया सूनी है.

..इस 'विश्व जनसंख्या दिवस' पर यदि सब लोग यही संकल्प लें कि बेटियों को मारेंगें नहीं, तो ही इस दिन की सार्थकता है !!

शुक्रवार, जुलाई 08, 2011

पाखी की नई ड्राइंग


!! यह रही मेरी नई ड्राइंग. इसे देखकर बताइयेगा कि कैसी है और आपने क्या-क्या देखा इसमें !!

सोमवार, जुलाई 04, 2011

'पाखी की दुनिया' के दो साल पूरे





चलिए, आज एक अच्छी बात शेयर करती हूँ आप सबसे. मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' को दो साल पूरे हो गए. यह ब्लॉग 24 जून, 2009 को आरंभ हुआ था. तबसे ममा-पापा के माध्यम से आप सब ने मेरी तमाम गतिविधियों के बारे में जाना. मेरी ड्राइंग देखी, मेरी पिक्चर देखी और मेरे साथ कई जगहों पर घूमे भी. इस बीच मेरी कई ड्राइंग पत्र-पत्रिकाओं में भी छपी, आल इण्डिया रेडियो-पोर्टब्लेयर से बाल-जगत में मेरा इंटरव्यू प्रसारित हुआ, दीनदयाल शर्मा अंकल जी ने अपनी पुस्तक 'चूं-चूं' के कवर-पेज पर मेरी फोटो लगाई, कई पत्र-पत्रिकाओं ने मेरे ब्लॉग और मेरे बारे में लिखा, एक अंकल ने तो आपने शोध में भी मेरा नाम शामिल किया, मेरी ड्राइंग पर और मेरे जन्म-दिन पर बाल-गीतों और कार्टून का उपहार मिला, वर्ष-2010 में परिकल्पना ब्लागोत्सव के तहत श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर का भी ख़िताब मिला. ...यह सब आप सबके प्यार और आशीर्वाद का ही नतीजा रहा. आप सब ने मुझे खूब प्रोत्साहित किया. पाखी की दुनिया पर अब तक 167 पोस्ट प्रकाशित हैं. 172 जन इसका अनुसरण (Follow) करते हैं. networked Blogs के माध्यम से भी इसे 98 लोग अनुसरण (Follow) करते हैं. इस ब्लॉग को 26,500 से ज्यादा लोगों ने देखा-पढ़ा है. 65 से ज्यादा देशों के लोग 'पाखी की दुनिया' पर आए और रु-ब-रु हुए. 5,000 से ज्यादा कमेन्ट इस ब्लॉग पर किये गए हैं. indiblogger.in इस ब्लॉग को 100 में से 79 अंक देता है.फेस बुक पर एक पेज के रूप में भी ''Akshita (Pakhi) : पाखी की दुनिया'' है, जिसे 366 जन पसंद करते हैं !!


!!'पाखी की दुनिया' के दो साल पूरे होने पर आप सभी के प्यार, स्नेह और आशीष की आकांक्षी हूँ !!

शुक्रवार, जुलाई 01, 2011

गर्मी की छुट्टियाँ ख़त्म..स्कूल शुरू

गर्मी की छुट्टियाँ ख़त्म और कल से मेरे स्कूल शुरू हो गए. इन छुट्टियों में मैं खूब घूमी और मस्ती की. अब धीरे-धीरे सबकी फोटो दिखाऊन्गी. और अपनी बातें भी शेयर करूँगीं. 28 जून को तन्वी भी 8 माह की हो गई. अब तो मुझे स्कूल छोड़ने ममा-पापा के साथ वह भी जाएगी..है ना मजेदार. मैंने तो घूमने के चक्कर में अपना होम-वर्क भी पूरा नहीं किया था. स्कूल खुलने से एक दिन पहले तो दिन भर होम-वर्क किया. नहीं तो पापा की डांट भी सुननी पड़ती. अच्छा लगा, पहले दिन अपनी क्लास-टीचर और दोस्तों को देखकर. अब तो सुबह 6:30 बजे जगना होगा, आखिर क्लास भी तो 7:30 से स्टार्ट हो जाती है. यह तो आपका पता ही है कि अब मैं के. जी.-I में चली गई हूँ. जल्द ही अपने स्कूल की ढेर सारी बातें भी बताउंगी !!

