ज्वालामुखी का नाम तो सभी ने सुना होगा, पर कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी (Mud Volcano) का नाम सुना है क्या आपने...और अगर सुना है तो देखा है क्या. नहीं ना, तो चलिए मैं दिखाती हूँ.पिछले दिनों ममा-पापा के साथ मैं अंडमान के बाराटांग द्वीप पर घूमने गई, वहीँ पर मुझे ये कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी (Mud Volcano) देखने को मिले. पूरे भारत में ये सिर्फ अंडमान में ही पाए जाते हैं. 13 जून, 2010 को जनसत्ता अख़बार के रविवासरीय पेज पर इस सम्बन्ध में पापा का एक लेख 'कीचड़ वाला ज्वालामुखी' प्रकाशित भी हुआ था. उस लेख को भी मैं यहाँ दे रही हूँ, ताकि इस सम्बन्ध में सभी को जानकारी मिल सके- पंक (कीचड़) ज्वालामुखी सामान्यतया एक लघु व अस्थायी संरचना हैं जो पृथ्वी के अन्दर जैव व कार्बनिक पदाथों के अपक्षय से उत्सर्जित प्राकृतिक गैस द्वारा निर्मित होते हैं। गैस जैसे-जैसे अन्दर से कीचड़ को बाहर फेंकती है, यह जमा होकर कठोर होती जाती है। वक्त के साथ यही पंक ज्वालामुखी का रुप ले लेती है, जिसके क्रेटर से कीचड़, गैस व पत्थर निकलता रहता है। विश्व में अधिकतर पंक ज्वालामुखी काला सागर व कैस्पियन सागर के तटों पर मिलते हैं। इनमें वेनेजुएला, ताइवान, इंडानेशिया, रोमानिया और अजरबैजान के बाकू शहर प्रसिद्ध हैं। अब तक कुल खोजे गए 700 पंक ज्वालामुखी में से 300 पूर्वोतर अजरबैजान व कैस्पियन सागर में हैं। सबसे विशाल पंक ज्वालामुखी कैस्पियन सागर क्षेत्र में पाया गया है, जो कि लगभग एक कि0मी0 चैड़ा व उंचाई सैकड़ा मी0 में है। समुद्र के अंदर से तरल पदार्थ बाहर निकलने का पंक ज्वालामुखी एक प्रमुख स्रोत है। जहाँ सामान्य ज्वालामुखी में भूपटल को फोड़कर पिघले पत्थर, राख, वाष्प व लावा निकलते है, वहीं पंक ज्वालामुखी से कीचड़, गैस व पत्थर निकलते हैं। उत्सर्जन के दौरान निकला कीचड़ गर्म नहीं अपितु ठण्डा होता है।
बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के बाराटांग द्वीप में जारवा क्रीक गाँव में 18 फरवरी 2003 की सांय 7:45 बजे सर्वप्रथम पंक ज्वालामुखी का उद्भव हुआ। जबरदस्त विस्फोट के साथ उत्पन्न इस प्रक्रिया में थोड़ा कंपन भी महसूस हुआ। इससे पूर्व 1983 में इसी जगह दरार पड़ गई थी। अंतिम बार यह 26 दिसम्बर 2004 को जबरदस्त विस्फोट व कंपन के साथ उत्सर्जित हुआ था। फिलहाल अंडमान में इस तरह के 11 पंक ज्वालामुखी पाए गए हैं, जिनमें से 08 बाराटांग व मध्य अंडमान में एवं 03 डिगलीपुर (उत्तरी अंडमान) में अवस्थित हैं। ये पंक ज्वालामुखी 1000-1200 वर्ग मी0 के क्षेत्र में विस्तृत हैं और लगभग 30 मी0 व्यास व 2 मी0 उंचे अर्धवृत्ताकार टिब्बे का निर्माण करते हैं। इनके चलते विवर्तनिक रुप से अस्थायी भू-भागों का निर्माण होता है और कालांतर में ऐसी परिघटनाओं से ही नए द्वीपों का भी निर्माण होता है। ये मानव व मानवीय संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं। फिलहाल ये पर्यटकों के लिए आर्कषण का केद्र-बिन्दु हैं।
46 टिप्पणियां:
दूर रहना तुम तो.. इससे..
प्यार...
nice informations.......
waise tum keechar me kamal ke tarah deekh rahi ho....:0
god bless!!
I had also visited that place when I was there .A nice description .congrats
Asha
बहुत अच्छी और नई जानकारी मिली हमें तो ।
और आपने देख भी लिया । हमने भी आप के साथ देखा ।
थैंक यू ।
इसके बारे में एक बार टीवी में भी देखा है। चित्र और ज्यादा होने चाहिये थे।
अण्डमान निकोबार में और घूमो, ताकि हमें उधर की जानकारी मिलती रहे।
acchi jaankari dene ke liye bahut dhanyavaad beta ! aap itni paas chali gayi, aapko dar nahi laga?
pakhi ko mera dher sara pyar.........bahut achhi jankari di is kamal si gudiya ne.....sada muskurati raho phoolon sa.
पाखी बेटा, आप इतने छोटे प्यारे से दिखते हो और इतना अच्छा लिखते हो. आप ही लिखते हो न? सच-सच बताना. अगर आप ही लिखते हो तो अपना ताजा नया फोटो ब्लाग पर लगाओ न. बहरहाल आप बहुत जानकारी भरा लेख लिखते हो. बधाई. ऐसे ही लिखते रहो. बडे होकर और अच्छा लिखोगे. शुभकामनायें.
चलो इस ज्वालामुखी के भी दर्शन हो गए... शुक्रिया पाखी ~~~
पाखी बिटिया ने तो बहुत अच्छी जानकारी दी ...तुम्हारे पापा ने बहुत अच्छा लिखा है...और चित्र भी बहुत बढ़िया दिए हैं....शुभकामनायें
bahut hi achhi aur sajag jankari....dher sara pyar...
