अब यहाँ अंडमान में आ गई हूँ तो उनकी याद आती है. मन करता है कि वे भी उड़ कर यहाँ आ जातीं तो कितना मजा आता. यहाँ हमारे घर के पीछे अंडमान टील हॉउस है. इन दोनों के बीच में खाई है, जहाँ ढेर सारे पेड़-पौधे हैं. रोज शाम को वहां चिड़ियों को देखती हूँ, पर कानपुर वाली गौरैया की अभी भी याद आती है। पता नहीं अब उसे कोई दाना खिलाता भी होगा या नहीं. पापा ने बताया आज 'विश्व गौरैया दिवस' है, तो मुझे अपनी गौरैया की और भी याद आई. मम्मी के साथ मिलकर एक प्यारा सा गीत बनाया. आप भी पढ़ें और अपनी राय दें-
उड़कर आई नन्हीं गौरैया
लान में हमारे।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
लगते कितने प्यारे।
गौरैया रोज तिनका लाती
प्यारा सा घोंसला बनाती।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
चोंच से खाना खिलाती।
19 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर. मनभावन गीत. गौरैया भला किसे नहीं प्यारी होती.
विश्व गौरैया दिवस पर इस नन्हीं चिड़िया की जान बचाने का संकल्प लें. तभी इस दिन की सार्थकता होगी. आपने बेहतरीन लिखा..बधाई.
विश्व गौरैया दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति. पाखी की बात ही निराली है, फिर बाल-गीत के क्या कहने.
अरे वाह, पाखी तो बड़ी समझदार बेबी है. कित्ता प्यारा लिखती है. ढेर सारा आशीर्वाद.
so cute pakhi. I love sparrow just like u 2 much.
so cute pakhi. I love sparrow just like u 2 much.
हमें तो पता ही नहीं था इस दिन के बारे में. कितनी बढ़िया बात है, बशर्ते यह लोगों की सोच बदल सके, ठीक हमारी पाखी की तरह.
अफ़सोस अब गौरैया नहीं आयेगी....मैंने मना कर दिया है....
..............
हे गौरैया....तुम मत आना
आज है विश्व गौरैया दिवस....
पर तुम मत आना...भूल कर भी मत आना
http://laddoospeaks.blogspot.com
गौरैया के बहाने तो आपने बचपन की याद दिला दी. जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। पर यही गौरैया अब खतरे में है.
पाखी बेटू, दाना तो हम भी खिलाना चाहते हैं, पर गौरैया दिखे तो सही. आप लकी हो क़ि आपको दिख जाती हैं. उम्दा पोस्ट की शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर. मनभावन गीत. गौरैया भला किसे नहीं प्यारी होती.
अरे वाह,आपकी रचना तो बिलकुल आपकी तरह ही प्यारी है.
पाखी ,तुम्हारा गीत वाकयी बहुत सुन्दर है---अच्छा लगा----तुम चाहो तो अपने इन छोटे छोटे बाल गीतों को नेशनल बुक ट्रस्ट ,नई दिल्ली की पत्रिका पाठक मंच बुलेटिन में भेज सकती हो। वहां का पता है-------संपादक,पाठक मंच बुलेटिन,नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया,नेहरू भवन,5 इंस्टीट्यूशनल एरिया,फ़ेज-2,वसन्त कुंज,नई दिल्ली-110070 अब तो 25 मार्च आने वाला है---
पूत के पांव पालने में. अभी से ये होनहारी. पाखी नज़र ना लगे.
बहुत सार्थक पोस्ट. सच गौरैया तो जैसे भूली बिसरी बात हो गयी है.गुजरात में थी मैं तो दिखती थी पर दिल्ली में तो शायद नहीं देखी. हाँ मेरे घर कौवों की आज भी रोज़ दावत होती है यहीं दिल्ली में
गौरैया बहुत ही प्यारी पंछी है और मुझे बेहद पसंद है! आपने बहुत सुन्दर चित्र लिया है और साथ ही साथ बहुत बढ़िया विस्तारित रूप से प्रस्तुत किया है जो सराहनीय है! बधाई!
पाखी, आपका गीत पढ़कर अच्छा लगा. जैसे सुन्दर आप, वैसा आपका गीत.
इस पोस्ट से याद आया कि कायदे से गौरैया देखे भी अरसा बीत गया. पहले हमारे गाँव वाले घर के आंगन में उनका डेरा था, पर जब से गाँव वाले घर को नया रूप दिया, वे गायब ही हो गई.
सुन्दर, सार्थक भावपूर्ण रचना. बधाई.
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