आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

सोमवार, नवंबर 18, 2019

Ahmedabad International literature Festival : यादगार चित्र

अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल (Ahmedabad International Literature Festival) में हम भी सपरिवार शामिल हुए। 16 और 17 नवंबर, 2019 को आयोजित हुए इस लिटरेचर फेस्टिवल में देश-दुनिया की विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को आमंत्रित किया गया। फेस्टिवल के संस्थापक निदेशक श्री उमाशंकर यादव जी ने बड़े मनोयोग से इसका संयोजन किया। इस फेस्टिवल का उद्घाटन गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने किया। इसमें एक सेशन पापा (श्री  कृष्ण कुमार यादव जी, निदेशक डाक सेवाएँ, लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र) का भी था, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के चर्चित गीतकार व कवि श्री संदीप नाथ जी एवं सुश्री फौक़िया वाजिद जी के साथ "भाषा के बदले स्वरुप" सत्र को सम्बोधित करते हुए लोगों से संवाद किया। 


लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान हम लोगों को भी तमाम चर्चित लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। इन मुलाकातों को इस पोस्ट में सहेजते हुए आप सभी के साथ शेयर करते हुए प्रसन्नता हो रही है।  
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एवं गुजराती के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि व आलोचक श्री रघुवीर चौधरी जी के साथ, अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल (Ahmedabad International literature Festival) में सपरिवार।



यादों का इडियट बॉक्स विद "नीलेश मिश्रा"....अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में एक मुलाकात।
National Child Awardee Young blogger Akshitaa (Pakhi) and family members with Mr. Neelesh Misra, Story teller, Author, Lyricist & Journalist at Ahmedabad International literature Festival.

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह से सपरिवार मुलाकात @ अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल (Ahmedabad International literature Festival).
Bollywood Actor Mr. Sushant Singh at Ahmedabad International literature Festival, with National Child Awardee Young blogger Akshitaa (Pakhi) and her family members.

गुनगुनी धूप और चाय की चुस्कियों के बीच संगीत की चर्चा @ अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में चर्चित बॉलीवुड गीतकार संदीप नाथ जी के साथ, जिन्होंने पेज थ्री, सरकार, कॉरपोरेट, सांवरिया, सरकार राज, फैशन, जेल, पान सिंह तोमर, साहेब बीवी और गैंग्सटर, बुलेट राजा, आशिकी 2 और सिंघम रिटर्न जैसी कई हिट फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं।
National Child Awardee Young blogger Akshitaa (Pakhi) and family members with Mr. Sandeep Nath, Bollywood Lyricist & Screen Writer at Ahmedabad International literature Festival.

मशहूर नृत्यांगना और सोशल एक्टिविस्ट मल्लिका साराभाई जी के साथ @ अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल (Ahmedabad International literature Festival).

National Child Awardee Young blogger Akshitaa (Pakhi) and family members with noted Indian classical dancer, actress & Social Activist Mallika Sarabhai at Ahmedabad International literature Festival. Padma Bhushan Awardee Mallika Ji has specialized in using the arts for social change and transformation.

सूफी संगीत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली रूहानी सिस्टर्स के साथ एक खूबसूरत शाम।
Enjoyed a Musical night with Sufi Singers (Roohani Sisters) Dr. Neeta Pandey Negi & Dr. Jagriti Luthra Prasanna at Ahmedabad International literature Festival, with family members.







शुक्रवार, नवंबर 15, 2019

Little Blogger Akshitaa (Pakhi) : भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता, नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी)

21वीं सदी टेक्नॉलाजी की है। आज बच्चे  कलम बाद में पकड़ते हैं , मोबाइल, टेलीवीजिन, कम्प्यूटर व लैपटॉप पर हाथ पहले से ही फिराने लगते हैं। ऐसे में उनका सृजनात्मक दायरा भी बढ़ रहा है। ऐसी ही एक नन्ही प्रतिभा हैं- अक्षिता (पाखी) यादव। 12 वर्षीया अक्षिता न सिर्फ नन्ही ब्लॉगर के रूप में लोकप्रिय हैं, बल्कि भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से भी सम्मानित हैं। वर्ष 2011 में  मात्र 4 साल 8 माह की आयु में आर्ट और ब्लॉगिंग के लिए उन्हें ‘राष्ट्रीय बाल पुरस्कार‘ से विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने भी पहली बार किसी प्रतिभा को ब्लॉगिंग विधा के लिए सम्मानित किया। हिंदी के एक लाख से ज्यादा ब्लॉगों में  इनका ब्लॉग “पाखी की दुनिया” ( http://pakhi-akshita.blogspot.in/) काफी प्रसिद्ध है। 100 से ज्यादा देशों में देखे-पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग पर  500 से भी ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। 24 जून 2009 को आरम्भ  इस ब्लॉग पर अक्षिता की रचनाएँ , ड्राइंग, पेंटिंग्स, फोटोग्राफ और जीवन के महत्वपूर्ण पलों की तमाम बातें शामिल हैं। अक्षिता फेसबुक (https://www.facebook.com/AkshitaaSingh/) पर भी उपलब्ध है, जहाँ 2,100 से भी ज्यादा लोग उनके पेज को लाइक करते हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं हैं व मम्मी आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता रही हैं। दोनों ही जन चर्चित साहित्यकार व सक्रिय ब्लॉगर भी हैं। 
 25 मार्च 2007 को कानपुर में जन्मी अक्षिता सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज, लखनऊ में कक्षा 7 की छात्रा हैं । बडी होकर आई.ए.एस ऑफिसर बनने की तमन्ना रखने वाली अक्षिता को ब्लॉगिंग के साथ-साथ  ड्राइंग, कविता, बुक रीडिंग, सिंगिंग, ट्रेवलिंग, सुडोकू, पजल्स जैसे माइंड गेम बहुत पसंद हैं। 