वाह बहुत अच्छी जानकारी , बैरेन आइलैंड पर शायद एक्टिवे जवालामुखी भी है
पाखी बिटिया ने तो बहुत अच्छी जानकारी दी और नई जानकारी मिली हमें तो । आपने देख भी लिया। हमने भी आप के साथ देखा ।
bahut bahut pyaar
बड़ी अच्छी जानकारी मिली मड-वोल्केनो पर पाखी जी. आपके पापा का यह आलेख हमने भी जनसत्ता में पढ़ा था.
वाह भाई, यह तो नई बात रही हमारे लिए...आभार. आप लोग तो खूब घूम रहे हैं.
...चित्र देखकर तो और भी सजीवता आ गई.
ज्वालामुखी के बारे में तो सुना था, पर कीचड़ वाले ज्वालामुखी के बारे में पहली बार सुना. आपको और आपके पापा कृष्ण कुमार जी को साधुवाद.
ज्ञानवर्धक बात बताई आपने पाखी. फोटो तो काफी जीवंत हैं.
आपके पापा का यह सारगर्भित आलेख हमने भी जनसत्ता में पढ़ा था और उनके ब्लॉग पर भी देखा.
पाखी बेटा, बच के रहना इस ज्वालामुखी से. थोडा दूर से ही.
ारे पाखी बेता क्या तुम्हें डर नही लगता इन से/ बचना। आशीर्वाद।
जानकारी तो तुम्हारी पोस्ट से हमेशा ही मिलती है और हर जानकारी अनोखी होती है...जितनी अनोखी पाखी उतनी अनोखी पाखी की पोस्ट... बहुत बहुत धन्यवाद... लेकिन इस ज्वालामुखी से कोई सीख मत लेना... इंसान इंसान के ऊपर कीचड़ उछालता अच्छा नहीं लगता... है ना?
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने।
पाखी बिटिया ने तो बहुत अच्छी जानकारी दी ।
@ Mukesh Uncle,
waise tum keechar me kamal ke tarah deekh rahi ho********कीचड़ में कमल...बढ़िया है ना.
@ Asha Aunty,
चलिए अच्छा हुआ कि आपने भी इसे देखा है. वैसे है ही यह जगह देखने लायक. पूरे भारत में सिर्फ अंडमान में.
@ नीरज जाट अंकल,
मुझे तो घूमना खूब अच्छा लगता है अंकल जी. वैसे भी मैं तो अपने ब्लॉग पर अंडमान के बारे में ढेर सारी बातें बताती रहती हूँ.
@ नीरज जाट अंकल,
मड-वोल्केनो के कुछ चित्र आप पापा के ब्लॉग पर भी देख सकते हैं.
http://www.kkyadav.blogspot.com/
सैल आंटी,
सही बताऊँ आपको. इतने पास जाना अलाऊ नहीं है. डर भी लगता है. पर जब भी इसमें विस्फोट होता है, तो २-४ दिन पहले से ही प्रक्रिया आरंभ हो जाती है और लोगों को पता चल जाता है.
@ डा0 सुभाष राय अंकल ,
इस ब्लॉग पर तो बस मेरी बातें होती हैं. अभी इतना कहाँ से लिख पाऊँगी. उसके लिए ममा-पापा हैं ना. मुझे जो चीज अच्छी लिखती है, वह ममा-पापा से लिखने को कहती हूँ. भाव मेरे- काफी हद तक शब्द भी मेरे पर प्रस्तुति ममा-पापा की तरफ से. यहाँ लगा चित्र मेरा ही है और अभी का ही है.
@ माधव,
हाँ, यही पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी भी बैरन आइलैंड पर है.
@ संवेदना के स्वर जी,
ठीक कहा आपने....ध्यान रखूंगी.
पहली बार कीचड़ वाले ज्वालामुखी के बारे में सुना..शानदार पोस्ट.
अद्भुत...नई जानकारी पर रोचक..साधुवाद.
काश ये ज्वालामुखी राजनेताओं पर भी कीचड़ फेंकते, ताकि उनकी कमीज का रंग बखूबी दिखाई देने लगता.
कुदरत की भी अजीब नियामत है. इसी धरा पर न जाने क्या-क्या है, जो लोगों को पता तक नहीं...उम्दा जानकारी.
आपके अंडमान में रहने का यही तो फायदा है, कि नित नई जानकारियाँ मिलती हैं.
पाखी की दुनिया में नई-नई बातें...बहुत खूब. मड-वोल्केनो के बारे में लाजवाब जानकारी...धन्यवाद.
अंडमान की अनोखी दुनिया...नई-नई जानकारियां. मड-वोल्केनो देखकर अच्छा लगा , पर डर भी.
बहुत बढ़िया जानकारी मिली...बेटू, जरा दूर से खड़े होकर फोटो खिंचवाओ, हमें तो डर लगता है.
हमने तो आजतक देखा ही नहीं. असली वाला देखा है. :)
मनभावन होने के कारण
"सरस पायस" पर हुई "सरस चर्चा ( 3 )" में
ख़ुशियों की बारात हो रही!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
@ शरद अंकल,
कितनी मजेदार बात कही आपने..हा..हा..हा...
@ समीर अंकल जी,
अगली बार से आपकी बात का ध्यान रखूंगी.
@ रवि अंकल जी,
चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व धन्यवाद. मैंने भी जाकर देखा और कमेन्ट भी लिखा.
अरे वाह !! इस बारे में तो पहली बार जाना... शुक्रिया !!
Are wah Pakhi!....bhai maza aa gayaa!...khush raho!
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