आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, जून 10, 2010

पाखी की शरारत

कई बार शरारतें कित्ती अच्छी लगती हैं. जैसे बकेट से नहाने की बजाय उसमें खड़े होकर मस्ती करना...

..और जब कोई निकलने को कहे तो उन्हें जीभ निकालकर चिढाना..

है ना मजेदार !!

27 टिप्‍पणियां:

रंजन (Ranjan) ने कहा…

मस्त..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत मजेदार..पानी बिखराती..और मम्मा परेशान होती तब और मजा आता..हा हा!!

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

yahi to bachpan hai

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

पाखी, जब हम तेरी उम्र के थे तब बकेट में नहीं जोहड में नहाते थे।फिर किसकी मजाल कि हमें बाहर निकाल दे।

Shekhar Kumawat ने कहा…

वाह वाह

Shubham Jain ने कहा…

mumma ko tang karna hi to sabse jayada majedaar hota hai...

hai na paakhi...khub masti karo!

सीमा सचदेव ने कहा…

MAST , LAGE RAHO AUR KHUSH RAHO....SEEMA SACHDEV

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

kya bat hai, nice

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

पाखी की हर शरारत प्यारी होती है..आशीष.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

वैसे चिढाया किसे जा रहा है ममा को या पापा को.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

पोर्टब्लेयर में पाखी की शरारतें बढ़ गई हैं...मजेदार !!

Bhanwar Singh ने कहा…

पाखी की शरारतें भी पाखी की तरह स्वीट होती हैं...बधाई.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ समीर अंकल जी,

सही बात कही आपने..हा..हा..हा..

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ नीरज अंकल,

अब तो जिस तरह से पानी ख़त्म हो रहा है, उसके बारे में भी सोचना पड़ता है ना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ शुभम आंटी ,

पर रोज नहीं, कभी-कभी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

एकदम मस्त....गर्मियों में तो यही अच्छा लगता है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Rashmi Aunty,

हा..हा..हा...ये क्यों बताऊँ. वैसे आप सोचो ना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ DR. Brajesh Uncle,

पोर्टब्लेयर में ही क्यों अंकल जी, मैं तो कानपुर में भी खूब शरारतें करती थी.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

बहुत खूब पाखी बेटू..मस्ती करो और जमकर पढाई भी करो.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

सुंदर!

Shahroz ने कहा…

यही तो शरारत के दिन हैं पाखी..लाजवाब चित्र.

Unknown ने कहा…

नन्हीं सी पाखी की नटखट शरारतें..मजेदार.

Unknown ने कहा…

बचपन में हम भी तालाबों में खूब नहाते थे पाखी. याद दिला दी आपने उन दिनों की.

बेनामी ने कहा…

पाखी की बातों और शरारतों में एक अद्भुत प्यार है, जो लोगों को अपनी ओर स्वत: आकर्षित कर लेती है. और हाँ, फोटो तो मस्त लगाई है....बधाई.

M VERMA ने कहा…

अच्छा तो ये बात है पाखी शरारत भी करती है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

अरे! वाह..... बेटा कितना अच्छा लग रहा है....

संजय भास्‍कर ने कहा…

यही तो शरारत के दिन हैं पाखी..लाजवाब चित्र.