 देश-दुनिया में आयोजित होने वाले तमाम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में भी अक्षिता की प्रतिभा को सम्मानित किया गया। वर्ष 2011 में नई दिल्ली में हुए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं सम्प्रति भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ”निशंक” ने अक्षिता को ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर‘ के सम्मान से नवाजा। वर्ष 2015 में  श्रीलंका में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में अक्षिता को ”परिकल्पना जूनियर सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। 

देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में अक्षिता की रचनाएँ व ड्राइंग प्रकाशित हुई हैं, वहीं आकाशवाणी और तमाम चैनलों पर भी उनके इंटरव्यू प्रकाशित हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तक “...और हमने कर दिखाया“ (देश के कुछ प्रतिभावान बच्चों की कहानियाँ) में भी “नन्ही ब्लॉगर पाखी की ऊँची उड़ान“ शीर्षक से एक अध्याय शामिल किया गया है।








भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता, नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) यादव 
(साभार)

अक्षिता (पाखी) को मात्र 4 साल 8 माह की आयु में वर्ष 2011 में भारत सरकार द्वारा बाल दिवस पर ’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ से विज्ञान भवन में सम्मानित किया गया था। 'बाल दिवस' के बहाने एक बार फिर से अक्षिता की चर्चा !!


शनिवार, मई 04, 2019

आप भी अपना वोट जरुर दें

 हम बच्चे हैं तो क्या हुआ, वोट देने की अपील तो कर ही सकते हैं। आखिर, इस वोट से हमारा ही भविष्य तो सुरक्षित होगा। इसलिए, लोकतंत्र के इस महापर्व में आप भी अपना वोट जरुर दें। 


(साभार : जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ, 28 अप्रैल 2019)

मंगलवार, अप्रैल 09, 2019

Akshitaa (Pakhi) promoted to Class 7th in Lucknow


देश के विभिन्न भागों में रहते हुए विभिन्न स्कूलों में पढ़ने का अपना आनंद है। हमने अपनी स्कूलिंग उत्तर प्रदेश में कानपुर से आरम्भ की और उसके पश्चात् पोर्टब्लेयर (अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह), इलाहाबाद, जोधपुर (राजस्थान) और अब लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हमने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, लखनऊ में क्लास 6 में अध्ययन किया और अब प्रमोट होकर क्लास 7 में आ गए। 




इस अवसर पर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर विस्तार लखनऊ के ऑडिटोरियम में एक खूबसूरत प्रोग्राम भी हुआ, जिसमें टॉपर्स को सम्मानित किया गया। मुझे भी यह सम्मान मिला। 




स्कूल द्वारा आयोजित समूह गान और कव्वाली में भी हमने पार्टिसिपेट किया। 







इस अवसर पर टॉपर्स की मम्मियों को प्रिविलेज दिया गया।  हमारी मम्मी ने भी यह गौरव पाया और मम्मी-पापा से हमने एक अच्छी स्टूडेंट होने की वाह-वाही पाई। 



फ़िलहाल, क्लास 6 से प्रमोट होकर क्लास 7 में।  आप सभी का स्नेहाशीष यूँ ही बना रहे। 


'रोजगार समाचार' में 'सुकन्या समृद्धि योजना' में अपूर्वा की तस्वीर

'रोजगार समाचार' में 'भारत में महिला सशक्तिकरण' पर प्रकाशित एक लेख में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत 'सुकन्या समृद्धि योजना' के क्रम में हमारी प्यारी सिस्टर अपूर्वा की तस्वीर। 

बहुत-बहुत बधाई और प्यार अपूर्वा को। 

(साभार : रोजगार समाचार, 2-8 फरवरी, 2019)

रविवार, मार्च 24, 2019

Colours of Holi festival in Lucknow @ Akshitaa (Pakhi)


इस बार हमने अपनी होली लखनऊ में सेलिब्रेट की। रंग और गुलाल के साथ भरपूर होली खेली।  सबसे अच्छी बात तो यह रही कि इस होली में हमारे परिवार के सभी सदस्य शामिल थे।  आजमगढ़ से दादा-दादी जी आये हुए हैं तो फूफा जी की पोस्टिंग भी लखनऊ में ही है।  फिर क्या था, फूफा-बुआ और उनके तीनों बच्चे - अश्लेषा (ख़ुशी), अनन्या (पंखुड़ी) और अविकम।  दिन भर होली के रंग तो शाम को गुलाल के संग। ...... साथ में गुझिया और ढेर सारी  मिठाईयाँ। वाकई, यह होली एक यादगार होली रही।   














होली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
Wishing you and loved ones a colourful and joyous holi. May Almighty paint life canvas with colours of health, happiness, success, camaraderie and contentment. 

