आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में ताऊ जी ने मेरी एक प्यारी सी कविता -'मिल्क पाउडर ही पी जाएँ' प्रकाशित की है। ताऊ जी ने मेरी फोटो और परिचय प्रकाशित करते हुए लिखा है कि- अब इस पोस्ट में पढिये इस प्रतियोगिता की सबसे नन्ही प्रतिभागी कु. अक्षिता (पाखी) की ये व्यंग रचना...
लेखिका परिचय :
नाम- अक्षिता
निक नेम - पाखी
जन्म- 25 मार्च, 2007 (कानपुर)
मम्मी-पापा - श्रीमती आकांक्षा - श्री कृष्ण कुमार यादव
अध्ययनरत - नर्सरी, कार्मेल स्कूल, पोर्टब्लेयर
रुचियाँ - प्लेयिंग, डांसिंग, ड्राइंग, बाल कवितायेँ पढ़ना व लिखना, ब्लागिंग
मूल निवास - तहबरपुर, आजमगढ़ (यू.पी.)
वर्तमान पता - द्वारा- श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
ई-मेल- akshita_06@rediffmail.com ब्लॉग- पाखी की दुनिया
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ
दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ ।
दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है
जब उससे करूँ शिकायत
रोये, महँगाई की मार है।
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।
लेखिका परिचय :
नाम- अक्षिता
निक नेम - पाखी
जन्म- 25 मार्च, 2007 (कानपुर)
मम्मी-पापा - श्रीमती आकांक्षा - श्री कृष्ण कुमार यादव
अध्ययनरत - नर्सरी, कार्मेल स्कूल, पोर्टब्लेयर
रुचियाँ - प्लेयिंग, डांसिंग, ड्राइंग, बाल कवितायेँ पढ़ना व लिखना, ब्लागिंग
मूल निवास - तहबरपुर, आजमगढ़ (यू.पी.)
वर्तमान पता - द्वारा- श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
ई-मेल- akshita_06@rediffmail.com ब्लॉग- पाखी की दुनिया
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ
दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ ।
दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है
जब उससे करूँ शिकायत
रोये, महँगाई की मार है।
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।
अच्छी लगी ना मेरी ये कविता..अब आप भी ये बात ताऊ जी को वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : कु0 अक्षिता (पाखी) लिंक पर जाकर बता आइये !!
46 टिप्पणियां:
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।
सचमुच बहुत अच्छी लगी ये कविता ।
Bahut sundar pakhi..ab to apko man gaye.
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ.
...बहुत खूब अक्षिता..करार व्यंग्य कसा है आज के समाज पर, जो अपने बच्चों को एक अदद शुद्ध दूध नहीं दे सकता.
..और हाँ वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में आपसे एक दिन पहले मेरी भी कविता प्रकाशित हुई है, जरुर पढना.
पाखी, हम तो पहले ही पढ़ आए थे..वाकई बच्चों की व्यथा पर सुन्दर व्यंग्य...मज़बूरी है. .. शुभकामनायें.
बहुत गहरी सोच, पाखी ! आपकी बात तो सीधे दिल को छू गयी.
वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में पाखी की सहभागिता देखकर अच्छा लगा. वाकई बच्चे ही कल के भविष्य हैं. अक्षिता को "पाखी की दुनिया'' पर सदैव से पढ़ती-देखती आ रही हूँ. परिकल्पना ब्लागोत्सव में भी पहले दिन ही अक्षिता की प्रस्तुति देखकर मन गदगद हो गया था..फिर वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में ..बल्ले-बल्ले. पाखी को खूब बधाई..उन्नति करो.
अक्षिता की ये रचना
मेरे दिल को भाई
खा लो अक्षिता
मेरी तरफ से मिठाई.
आजकल तो बच्चे काफी स्मार्ट हो गए हैं. इतनी कम उम्र में ही हर जगह दिखने लगे हैं. कोई कहता है कि बचपना छीन रहा है, तो कहीं बच्चे इसी उम्र में अपनी विलक्षण रचनात्मकता को दर्शा रहे हैं...TV चैनल्स के रियल्टी शो से लेकर ब्लागिंग तक बच्चों की अपनी समानांतर दुनिया है. इन बच्चों को यहाँ तक लाने में उनके मम्मी-पापा और परिवारीजनों का बहुत योगदान है. वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में नन्हीं ब्लागर पाखी की प्रस्तुति भी काफी मनभावन लगी. संचालकों को बधाई.
..और हाँ, एक डाक्टर की नज़र से इतना अवश्य कहूँगा कि डिब्बा बंद दूध स्वस्थ्य के लिए बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता. इसका इस्तेमाल मज़बूरी में ही किया जाय.
दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ ।
...परेशान तो मैं भी हूँ पाखी. अब किससे कहें...लाजवाब रचना.