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''परिकल्पना ब्लागोत्सव'' का आरंभ हो चुका है. इस पर मेरी चार ड्राइंग (रेखा-चित्र) देखिएगा और अपनी प्रतिक्रिया भी तो दीजियेगा.

इसे देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.

परिकल्पना ब्लागोत्सव : अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र

गुरुवार, जून 23, 2011

''परिकल्पना ब्लागोत्सव'' में अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र



''परिकल्पना ब्लागोत्सव'' का आरंभ हो चुका है. इस पर आज मेरी चार ड्राइंग (रेखा-चित्रों) देखिएगा और अपनी प्रतिक्रिया भी तो दीजियेगा.

इसे देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.

परिकल्पना ब्लागोत्सव : अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र

सोमवार, जून 20, 2011

पाखी ने ली पापा की ढेर सारी फोटो...

कल जून माह का तीसरा रविवार था और इस दिन होता है फादर्स-डे. कल तो मैं अपने ममा-पापा और तन्वी के साथ अंडमान के सबसे दक्षिणी भाग डिगलीपुर में थी. एक हफ्ते के इस घुमाई में मैंने बहुत कुछ देखा, पर पहले पापा की बातें.


इस बार मैंने कैमरे का प्रयोग खूब अच्छी तरह करना सीख लिया है. मैंने रास्ते भर खूब फोटोग्राफ खींची. अब तो फोटोग्राफ मुझसे शेक भी नहीं होते हैं. कल तो डिगलीपुर के गेस्ट-हॉउस में पापा की ढेर सारी पिक्चर्स लीं. अब आप भी देखिये और बताइए कि अब मेरी फोटोग्राफी कैसी है...







कुछ गेस्ट हॉउस के लान में, कुछ अंदर.



चलते-चलते यह फेमिली फोटोग्राफ भी. इसे पापा के एक स्टाफ ने स्नैप किया है.

सोमवार, जून 13, 2011

पाखी चली घूमने...बाय-बाय


मैं कल से 10 दिन के लिए घूमने मामा-पापा और तन्वी के साथ दूसरे द्वीपों पर जा रही हूँ. इस बीच हम जारवा बेल्ट क्रास करते हुए अंडमान के सबसे दक्षिणी भाग डिगलीपुर तक जायेंगें. अब तो छुट्टियाँ भी ख़त्म होने वाली हैं, फिर सारी घुमाई अभी कर लूँ. अब, जब घूमकर आऊंगी तो आप सभी से ब्लॉग पर मुलाकात होगी..तब तक के लिए बाय-बाय !!

शुक्रवार, जून 10, 2011

मौसा-मौसी लाए खुशियाँ...

आज का दिन मेरे लिए फिर खुशियाँ लाया. सुबह-सुबह खबर मिली कि मौसा-मौसी मेरे और तन्वी के लिए दो प्यारे-प्यारे भाई लाये. मैं तो दीदी बन ही चुकी हूँ और अब तो तन्वी भी दीदी बन गई...वाह कित्ता मजेदार. नानी जी भी मौसी के साथ हैं, उन्होंने ही सुबह-सुबह फोन पर बनारस से जानकारी दी. मैंने भी मौसी से बातें की...वह तो बहुत खुश हैं. अब तो घर में हम बच्चों का संसार बढ़ता ही जा रहा है. जब हम-सब इक साथ मिलेंगें तो कित्ता धमाल करेंगें !!

अभी तो इन नए सदस्यों की फोटो नहीं है, पर मौसी-मौसा से तो मिल लीजिये...



(बनारस में जन्म के बाद मौसी के साथ तन्वी और पाखी)




(बनारस में जन्म के बाद तन्वी को लिए मौसा जी श्री विश्वजीत सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, कस्टम )

बुधवार, जून 08, 2011

मरीना पार्क में 1971 की विजय का गवाह विजयंत टैंक

इस टैंक को आप पहचानते हैं. यह विजयंत टैंक है, जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था. अब यह पोर्टब्लेयर के मरीना पार्क में लगा है.