लेखन के साथ अग्रणी ब्लॉगर आकांक्षा यादव : शब्दों में भावों की आकांक्षा

मैं मांस, मज्जा का पिंड नहीं
दुर्गा, लक्ष्मी और भवानी हूँ 
भावों से पुंज से रची
नित्य रचती सृजन कहानी हूँ ...
कॉलेज में प्रवक्ता और फिर साहित्य, लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में प्रवृत्त आकांक्षा यादव बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। नारी, बाल विमर्श और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन और साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनकी रचनाओं का फलक उनके भावों और विचारों के वैविध्य का परिचायक है।  

जीवन में शुरू से ही कुछ अलग करने की ख्वाहिश रखने वाली आकांक्षा यादव ने इसके लिए अपनी कलम को चुना। देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होने वाली आकांक्षा यादव की विभिन्न विधाओं में अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं- 'आधी आबादी के सरोकार' (2016), 'चाँद पर पानी' (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), तो सोशल मीडिया पर एक पुस्तक प्रकाशनाधीन है । 60 से अधिक पुस्तकों/संकलनों  में रचनाएँ प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी रचनाएँ, वार्ता आदि का  प्रसारण होता रहता है। 

ब्लॉग लेखन में सक्रिय :
स्त्री चेतना, समानता, न्याय और सामाजिक सरोकारों से जुड़ीं आकांक्षा यादव अग्रणी ब्लॉगर भी हैं।  नवम्बर 2008 से हिंदी ब्लॉगिंग में सक्रिय हैं। व्यक्तिगत रूप से ‘शब्द-शिखर’ और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’, ‘सप्तरंगी प्रेम’ व ‘उत्सव के रंग’ ब्लॉगों का संचालन इनके द्वारा किया जाता है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में  इनके ब्लॉग 'शब्द-शिखर' (http://shabdshikhar.blogspot.com) को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दंपती’’ सम्मान के अलावा  अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, काठमांडू में ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ सम्मान और  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में ’’परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित हो चुकी  हैं। 

प्रतिभा का सम्मान :
विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक, साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता के लिए आकांक्षा यादव को पचास से अधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। इनमें उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘‘ व ’’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड’’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा ‘‘मनोहरा देवी सम्मान‘‘, मौन तीर्थ सेवा फाउंडेशन, उज्जैन द्वारा "मानसश्री सम्मान", साहित्य भूषण सम्मान, भाषा भारती रत्न, राष्ट्रीय भाषा रत्न सम्मान, साहित्य गौरव सहित तमाम  सम्मान शामिल हैं।

लेखनी से कुप्रथाओं पर चोट :
आकांक्षा यादव की सृजनधर्मिता सिर्फ पन्नों तक सीमित  नहीं है, बल्कि इसने लोगों के जीवन को भी छुआ है। लेखनी से कुप्रथाओं पर चोट के साथ नए विचार भी दिए। बिना लाग-लपेट के सुलभ भाव-भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें, यही इनकी  लेखनी की विशिष्टता है। 

लखनऊ का अहम स्थान :
वह कहती हैं, लखनऊ का मेरी जिंदगी में अहम स्थान है। नवंबर 2004 में शादी के बाद लखनऊ आना हुआ।  पति कृष्ण कुमार यादव लखनऊ में ही डाक विभाग में कार्यरत थे। लिखने-पढ़ने का शौक तो पहले से ही था, पर बात कभी डायरी के पन्नों से आगे नहीं बढ़ी। संयोगवश, पति कृष्ण कुमार अच्छे साहित्यकार भी हैं, ऐसे में जोड़ी अच्छी जमी। लखनऊ तो शुरू से ही साहित्य और संस्कृति का केंद्र रहा है, ऐसे में यहाँ का प्रभाव पड़ना लाजिमी भी था। लखनऊ में रहते हुए ही मेरी आरम्भिक कविताएँ दैनिक जागरण, कादम्बिनी, गृह शोभा इत्यादि में प्रकाशित हुईं और फिर तो ये सिलसिला बढ़ता गया। 

(नन्ही ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) की मम्मी श्रीमती आकांक्षा यादव की "कलम और कला" के अंतर्गत प्रतिष्ठित अख़बार 'दैनिक जागरण', 9 मार्च, 2019 में चर्चा)