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ.
बहुत समझदार हो गयी बिटिया रानी ...
हम बड़े कब जागेंगे ....अब तो जागना हो होगा...
बिटिया रानी को बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ
वाह पाखी! बहुत खूब! लाजवाब! हर एक शब्द दिल को छू गयी! बेहद सुन्दर और भावपूर्ण व्यंग्य रचना!
पाखी के क्या कहने..हर जगह धूम ही धूम ....बधाई.
पाखी, कविता तो शानदार बनाई. मम्मी-पापा के बाद अब पाखी भी ...
दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है
जब उससे करूँ शिकायत
रोये, महँगाई की मार है।
....मेरा दूध वाला भी यही कहता है पाखी. उसे मैं तुम्हारी इस कविता के बारे में जरुर बताऊंगा.
पाखी, इसे मैंने सुबह ही पढ़ लिया था. बच्चों की व्यथा को शब्द देती सुन्दर कविता..आशीर्वाद व बधाई !!
यह तो वाकई सोचने वाली बात है..गंभीर सवाल !!
पाखी के मनोभावों पर जाइए और सोचिये कि क्या यही सच नहीं है. दुर्भाग्य से आज सच ही व्यंग्य बन गया है. यह समाज का अंतर्दंध है...???
bahut hi achhi kavita hai pakhi...
yun hi likhte raho, aur hum sab ka pyar paate raho....
dher saara pyaar.......
बच्चों के मन की अंतर्वेदना का भावपूर्ण चित्रण..शानदार है.
पाखी ममा से कहो कि ममा मुझे काजल का टीका लगा दो ..नही तो लोगों की नजर लग जायेगी..
आप सभी के प्यार और आशीष के लिए ढेर सारा प्यार व धन्यवाद !!
@ Rashmi Singh Aunty,
खैर इत्ती प्यारी लग रही हूँ तो ..ठीक है कह देती हूँ...
@ शरद अंकल,
जरुर बताना और कहना कि अब पानी नहीं मिलाये.
@ Shahroj Aunty,
ab apko nahin kahna padega..maine pahle hi kah diya hai.
@ अभिलाषा आंटी,
पूरे 5 मिठाई खाऊँगीआपकी तरफ से..
मेरी सलाह हॆ कि मिल्क पाउडर थोडा कम ही खाना बचपन मे मेरा तो पेट खराब हो गया था ज्यादा खाने पर{कम इस लिये भी मुझे आज भी पसन्द हॆ..तो मेरे लिये भी थोडा सा बचा के रखना}
@ Dr. Brajesh Uncle,
अंकल बात तो आपकी सही है, पर शुद्ध दूध मिले तो सही...
@ Amit Uncle,
आपकी कविता भी मैंने देखी..बढ़िया है.
@ Ashish Uncle,
आप कित्ते प्यारे अंकल हैं. आपके लिए थोडा नहीं ढेर सारा बचाकर रखूंगी.
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।
कुछ जुदा ही अंदाज है ...खूब पसंद आई पाखी की ये रचना.
दूधवाले को कविता सुनाना .. जरूर अच्छा दूध देगा !!
pakhi tumhari socha ko salam
पाखी बचिया … का करोगी, पहिले जमाना में हरियाली था त गाय गोरू को हरा हरा घास खाने को मिलता थ, अब त गाय माता बेचारी रूखा सूखा खाकर पतला पनीला दूध देती है... दूधवाला सच्चो पानी नहीं मिलाए होगा तइयो लोग बिस्बास नहीं करेगा...एक बार सोचकर देखो कि पतला दूध अगर बच्चा का दर्द है, त ऊ गाय का बछड़ा का बारे में कौन सोचेगा जिसके माँ का दूध हम अपने बच्चा लोग को पिला देते हैं उनसे छीनकर... एक बार सोचना इस बारे में भी..
akshita beta ham bhi in dudhiyao se bahut pareshan hai.
aap mother dairy ko bulao
uska doodh pee jao
koi gad-bad kare to
sarkar se pitwao
aapki kavita bahut acchhi he.
देख आये सुबह ही बिटिया रानी को वहाँ..बधाई पाखी.
वहाँ तो पहले ही जा आये.. यहाँ भी बधाई लेलो.. सुन्दर रचना की..
Haardik Badhayi.
बहुत अच्छी लगी ये कविता ।
बहुत गहरी सोच, पाखी..........
बहुत गहरी सोच, पाखी...........
...बहुत खूब, लाजबाब !
हा हा हा....सही कहा पाखी ने....
:)
बहुत अच्छा लगा यह जानकर!
बच्चों की व्यथा को शब्द देती सुन्दर व्यंग्य रचना...पाखी को बधाई !!
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