इसके सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने का मजा ही कुछ और है.




इस टैंक के बारे में आप भी कुछ जानकारी हासिल कीजिए.




..वाकई, यह विजय का प्रतीक है.




आप भी कभी पोर्टब्लेयर आयें, तो मरीना-पार्क में इस टैंक के पास खड़े होकर विजयी-भाव का अहसास करें !!

मंगलवार, जून 07, 2011

गर्मी की छुट्टियों की मस्ती...

आजकल छुट्टियाँ हैं, इसलिए खूब घुमाई चल रही है. इसीलिए ब्लॉग पर आप सभी से खूब बातें भी नहीं हो पा रही हैं. ये देखिये पोर्टब्लेयर के मरीना पार्क में मेरी मस्ती-














...तो कैसी लगी आपको मेरी यह छुट्टियों वाली मस्ती.
यहाँ तो बारिश भी हो रही है, फिर घूमने-फिरने का मजा और भी बढ़ जाता है !!

गुरुवार, मई 26, 2011

...पाखी की दो ड्राइंग !!


मेरी ड्राइंग देखे तो आप लोगों को कई दिन हो गए न. इसीलिए इस बार एक की जगह दो ड्राइंग बनाई है. अब जल्दी से बताइयेगा कि इस ड्राइंग में आपने क्या-क्या देखा...!!

बुधवार, मई 18, 2011

नन्ही सी है तन्वी प्यारी

डॉ. नागेश पांडेय "संजय" अंकल ने हमारी सिस्टर अपूर्वा (तन्वी) के लिए इक प्यारी सी कविता लिखी है. इसके लिए नागेश अंकल को ढेर सारा प्यार और आभार. आप भी पढ़िए और बताइयेगा कि यह कविता आपको कैसी लगी....


नन्ही सी है तन्वी प्यारी,
करती है अब शैतानी .
कभी नाचती, कभी कूदती,
कभी खेलती है पानी .
कभी पकड़ कर बाल नोचती,
कभी फाड़ देती पुस्तक .
डाँटो तो सो जाती है पर
उठकर करती है बक-बक .


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डा. नागेश पांडेय 'संजय'/शिक्षा : एम्. ए. {हिंदी, संस्कृत }, एम्. काम. एम्. एड. , पी. एच. डी. [विषय : बाल साहित्य के समीक्षा सिद्धांत }, स्लेट [ हिंदी, शिक्षा शास्त्र ];/१९८६ से बाल साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय,बाल साहित्य के अतिरिक्त बड़ों के लिए भी गीत एवं कविताओं का सृजन./प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में बच्चों के लिए कहानी , कविता , एकांकी , पहेलियाँ और यात्रावृत्त प्रकाशित./ रचनाओं के अंग्रेजी, पंजाबी , गुजराती , सिंधी , मराठी , नेपाली , कन्नड़ , उर्दू , उड़िया आदि अनेक भाषाओं में अनुवाद ./अनेक रचनाएँ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के नई दिल्ली , लखनऊ , रामपुर केन्द्रों से प्रसारित .

प्रकाशित पुस्तकेंआलोचना ग्रन्थ : बाल साहित्य के प्रतिमान ;
कविता संग्रह : तुम्हारे लिए ;
बाल कहानी संग्रह : १. नेहा ने माफ़ी मांगी २. आधुनिक बाल कहानियां ३. अमरुद खट्टे हैं ४. मोती झरे टप- टप ५. अपमान का बदला ६. भाग गए चूहे ७. दीदी का निर्णय ८. मुझे कुछ नहीं चहिये ९. यस सर नो सर ;
बाल कविता संग्रह : १. चल मेरे घोड़े २. अपलम चपलम ;
बाल एकांकी संग्रह : छोटे मास्टर जी
सम्पादित संकलन : १. न्यारे गीत हमारे २. किशोरों की श्रेष्ठ कहानियां ३. बालिकाओं की श्रेष्ठ कहानियां

सम्प्रति : विभागाद्यक्ष , बी. एड. राजेंद्र प्रसाद पी. जी. कालेज , मीरगंज, बरेली ।
संपर्क : डॉ. नागेश पांडेय "संजय" ,सुभाष नगर , शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश (भारत) - 242001।

अंतर्जाल पर डॉ. नागेश पांडेय 'संजय' एवं अभिनव सृजन के माध्यम से सक्रियता.

