भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) यादव
21वीं सदी टेक्नॉलाजी की है। आज के बच्चे मोबाइल व लैपटॉप पर हाथ पहले से ही फिराने लगते हैं । टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के चलते बच्चे कम उम्र में ही अनुभव और अभिरुचियों के विस्तृत संसार से परिचित हो जाते हैं। ऐसी ही प्रतिभा है. भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) यादव। 25 मार्च 2007 को कानपुर में जन्मी अक्षिता वर्तमान में सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS), अलीगंज, लखनऊ में कक्षा 6 की छात्रा है।
अक्षिता न सिर्फ हिंदी ब्लॉगिंग में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है, बल्कि भारत सरकार ने भी उसकी उपलब्धियों के मद्देनजर वर्ष 2011 में बाल दिवस पर उसे मात्र 4 साल 8 माह की आयु में आर्ट और ब्लॉगिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया। अक्षिता न सिर्फ भारत की सबसे कम उम्र की 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता' है बल्कि भारत सरकार ने पहली बार किसी प्रतिभा को ब्लॉगिंग विधा के लिए सम्मानित किया।
देश.दुनिया में आयोजित होने वाले तमाम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में भी अक्षिता की प्रतिभा को सम्मानित किया गया। नई दिल्ली में अप्रैल 2011 में हुए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में अक्षिता को 'श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर' के सम्मान से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सम्मानित किया । काठमांडू, नेपाल में आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन (2013) में भी अक्षिता ने एकमात्र बाल.ब्लॉगर के रूप में भाग लिया और नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी की प्रशंसा बटोरी। पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका (2015) में अक्षिता को 'परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान' से सम्मानित किया गया।
अक्षिता को ड्राइंग बनाना बहुत अच्छा लगता है। पहले तो हर माँ.बाप की तरह उसके मम्मी-पापा ने भी ध्यान नहीं दिया, पर धीरे-धीरे उन्होंने अक्षिता के बनाए चित्रों को सहेजना आरंभ कर दिया। इसी क्रम में इन चित्रों और अक्षिता की गतिविधियों को ब्लॉग के माध्यम से भी लोगों के सामने प्रस्तुत करने का विचार आया और 24 जून 2009 को 'पाखी की दुनिया' (https://pakhi-akshita.blogspot.com/) नाम से अक्षिता का ब्लॉग अस्तित्व में आया। देखते ही देखते करीब एक लाख से अधिक हिन्दी ब्लॉगों में इस ब्लॉग की रेटिंग बढ़ती गई और आज इस ब्लॉग पर लगभग 500 पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। बच्चों के साथ-साथ बडों में भी अक्षिता (पाखी) का यह ब्लॉग काफी लोकप्रिय है। इस पर जिस रूप में अक्षिता द्वारा बनाये चित्र, पेंटिंग्स, फोटोग्राफ, पर्यटन और अक्षिता की बातों को प्रस्तुत किया जाता है, वह इस ब्लॉग को रोचक बनाता है। इस ब्लॉग का संचालन आरंभ में अक्षिता के मम्मी-पापा द्वारा किया जाता था, पर धीरे-धीरे अक्षिता भी अपने इस ब्लॉग को संचालित करने लगीं।
अक्षिता की कविताएं और ड्राइंग देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं। तमाम पत्र-पत्रिकाओं में अक्षिता को लेकर फीचर और समाचार लिखे गए वहीं आकाशवाणी और कुछेक चैनलों पर भी उसके इंटरव्यू प्रकाशित हो चुके हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तक "और हमने कर दिखाया" ( देश के कुछ प्रतिभावान बच्चों की कहानियाँ) में भी 'नन्ही ब्लॉगर पाखी की ऊँची उड़ान' शीर्षक से एक अध्याय शामिल किया गया है।
