आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, मई 06, 2010

जब पाखी बनी खरगोश (Rabbit)

जब मैं कानपुर में कंगारू किड्स, प्ले स्कूल में पढ़ती थी तो हमारी टीचर हमें खूब हँसाती थीं. रोज नए-नए रूप में आतीं- कभी भालू, तो कभी शेर, कभी तोता, कभी खरगोश, कभी बिल्ली तो कभी बन्दर..बड़ा मजा आता था. हर हफ्ते हम लोगों को भी कुछ न कुछ टास्क दिया जाता था. एक दिन स्कूल पार्टी में हम सभी बच्चों को कुछ-न-कुछ बनना था. उस दिन मैं खरगोश बनी थी. घर पर ली गई उन तस्वीरों को आप भी देखें और बतायें कि आपकी पाखी खरगोश बनकर कैसी लग रही है...गुमसुम सा खरगोश..सोच में डूबा खरगोश..मस्ती के मूड में खरगोश...कुछ कह रहा है ये खरगोश ..

( इस पोस्ट की चर्चा आज ख़ुशी का दिन फिर आया (चर्चा मंच - 147) के अंतर्गत भी देखें )









44 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ये खरगोश तो बहुत प्यारा है..कहाँ से आया.

बेनामी ने कहा…

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com

SANJEEV RANA ने कहा…

इतना सुंदर खरगोश कहा से आया जी

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत प्यारा है.

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और प्यारा खरगोश है , अच्छी यादें है आपकी , इन्हें सहेजकर ब्लॉग पर लाये. अंदमान से घर के लिए कब निकल रही है?

http://madhavrai.blogspot.com/

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत प्यारा खरगोश है

M VERMA ने कहा…

पाखी को खरगोश बनने की क्या जरूरत है वह तो खुद खरगोश है

Udan Tashtari ने कहा…

अले ले!! खरगोश नहीं..खलगोश :)


बहुत ही प्यारी लग रही है बिटिया रानी. :)

Ashish (Ashu) ने कहा…

अरे वाह तुम तो बडी प्यारी लग रही हो..पर मम्मी ने गाजर नही दी खाने के लिये

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कित्ती सुंदर लग रही है : पाखी!
--
मेरे मन को तो भा गई!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अलग अलग मुद्राओं में बड़ी सुन्दर लग रही है पाखी ।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ अभिलाषा आंटी & संजीव अंकल जी !

ये खरगोश पाखी लाई. अच्छा है न.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ माधव,
धन्यवाद. 15 मई के बाद निकलने का प्रोग्राम है. और तुम क्या कर रहे हो छुट्टियों में.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ M Verma Uncle,

हा..हा..हा...मजेदार.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Samir Uncle ji,

वो तो मैं हूँ ही...और आपने अपने ब्लॉग पर 400पोस्ट लिख ली, पर इस ख़ुशी में चाकलेट नहीं खिलाई...उधार रही.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Ashish Uncle,

मम्मी से बोली तो थी पर वो बोलीं कि आशीष अंकल लाकर देंगे..सो जल्दी से आप लाओ मेरा गाजर.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ रवि अंकल,
धन्यवाद. बस अपना आशीष यूँ ही बनाये रहें.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ दराल दादा जी,
धन्यवाद. बस आप अपना आशीष और प्यार यूँ ही देते रहें.

Ashish (Ashu) ने कहा…

मम्मी ने सही कहा मॆ तुम्हारे लिये ढेर सारी गाजर लाया था पापा को दिया था तुम्हे देने के लिये,लगता हॆ वो भूल गये..कोई बात नही..अगली बार मॆ खुद दूगां

Ashish (Ashu) ने कहा…

मेरी फोटो देखकर डर मत जाना:)

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आकर्षक होने के कारण
इस पोस्ट को चर्चा मंच पर

"आज ख़ुशी का दिन फिर आया"

के रूप में सजाया गया है!

Amit Kumar Yadav ने कहा…

वह पाखी तो रैबिट बनकर बहुत क्यूट लग रही है..इसकी चर्चा आज रवि जी ने चर्चा मंच में प्राथमिकता के आधार पर की है..बधाई.

KK Yadav ने कहा…

पाखी तो खरगोश बनकर बड़ी खुश लग रही है...अभी और भी बहुत कुछ बाकी है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अरे! ये तो कुर्सी पर बैठा है खरगोश....बहुत प्यारी फोटो हैं....

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

अले वाह. पाखी तो खरगोश बनकर बड़ी प्यारी लग रही है..शुभकामनायें.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

एक नहीं चार खरगोश...मजेदार !!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Ashish Uncle,
हूँ..अगली बार मुझे ही देना आप. लगता है पापा खा गए सब गाजर.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Ashish Uncle,

फोटो देखकर क्यों डरना है. अपने ऑरकुट पर वो वाला चित्र कैसे बनाया जिसमें बुक में मेरी फोटो है और आप उसे देख रहे हैं.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@रवि अंकल जी,

चर्चा मंच में मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' की चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व धन्यवाद.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बड़ी मजेदार है पाखी . अब तो हमारा मन भी तुम्हारी तरह खरगोश बनने को कर रहा है. अपने कास्ट्यूम हमें दे जाओ.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

और हाँ एक बात बताओ, स्कूल का नाम 'कंगारू' किड्स पर बनाया 'खरगोश'...है न मजेदार.

Shyama ने कहा…

Akshita ! Looking so cute baby...Luv.

S R Bharti ने कहा…

खुबसूरत चित्र ...

Bhanwar Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर पाखी. नए-नए रूप..मन को भा गए.

Shahroz ने कहा…

पाखी..अति सुन्दर लाजवाब. नजर न लगे. काला टीका लगा लो.

Shahroz ने कहा…

पाखी, आज जनसत्ता में आपके पापा के लेख "प्रलय का इंतजार" में आपकी भी खूब चर्चा है..बधाई.

raghav ने कहा…

पाखी को तो हर अंदाज़ निराला है...मनभावन !!

मन-मयूर ने कहा…

ये तो खूब रही पाखी ...रोचक व दिलचस्प खरगोश. मेरी तरफ से इसे गाजर जरुर खिला देना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Rashmi Aunty,

सोचो, आप खरगोश बनकर कैसी लगोगी...बस बच्चे लोग बनते हैं.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Shahroj Aunty,

इत्ती सुन्दर लग रही हूँ क्या.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ ShahroZ Aunty,

फिर मैं भी पढूंगी जनसत्ता का वह लेख. पर आज लगता है अख़बार वाले ने जनसत्ता दिया ही नहीं.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ ersmopys Uncle,

..पहले आप गाजर तो लाकर दो. फिर खिला दूंगी.

शरद कुमार ने कहा…

लगता है हमीं लेट हैं बस..खैर अब आ गए पाखी के लिए ढेर सारी चाकलेट लेकर और इस प्यारे से रैबिट के लिए गाज़र लेकर.

editor : guftgu ने कहा…

ये खरगोश तो बहुत प्यारा है..