आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

सोमवार, मई 24, 2010

अंडमान में आए बारिश के दिन

आजकल अंडमान में खूब बारिश हो रही है. जब देखो तब बिजली कड़कने लगती है और बादल गरजने लगते हैं. कित्ता डर लगता है, बिजली की गडगडाहट सुनकर. पर इन सबके बीच छाता लेकर घूमने का मजा ही कुछ और है.

कभी बारिश आती है, तो कभी जाती है।

जब तेज हवा चलती है तो ऐसे लगता है कि मेरी छतरी तो गई. मेरे साथ-साथ पेड़-पौधे और ये गुलमोहर के फूल भी बारिश का मजा ले रहे हैं. अब देखिये, बारिश में भीगा-भीगा पोर्टब्लेयर भी कित्ता सुन्दर लगता है.



43 टिप्‍पणियां:

Shahroz ने कहा…

अले वाह, पाखी तो अंडमान में बारिश का जमकर लुत्फ़ ले रही हैं और हम लोग भीषण गर्मी में परेशान हैं.

Shahroz ने कहा…

पाखी का छाता और फूल भी बहुत प्यारे लगे..

Unknown ने कहा…

बारिश में पाखी की शैतानियाँ..वाह-वाह !!

Bhanwar Singh ने कहा…

आज तो पाखी छाता लेकर खूब घूम रही है. लगता है धमाल व मस्ती के मूड में है.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

लकी हो आप लोग..इधर तो गर्मी के मारे हाल बेहाल है.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

पाखी, अंडमान के कुछ बादलों को कहकर इधर भी भिजवा दो..

Amit Kumar Yadav ने कहा…

बड़े प्यारे-प्यारे दृश्य हैं, पाखी, छाता, बादल, बारिश, फूल और पोर्टब्लेयर. ज्यादा मत भीगना नहीं तो जुकाम हो सकता है. प्यार सहित,

बेनामी ने कहा…

ये रंग-बिरंगी पाखी कहाँ थी अभी तक, लम्बे समय बाद दिखी और वो भी बारिश के साथ दिखी.

S R Bharti ने कहा…

बारिश आई, बारिश आई
छतरी के दिन लाई
पाखी भीगे बारिश में
सबका मन खूब मोहाई

S R Bharti ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
S R Bharti ने कहा…

जब देखो तब बिजली कड़कने लगती है और बादल गरजने लगते हैं. कित्ता डर लगता है, बिजली की गडगडाहट सुनकर....हमें भी बहुत डर लगता है पाखी जी.

माधव( Madhav) ने कहा…

दिल्ली की गर्मी और उमस में पाखी को बारिस में भींगते देखकर जलन सी हो रही है , पर कोई बात नहीं , मुझे पता है की पाखी वहां से मानसून के बादल दिल्ली जरुर भेजेंगी , डाक विभाग से स्पीड पोस्ट कर दो बादलो को दिल्ली के लिए ,
पाखी, छाता, बादल, बारिश,गुलमोहर के फूल और पोर्टब्लेयर
पाखी की जय हो

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

पाखी, बारिश में पानी में कागज की नाव चलाने का मजा भी जरुर लेना.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आपके सभी चित्र पहले की भांति ही मनभावन व खूबसूरत...एक बार चित्रों के साथ-साथ अपनी प्यारी सी आवाज़ भी तो सुनाओ.

कडुवासच ने कहा…

...bahut sundar !!!

शरद कुमार ने कहा…

BEAUTIFULL...!!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Dr. Brajesh Uncle,

बादलों से आपका सन्देश जरुर कह दूंगी..पर मेरी सुनेंगे तो ना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Amit Chachu,

आपकी बात का ध्यान रखूंगी...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ अभिलाषा आंटी,

रंग-बिरंगी पाखी बारिश लाने गई थी और अब आ गई...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ माधव,
बादलों से आपका सन्देश जरुर कह दूंगी..पर मेरी सुनेंगे तो ना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Rashmi Singh Aunty,

कागज की नाव पानी में चलाने में मुझे खूब मजा आता है. और जल्दी ही आप सबको अपनी आवाज़ भी सुनाउंगी ..

