जब मैं कानपुर में कंगारू किड्स, प्ले स्कूल में पढ़ती थी तो हमारी टीचर हमें खूब हँसाती थीं. रोज नए-नए रूप में आतीं- कभी भालू, तो कभी शेर, कभी तोता, कभी खरगोश, कभी बिल्ली तो कभी बन्दर..बड़ा मजा आता था. हर हफ्ते हम लोगों को भी कुछ न कुछ टास्क दिया जाता था. एक दिन स्कूल पार्टी में हम सभी बच्चों को कुछ-न-कुछ बनना था. उस दिन मैं खरगोश बनी थी. घर पर ली गई उन तस्वीरों को आप भी देखें और बतायें कि आपकी पाखी खरगोश बनकर कैसी लग रही है...गुमसुम सा खरगोश..सोच में डूबा खरगोश..मस्ती के मूड में खरगोश...कुछ कह रहा है ये खरगोश ..
44 टिप्पणियां:
ये खरगोश तो बहुत प्यारा है..कहाँ से आया.
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com
इतना सुंदर खरगोश कहा से आया जी
बहुत प्यारा है.
बहुत ही सुन्दर और प्यारा खरगोश है , अच्छी यादें है आपकी , इन्हें सहेजकर ब्लॉग पर लाये. अंदमान से घर के लिए कब निकल रही है?
http://madhavrai.blogspot.com/
बहुत प्यारा खरगोश है
पाखी को खरगोश बनने की क्या जरूरत है वह तो खुद खरगोश है
अले ले!! खरगोश नहीं..खलगोश :)
बहुत ही प्यारी लग रही है बिटिया रानी. :)
अरे वाह तुम तो बडी प्यारी लग रही हो..पर मम्मी ने गाजर नही दी खाने के लिये
कित्ती सुंदर लग रही है : पाखी!
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मेरे मन को तो भा गई!
अलग अलग मुद्राओं में बड़ी सुन्दर लग रही है पाखी ।
@ अभिलाषा आंटी & संजीव अंकल जी !
ये खरगोश पाखी लाई. अच्छा है न.
@ माधव,
धन्यवाद. 15 मई के बाद निकलने का प्रोग्राम है. और तुम क्या कर रहे हो छुट्टियों में.
@ M Verma Uncle,
हा..हा..हा...मजेदार.
@ Samir Uncle ji,
वो तो मैं हूँ ही...और आपने अपने ब्लॉग पर 400पोस्ट लिख ली, पर इस ख़ुशी में चाकलेट नहीं खिलाई...उधार रही.
@ Ashish Uncle,
मम्मी से बोली तो थी पर वो बोलीं कि आशीष अंकल लाकर देंगे..सो जल्दी से आप लाओ मेरा गाजर.
@ रवि अंकल,
धन्यवाद. बस अपना आशीष यूँ ही बनाये रहें.
@ दराल दादा जी,
धन्यवाद. बस आप अपना आशीष और प्यार यूँ ही देते रहें.
मम्मी ने सही कहा मॆ तुम्हारे लिये ढेर सारी गाजर लाया था पापा को दिया था तुम्हे देने के लिये,लगता हॆ वो भूल गये..कोई बात नही..अगली बार मॆ खुद दूगां
मेरी फोटो देखकर डर मत जाना:)
आकर्षक होने के कारण
इस पोस्ट को चर्चा मंच पर
"आज ख़ुशी का दिन फिर आया"
के रूप में सजाया गया है!
वह पाखी तो रैबिट बनकर बहुत क्यूट लग रही है..इसकी चर्चा आज रवि जी ने चर्चा मंच में प्राथमिकता के आधार पर की है..बधाई.
पाखी तो खरगोश बनकर बड़ी खुश लग रही है...अभी और भी बहुत कुछ बाकी है.
अरे! ये तो कुर्सी पर बैठा है खरगोश....बहुत प्यारी फोटो हैं....
अले वाह. पाखी तो खरगोश बनकर बड़ी प्यारी लग रही है..शुभकामनायें.
एक नहीं चार खरगोश...मजेदार !!
@ Ashish Uncle,
हूँ..अगली बार मुझे ही देना आप. लगता है पापा खा गए सब गाजर.
@ Ashish Uncle,
फोटो देखकर क्यों डरना है. अपने ऑरकुट पर वो वाला चित्र कैसे बनाया जिसमें बुक में मेरी फोटो है और आप उसे देख रहे हैं.
@रवि अंकल जी,
चर्चा मंच में मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' की चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व धन्यवाद.
बड़ी मजेदार है पाखी . अब तो हमारा मन भी तुम्हारी तरह खरगोश बनने को कर रहा है. अपने कास्ट्यूम हमें दे जाओ.
और हाँ एक बात बताओ, स्कूल का नाम 'कंगारू' किड्स पर बनाया 'खरगोश'...है न मजेदार.
Akshita ! Looking so cute baby...Luv.
खुबसूरत चित्र ...
बहुत सुन्दर पाखी. नए-नए रूप..मन को भा गए.
पाखी..अति सुन्दर लाजवाब. नजर न लगे. काला टीका लगा लो.
पाखी, आज जनसत्ता में आपके पापा के लेख "प्रलय का इंतजार" में आपकी भी खूब चर्चा है..बधाई.
पाखी को तो हर अंदाज़ निराला है...मनभावन !!
ये तो खूब रही पाखी ...रोचक व दिलचस्प खरगोश. मेरी तरफ से इसे गाजर जरुर खिला देना.
@ Rashmi Aunty,
सोचो, आप खरगोश बनकर कैसी लगोगी...बस बच्चे लोग बनते हैं.
@ Shahroj Aunty,
इत्ती सुन्दर लग रही हूँ क्या.
@ ShahroZ Aunty,
फिर मैं भी पढूंगी जनसत्ता का वह लेख. पर आज लगता है अख़बार वाले ने जनसत्ता दिया ही नहीं.
@ ersmopys Uncle,
..पहले आप गाजर तो लाकर दो. फिर खिला दूंगी.
लगता है हमीं लेट हैं बस..खैर अब आ गए पाखी के लिए ढेर सारी चाकलेट लेकर और इस प्यारे से रैबिट के लिए गाज़र लेकर.
ये खरगोश तो बहुत प्यारा है..
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