गुरुवार, मई 12, 2011

आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें


आज मैं पहली बार रेडियो-रिकार्डिंग के लिए गई, आकाशवाणी पोर्टब्लेयर में. यह पोर्टब्लेयर रेडियो स्टेशन में दोपहर में 12 बजे से स्टार्ट हुई और 12:20बजे तक चली. पहले तो मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह कैसे होगा, पर जब वहाँ गई तो खूब मजा आया. ललिता डिग्गा आंटी ने मुझे ढेर सारे सवाल पूछे और मैंने बता दिए- मेरे स्कूल का नाम, मेरी क्लास, ममा-पापा और तन्वी की बातें, मेरी हाबी, मेरा ब्लॉग ..और अपनी प्यारी राइम भी तो मैंने सुनाई...के. जी. -I से हम लोगों को हिंदी भी पढाई-सिखाई जा रही है. अभी एक महीने क्लास चला तो खूब सारी हिंदी राइम टीचर जी ने सुनाई. यह वाली राइम तो मैंने रेडियो पर भी रिकार्ड कराई-

सा-रे-गा-मा गाएंगें
गाँधी पार्क जायेंगें.
चिड़ियाघर में भालू है
हम उससे डर जायेंगें.

ABCD भूले हैं
मरीना-पार्क में झूले हैं.
अंकल के संग जायेंगें
भेल-पूरी खायेंगें.


खूब देर तक वो मेरे से सवाल पूछतीं, मेरी छुट्टियों के बारे में, घूमने के बारे में, बीच पर मस्ती के बारे में, मेरी फेवरेट चीजें..और भी बहुत कुछ. मेरी यह रिकार्डिंग 'बाल-जगत' के तहत 15 मई, 2011, संडे को सुबह 8:45 पर पोर्टब्लेयर रेडियो स्टेशन पर सुनाई जाएगी, फिर तो मैं भी अपनी आवाज़ रेडियो पर सुनूगी...मैं तो उस दिन के लिए सोच कर अभी से बहुत एक्साइटेड हूँ.






रविवार, मई 08, 2011

मेरी ममा सबसे प्यारी...

आपको पता है आज मदर्स डे है. हर साल मई माह के दूसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है. मैं तो अपनी ममा से बहुत प्यार करती हूँ. ममा के बिना कोई काम तक नहीं करती.

आज मदर्स डे पर मैंने सुबह जगते ही ममा को विश किया और उन्हें एक प्यारा सा कार्ड और चाकलेट दिया. साथ में प्यारे-प्यारे गुलाब के फूल भी दिया और अपनी एक ड्राइंग भी दी. आज संडे भी है, सो पापा भी घर पर रहेंगे. शाम को हम लोग मरीना पार्क घूमने जायेंगे, जहाँ मैं खूब झूले झूलूँगी, स्लैडिंग करुँगी, सी-सा पर मस्ती करुँगी, हैंगिंग राड और स्प्रिंगी हार्स इंजॉय करुँगी. समुद्र के किनारे दूर तक घुमूंगी और बोटिंग भी करुँगी. और जब थक जायेंगे तो पापा हम लोगों को किसी रेस्तरां में शानदार डिनर कराएँगे.

मेरी ममा बहुत बढ़िया है। मुझे पता है कई बार मैं उन्हें बहुत परेशान करती हूँ पर ममा कभी बुरा नहीं मानती. मुझे ढेर सारा प्यार-दुलार देती हैं. मेरी ममा सबसे प्यारी हैं.