माधव( Madhav) ने कहा…

बादल तो कालीदास का कहा मान गए थो तभी तो उन्होंने मेघदूत लिखा , पाखी कहेगी तो बादल जरुर मानेनेगे

Urmi ने कहा…

वाह पाखी बारीश में तो तुमने बहुत मज़े किए होंगे! बहुत ही सुन्दर और प्यारा चित्र!

Ashish (Ashu) ने कहा…

वाह मेरी पाखी की फोटो तो बहुत बहुत ही प्यारी आयी हॆ..पर पाखी बारिश का आनन्द छतरी मे नही आता..अगली बार जब बारिश हो तो बिना छतरी के बारिश मे भीग कर देखो...पर हा भीगने के बाद गीले कपडे मत पहनना नही तो जुकाम हो जायेगा ऒर आपके इस आशू अकंल को जुकाम से बहुत डर लगता हॆ..

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ी सुन्दर तस्वीरें है बारिश की..मालूम है क्यूँ..?? क्यूँकि पाखी खड़ी है न बारिश में..:)

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

अंडमान का मौसम प्यारा,
मेरे मन को भाया!
इसमें पाखी झूम रही है,
मेरा मन मुस्काया!

shubh ने कहा…

bahut hi pyari photography hai
aur achhe shabdo ka chayan bhi


www.meriankahibate.blogspot.com
mujhe margdharsan ki avshyakta hai:)

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

पाखी, जरा थोडी सी बारिश इधर भी भेज देना। मरे जा रहे हैं।

soni garg goyal ने कहा…

Nice one dear enjoy the rain........

Ashok Singh Raghuvanshi ने कहा…

पाखी!
तुम्हारे इस नटखट मूड से मिलती जुलती एक कविता भेँज रहा हूँ। बचपन मेँ इसे हम लोग खूब गाते थे।

अम्मा जरा देख तो ऊपर
चले आ रहेँ हैँ बादल
गरज रहेँ हैँ बरस रहेँ हैँ
दीख रहा है जल ही जल

हवा चल रही क्या पुरवाई
भीग रही है डाली डाली
ऊपर काली घटा घिरी है
नीचे फैली हरियाली

भीग रहेँ हैँ खेत बाग वन
भीग रहेँ हैँ घर आँगन
बाहर निकलूँ मैँ भी भीगूँ
चाह रहा है मेरा मन

बताना कैसी लगी?

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ माधव,

..फिर तो जरुर कहूँगी बादलों से.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Ashu Uncle,

एक तरफ तो आप कहते हो बिना छतरी के घूमो, फिर तो जुकाम भी होगा, तबियत भी ख़राब होगी..

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Samir Uncle ji,

आपकी बातें बड़ी प्यारी-प्यारी होती हैं, तभी तो हैं आप सबसे अच्छे वाले अंकल जी...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ रवि अंकल जी,

आजकल वैसे भी आप सरस पायस और चर्चा में सबके चहरे पर मुस्कान ला रहे हैं..सुन्दर-सुन्दर बातें.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Shubh Uncle,

Main to apka blog ghum bhi ayi aur comment bhi kiya..

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ नीरज अंकल,

अभी भेजती हूँ. मिलते ही बताइयेगा..थोडा धीमे-धीमे जायेंगे पर जून तक तो पहुँच ही जायेंगे.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ अशोक सिंह अंकल,

बहुत प्यारी..पढ़कर मजा आ गया..

संजय भास्‍कर ने कहा…

बड़ी सुन्दर तस्वीरें है बारिश की.....

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ माधव,
मैंने यहाँ से बदल भिजवाये थे...मिले क्या. उनसे मैंने कहा था की माधव को जरुर भिगो देना.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

खूबसूरत दृश्य..पाखी, जरा बच के नहीं तो जुकाम जी भी आ जायेंगे.

Shyama ने कहा…

Beautifull...!!

Shyama ने कहा…

थोडा बादल उत्तर प्रदेश में भी तो भिजवाइए पाखी जी. राजधानी वाले तो वैसे भी सब चीजें अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते हैं.

editor : guftgu ने कहा…

..काश उसकी दो-चार छींटे इधर भी आ जाएँ.