यहाँ अंडमान में तो खूब बारिश हो रही है. सुबह स्कूल जाती हूँ तो बारिश होती है और शाम को बारिश के चलते पार्क में भी मस्ती नहीं हो पा रही है. कई बार इत्ती तेज हवाएं होती हैं कि अम्ब्रेला भी किसी काम का नहीं. अब तो मैंने रेन-कोट ले लिया है और इसे पहनकर स्कूल जाती हूँ. बारिश ख़त्म होगी तो फिर से पार्क में मस्ती....Rain-Rain go away
Come again another day
Little Pakhi wants to play
Rain-Rain go away.
38 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लगा!
पाखी अभी आने दे न.. दिल नहीं भरा...
प्यार
बहुत ही सुन्दर ।
रेनकोट पहन, बारिश में दौड़ लगाने का अलग ही आनन्द है।
पाखी, बारिश के मौसम में रेनकोट पहन कर दौड़ लगाना लेकिन कीचड़ और फिसलन से बचकर...
हमने तो अभी तक बारिश का ठीक से मजा भी नहीं लिया पाखी..कुछ दिन और रुक जाओ.
नन्हा-मन पर आपकी ड्राइंग देखी. ..अप तो बहुत अच्छी आर्टिस्ट हो.
-पाखी तुम बहुत प्यारी बच्ची हो |इसी तरह लिखती रहीं तो एक दिन बहुत अच्छी लेखिका बनोगी |
बहुत सा प्यार |आशा
रेन कोट को पहन के निकली,
पाखी गुड़िया रानी.
बिन भीगे बरखा में नहाती,
हो गई बहुत सयानी,
Pankhi rain coat me jam rahi hai.......:)
बरखा रानी , ज़रा थम के बरसो
पाखी बिटिया , स्कूल से आ जाये तो
चाहे जम के फिर बरसो ।
Baarish koi roz-roz to aati nahi . Isliye aap bhi baarish ka jamkar luft uthaao.
Baarish koi roz-roz to aati nahi . Isliye aap bhi baarish ka jamkar luft uthaao.
अरे पाखी अभी और बरसने दो बारिश नही होगी तो फसल भी अच्छी नही होगी। वैसे रेन कोट मे जंच रही हो खूब मस्ती करो। आशीर्वाद। हाँ एक बात पूछना चाहती हूँ क्या तुम अपने देश से प्यार करती हो? अगर हाँ तो देश के लिये क्या करना चाहोगी? अगली पोस्ट पर जवाब देना। खुश रहो।
अरे वाह!
अब पाखी के पास रेन कोट है ही....
तो बरखा रानी ... अब जम के बरसो....
और इधर इस तरफ भी इंतज़ार है
पाखी जी ,,, रेन जी को इधर भी भेज दीजिये... !!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सुन्दर रेन कोट
बहुत सुंदर : सरस चर्चा ( 7 ) में
इस पोस्ट को शामिल किया गया है!
अंडमान में जमकर बारिश, पर इधर तो अभी तक रिमझिम ही...रेनकोट तो मस्त है पाखी का.
पाखी, कुछ बारिश इधर भी तो भेजो..रेनकोट में फब रही हो.
पाखी, कुछ बारिश इधर भी तो भेजो..रेनकोट में फब रही हो.
Rain-Rain go away...so nice.
Ha..ha..ha..majedar.
Looking cute ...
पाखी, एक रेन-कोट हमारे लिए भी खरीद दो न.
बारिश ख़त्म होगी तो फिर से पार्क में मस्ती....majedar raha.
very good.
@ रंजन अंकल,
...फिर ठीक है. कुछ दिन और बारिश का मजा लेते हैं...
@ Asha दादी जी,
बस यूँ ही अपना प्यार और आशीष आप देती रहें....
@ दीनदयाल अंकल जी,
अले वाह, आपने तो प्यारी सी कविता ही बना दी..अच्छी लगी.
@ दराल दादा जी,
..फिर शाम को पार्क में कैसे जाऊगीं. ..
@ निर्मला दादी जी,
आपने अच्छा सवाल पूछा. मैं तो अपने देश से बहुत प्यार करती हूँ, पर मुझे बहुत ख़राब लगता है जब मेरी ही उम्र का कोई बच्चा खाने या कपडे के बिना रहता है. मेरा वश चले तो ऐसी लोगों के लिए खाने और कपडे की व्यवस्था करूँ और फिर उन्हें स्कूल भी भेजूं. कानपुर में मैंने मामा-पापा के साथ ऐसा कुछ किया था.
@ MUFLIS Uncle,
Rain ko bheja tha, milin ki nahin.
@ रवि अंकल,
इस प्यारी सी चर्चा के लिए प्यार व आभार.
@ Ratnesh Uncle,
Bheja to tha...
@ Dr. Brajesh Uncle,
..आपको मेरे लिए खरीदना चाहिए और आप तो उलटे मुझसे ही मांग रहे हो. जल्दी से एक रेनकोट भेजिएगा..इंतजार करूँगीं.
मेरी यह पोस्ट आप सभी को पसंद आई न...बस ऐसे ही अपना प्यार और आशीष देते रहिएगा.
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