मम्मी मेरी सबसे प्यारी,
मैं मम्मी की राजदुलारी।
मम्मी प्यार खूब जताती,
अच्छी-अच्छी चीजें लाती।
करती जब मैं खूब धमाल,
तब मम्मी खींचे मेरे कान।
मम्मी से हो जाती गुस्सा,
पहुँच जाती पापा के पास।
पीछे-पीछे तब मम्मी आती,
चाॅकलेट देकर मुझे मनाती।
थपकी देकर लोरी सुनाती,
मम्मी की गोद में मैं सो जाती।















शुक्रवार, मई 06, 2011

लेखन की अभिमन्यु अक्षिता उर्फ़ पाखी को सलाम

(अख्तर खान 'अकेला' अंकल ने अपने ब्लॉग Akhtar Khan Akela पर आशीर्वचन रूप में मेरे लिए जो कुछ भी लिखा है, बड़ा प्यारा लगा. 'अकेला' अंकल के इस स्नेह और प्यार से अभिभूत हूँ और उनकी यह पोस्ट यहाँ पर साभार आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ)


लेखन की अभिमन्यु अक्षिता उर्फ़ पाखी को मेरा सलाम अर्ज़ है. जी हाँ, एल. के. जी. की एक छोटी सी मासूम बच्ची, जिसके हँसने-खेलने के दिन हो, जिस उम्र के बच्चों को लोग सेंसलेस कहते हैं वही बच्चा अगर अपनी लेखनी, अपने विचारों से, बेस्ट ब्लागर अवार्ड प्राप्त करले, तो बस ख़ुशी से सीना चौड़ा हो जाता है.

अक्षिता (पाखी) का जन्म 25 मार्च, 2007 को हुआ और वर्तमान में वह पोर्टब्लेयर, अंडमान में रह रही हैं. कहते हैं कि अंग्रेजों के ज़माने में यहाँ लोगों को काले पानी की सजा देकर प्रताड़ित किया जाता था और अंडमान-निकोबार केवल इसी सेलुलर जेल के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन आज अंडमान-निकोबार और पोर्टब्लेयर को मासूम पाखी पर भी गर्व होने लगा है और अतर्राष्ट्रीय ब्लागिंग की दुनिया अब अक्षिता उर्फ़ पाखी के नाम से जानी जाने लगी है.

इंडियन ब्लागिंग(indiblogger.in) पर 78 वीं रैंक लेकर ब्लागिंग में प्रमुख स्थान प्राप्त करने वाली अक्षिता (पाखी) एक तेज़ तर्रार लेखिका और वक्ता श्रीमती आकांक्षा यादव के गर्भ में पली और शायद अभिमन्यु की तरह ही उन्होंने गर्भ में उसे ब्लागिंग का पाठ पढ़ डाला. उनके पिता कृष्ण कुमार यादव जो कि एक बेहतरीन ब्लागर हैं और दोनों लोग मिलकर शब्द-शिखर, शब्द सृजन की ओर, डाकिया डाक लाया, बाल दुनिया, सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग के साथ-साथ 'पाखी की दुनिया' में पाखी के बचपन के अनुभवों को ब्लागरों से शेयर कर रहे हैं इनके आचार-विचार और सुझाव इस ब्लागिंग की दुनिया को हसीन बना रहे है. अभी केवल एल. के. जी. में पढ़ रही एक छोटी सी मुन्नी सी बच्ची पाखी की ब्लागिंग को देखें तो आँखें चकित रह जाती हैं और मन सोचने लगता है, 'कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का!' पाखी देश का ही नहीं बल्कि विश्व का ऐसा नाम है, जिसके माता-पिता पाखी की भावनाओं, विचारों और उसकी गतिविधियों को ब्लागिंग के माध्यम से शेयर कर रहे हैं और ब्लागिंग की दुनिया इस पाखी से प्रभावित है. अभी पिछले दिनों 30 अप्रैल, 2011 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने जब पाखी को सबसे नन्हीं ब्लागर (Best Bay Blooger Award) का अवार्ड दिया, तो पाखी के माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, लेकिन हम भी पाखी के अंकल हैं उसकी छोटी बहन तन्वी के अंकल हैं, अत: हमारा भी सीना गर्व से चौड़ा हुआ जाता है और मन करता है कि पंख लगाकर उड़ें और पोर्टब्लेयर पहुँच कर बिटिया पाखी को गोद में लेकर ढेर सारा प्यार कर, ढेर सारा आशीर्वाद देकर वापस लौट आयें और कह दें कि ब्लागिंग की दुनिया की अभिमन्यु 'पाखी' हमारी ब्लागिंग की आन-बान और शान है !!