बडी होकर आईएएस ऑफिसर बनने की तमन्ना रखने वाली अक्षिता के पिता श्री कृष्ण कुमार यादव लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदस्थ हैं व मम्मी श्रीमती आकांक्षा एक कॉलेज में प्रवक्ता रही हैं। दोनों ही जन चर्चित साहित्यकार व सक्रिय ब्लॉगर भी हैं।
अक्षिता बड़ी होकर आईएएस ऑफिसर बनना चाहती है, पर सामाजिक सरोकारों के प्रति अभी से उसके मन में जज्बा है। गरीब बच्चों से लेकर अनाथों तक को कपड़े और पुस्तकें देकर वह इनके हित में सोचती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरम्भ "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान से अक्षिता काफी प्रेरित हुईं और इसके प्रति लोगों को सचेत किया। यही नहीं, अपनी पिता श्री कृष्ण कुमार यादव को जो कि लखनऊ से पहले जोधपुर में निदेशक डाक सेवाएँ रहे, को इस बात के लिए भी प्रेरित किया कि इसके तहत गाँव की सभी बेटियों के सुकन्या समृद्धि योजना खाते खुलवाकर उन्हें "सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि गाँव" बनाया जाये। नतीजन, पश्चिमी राजस्थान में आज 450 से ज्यादा गाँव 'सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि गाँव' बन चुके हैं।
नन्ही प्रतिभा अक्षिता (पाखी) को देखकर यही कहा जा सकता है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं, बशर्ते उसे अनुकूल वातावरण व परिवेश मिले। अक्षिता को श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर और सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिलना यह दर्शाता है कि बच्चों में आरंभ से ही सृजनात्मक.शक्ति निहित होती है। उसे इग्नोर करना या बड़ों से तुलना करने की बजाय यदि उसे बाल मन के धरातल पर देखा जाय तो उसे पल्लवित-पुष्पित किया जा सकता है।
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 'चेंजमेकर्स बेटियाँ' के तहत प्रतिष्ठित अख़बार 'अमर उजाला' (लखनऊ, 7 मार्च, 2019) में भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) यादव की 'छुटकी ब्लॉगर' शीर्षक से चर्चा
अक्षिता को ड्राइंग बनाना बहुत अच्छा लगता है। पहले तो मम्मी-पापा ने ध्यान नहीं दिया, पर धीरे-धीरे जब उन्होंने अक्षिता के बनाए चित्रों को सहेजना आरंभ किया तो अस्तित्व में आया ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' (https://pakhi-akshita.blogspot.com/)। देखते ही देखते करीब एक लाख से अधिक हिन्दी ब्लॉगों में इस ब्लॉग की रेटिंग बढ़ती गई। इस ब्लॉग पर 500 से अधिक पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। बच्चे ही नहीं बल्कि बड़ों में भी यह ब्लॉग काफी लोकप्रिय है। इस छोटी सी ब्लॉगर को उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए 2011 में बाल दिवस पर मात्र 4 साल 8 माह की आयु में आर्ट और ब्लॉगिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका था जब भारत सरकार ने ब्लॉगिंग की दुनिया में किसी को सम्मानित किया। 2013 में नेपाल में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन में एकमात्र बाल ब्लॉगर थी। 2015 में श्रीलंका में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में अक्षिता को 'परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान' से सम्मानित किया गया।
खुद से जीतने की जिद है, मुझे खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं दुनिया की, मेरे अंदर एक जमाना है।
युवा लखनऊ का चेहरा कहिए या फिर स्मार्ट सिटी की पहचान, हमारी बेटियाँ हैं ही ऐसी। अलहदा है इनके जीने का अंदाज। अपनी जिंदगी को इन्होंने एक अलग दिशा दे रखी है। इनके जीने के तरीके को देखकर आप भी अपनी जिंदगी से खौफ शब्द को निकल फेकेंगे और जिंदादिली से जीना सिख जाएंगे। आइए, इनके हौसले और जुनून को करते हैं सलाम।
4 टिप्पणियां:
बेहतरीन,
अद्भुत :)
HindiPanda
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