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शुक्रवार, अक्तूबर 18, 2013

गुब्बारे वाले की कहानी

मैंने इक कहानी पढ़ी और मुझे अच्छी लगी, सो आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ-

एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था. वह गाँव के आस-पास लगने वाली हाटों में जाता और गुब्बारे बेचता . बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …लाल, पीले ,हरे, नीले, बैंगनी, काला । और जब कभी उसे लगता कि  बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते।

एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था. पास ही खड़ी  एक बच्ची ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रही था . इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंची  और मासूमियत से बोली, ” अगर आप ये काला वाला गुब्बारा छोड़ेंगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”

गुब्बारा वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ बिलकुल जाएगा बिटिया  ! गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इस पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है।.”

कितनी अच्छी बात कही गुब्बारे वाले  ने। ठीक इसी तरह यह बात हमारे जीवन पर भी लागू  होती है। कोई अपने जीवन  में क्या हासिल करेगा, ये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है। अंतत: हमारा attitude (रवैया) हमारा altitude (ऊँचाई) तय  करता है। 

....तो कैसी लगी यह कहानी आप सबको। पसंद आई न और कित्ती अच्छी बात कही गई है इस कहानी के माध्यम से ...!!

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