- अख्तर खान 'अकेला'
कोटा, राजस्थान
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अख्तर खान 'अकेला' : उर्दू, हिन्दी एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, विधि स्नातक और PGD जर्नलिज्म : सम्प्रति वकालत के पेशे में तल्लीन : ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव : अंतर्जाल पर Akhtar Khan Akela ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय.

गुरुवार, मई 05, 2011

4 साल की उम्र में इतना बड़ा इनाम सुन हैरान हो जाएंगे आप


4 साल की उम्र में इतना बड़ा इनाम सुन हैरान हो जाएंगे आप...यह मैं नहीं कह रही हूँ, बल्कि आज 5 मई, 2011 के 'दैनिक भास्कर'' अख़बार में प्रकाशित एक रिपोर्ट है. आप भी इसे पूरा पढ़िए.

पोर्ट ब्लेयर. अंडेमान निकोबार द्वीप समूह की चार वर्षीय अक्षिता यादव को हिंदी साहित्य निकेतन परिकल्पना ने बेस्ट बेबी ब्लॉगर अवॉर्ड 2011 से नवाजा है। नई दिल्ली के हिंदी भवन में आयोजित इंटरनेशनल ब्लॉगर कॉन्फ्रेंस में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अक्षिता को यह अवॉर्ड दिया।

अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम में 51 ब्लॉगर्स ने हिस्सा लिया। ‘पाखी की दुनिया’ केजी 1 की छात्रा अक्षिता को नकद इनामी राशि के अलावा प्रमाणपत्र और मोमेंटो दिया गया। कृष्ण कुमार ने बताया अक्षिता को ड्रॉइंग और पेंटिंग में बहुत रुचि है।

जब हमने देखा कि उसकी पेंटिंग में कुछ खास है तो हमने जून 2009 से इन्हें पाखी की दुनिया ब्लॉग पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। इस ब्लॉग की लोकप्रियता का पता इसी से लगता है कि यह 100 प्रमुख हिंदी ब्लॉग में से एक है। इसे 140 ब्लॉगर फॉलो कर रहे हैं। राजस्थान के जाने-माने लेखक दीनदयाल शर्मा अक्षिता की प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी किताब छुन-छुन के कवर पेज पर उसका फोटो लिया है।

(इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

रविवार, मई 01, 2011

अक्षिता (पाखी) को बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड





कल देर शाम हिंदी भवन, दिल्ली में 'हिंदी साहित्य निकेतन', परिकल्पना डाट काम, और नुक्कड़ डाट काम द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन में मुझे 'बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड' का ख़िताब मिला. यह पुरस्कार उत्तरांचल के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी द्वारा दिया गया. मेरा मन तो कार्यक्रम में जाने का था, पर पायलट लोगों की हड़ताल के चलते ऐनवक्त पर फ्लाईट कैंसिल हो जाने के चलते मैं वहाँ जा न सकी. मेरा सम्मान वहाँ चाचू अमित कुमार यादव जी ने ग्रहण किया.

इसके लिए 'हिंदी साहित्य निकेतन'के डा. गिरिजाशरण अग्रवाल दादा जी, परिकल्पना डाट काम के श्री रवीन्द्र प्रभात अंकल जी और नुक्कड़ डाट काम के श्री अविनाश वाचस्पति अंकल जी के साथ-साथ आप सभी के आशीर्वाद और स्नेह के लिए ढेर सारा प्यार और आभार !!

उन सभी अंकल और आंटी जी लोगों को भी बधाई, जिन्हें इस सम्मलेन में अवार्ड मिले !!

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