आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...
बुधवार, जुलाई 04, 2018
नन्ही ब्लॉगर अक्षिता यादव ''मैं हूँ बेटी अवार्ड'' से होंगी सम्मानित
मंगलवार, अप्रैल 03, 2018
Akshitaa (Pakhi) for 'Main Hoon Beti Awards - 2018'
सोमवार, मई 18, 2015
नन्ही ब्लॉगर पाखी की उड़ान
गुरुवार, अप्रैल 19, 2012
नन्हीं कलम नाम है, लेकिन काम बड़ों का करती हूँ....

नन्हीं कलम नाम है,
लेकिन काम बड़ों का करती हूँ.
पथ में जो कुछ दिखता है,
शीतल जल से भरती हूँ.
आज इसी शीर्षक से मुझ पर एक रिपोर्ट दैनिक जागरण ने कवर की है. इस पर मेरे ब्लॉग के बारे में भी बताया गया है. आप भी इसे उपरोक्त इमेज पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
मंगलवार, जनवरी 03, 2012
मंगलवार, नवंबर 22, 2011
'पाखी की दुनिया' और बच्चों से जुड़े अन्य ब्लॉगों की चर्चा 'जनसंदेश टाइम्स' में...

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था- ‘मैं हैरत में पड़ जाता हूँ कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र का भविष्य जानने के लिए लोग तारों को देखते हैं। मैं ज्योतिष की गिनतियों में दिलचस्पी नहीं रखना। मुझे जब हिन्दुस्तान का भविष्य देखने की इच्छा होती है, तो बच्चों की आँखों और चेहरों को देखने की कोशिश करता हूँ। बच्चों के भाव मुझे भावी भारत की झलक दे जाते हैं।’
बच्चे सचमुच किसी भी राष्ट्र के भविष्य होते हैं। इसीलिए विद्वानों ने देश और समाज को संवारने के लिए बच्चों के वर्तमान को संवारने पर जोर दिया है। बच्चों के समुचित विकास के लिए जितना जरूरी यह है कि उन्हें जीने की बेहतर सुविधाएँ मिलें और उनकी शिक्षा-दीक्षा का समुचित प्रबंध हो, उतना ही जरूरी है कि उनके मानसिक विकास पर भी ध्यान दिया जाए।
बच्चों की इसी मानसिक खुराक को दृष्टिगत रखते हुए जहाँ देश के अलग-अलग भागों से ‘नंदन’, ‘बालहंस’, ‘चकमक’, ‘बालवाटिका’, ‘नन्हे सम्राट’, ‘बाल भारती’, ‘बालवाणी’ जैसी बाल पत्रिकाएँ निकल रही हैं, वहीं इंटरनेट पर बच्चों की मानसिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनेक ब्लॉगों का नियमित प्रकाशन भी हो रहा है। ऐसे तमाम ब्लॉगों में ‘बाल उद्यान’ (http://baaludyan.hindyugm.com) का प्रमुख स्थान है। यह ब्लॉग इंटरनेट पर हिन्दी लेखन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय संस्था ‘हिन्द युग्म’ का एक प्रयास है। इस ब्लॉग के संचालकों में जहाँ एक ओर तकनीक के महारथी शामिल हैं, वहीं बच्चों के लिए लिखने वाले बहुत से कवि, कहानीकार, पेंटर, गायक भी इससे जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि इस ब्लॉग की विषय सामग्री में जितनी विविधता देखने को मिलती है, उतनी और कहीं नहीं मिलती।
ऐसा ही एक अन्य ब्लॉग है ‘नन्हा मन’ (http://nanhaman.blogspot.com), जहाँ पर बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं की मनोरंजक रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। कविता-कहानी के अतिरिक्त यहाँ एक ओर सैर-सपाटा जैसे घुमक्कड़ी का कॉलम है, तो दूसरी ओर पर्यावरण और बाघ बचाओ जैसे जनोपयोगी अभियानों से सम्बंधित प्रेरक सामग्री। इस ब्लॉग की संचालिका सीमा सचदेव ब्लॉग के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहती हैं ‘हर मासूम चेहरे पर खुशी हमारा ध्येय है। बच्चों की हँसी, राष्ट्र की विजय है। हम सद्-विचारों को फैलाएँगे। नेता देश का, बच्चों को बनाएँगे।’ प्रसन्नता का विषय है कि इस अभियान से देश के कोने-कोने से लोग जुड़े हुए हैं। वे नियमित रूप से बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री रच रहे हैं, देश के सुंदर भविष्य की कामना कर रहे हैं।
ऐसे ही दो अन्य रोचक और पठनीय ब्लॉग है, ‘नन्हे-मुन्ने’ (http://naneymuney.blogspot.com) और ‘बाल-संसार’ (http://balsansar.blogspot.com), जिनपर विविधतापूर्ण रोचक और पठनीय सामग्री उपलब्ध है। इनमें जहाँ ‘नन्हे मुन्ने’ उपरोक्त तमाम ब्लॉगों की तरह एक सामुहिक ब्लॉग है, वहीं ‘बाल संसार’ अजय विश्वास के व्यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने अपने अथक श्रम से इस ब्लॉग की जड़ों को सींचा है।
बच्चों से जुड़े तमाम ब्लॉगों की भीड़ में एक ऐसा ब्लॉग भी है, जो अपने पवित्र लक्ष्य के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। ‘नन्हे पंख’ (http://nanhenpankh.blogspot.com) नामक यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है। अमलेन्दु अस्थाना द्वारा संचालित यह ब्लॉग बताता है कि भारत में मानसिक रूप से विकलाँग बच्चों की संख्या तीन प्रतिशत है। लेकिन इस संख्या को देखते हुए देश में इसके लिए काम करने वाले लोग काफी कम हैं। ‘नन्हे पंख’ एक तरह का वैचारिक ब्लॉग है, जो मानसिक विकलाँग बच्चों की आवाज को पूरे दमखम से उठाता है और उनके सम्बंध में चेतना जगाने का कार्य करता है।
एक ओर जहाँ इन्टरनेट पर बच्चों के लिए रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सामग्री से सुसज्जित ब्लॉगों की संख्या पिछले कुछ एक सालों में तेजी से बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर ऐसे ब्लॉग भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिनमें अभिभावक अपने बच्चों की गतिविधियों पर केन्द्रित सामग्री का प्रकाशन करते हैं। ऐसे ही कुछ चर्चित ब्लॉग हैं: ‘आदित्य’ (http://aadityaranjan.blogspot.com), ‘पाखी की दुनिया’ (http://www.pakhi-akshita.blogspot.com), ‘लविज़ा’ (http://blog.laviza.com), ‘माधव’ (http://madhavrai.blogspot.com), ‘अक्षयाँशी’ (http://riddhisingh.blogspot.com), ‘जादू’ व (http://jadoojee.blogspot.com), ‘नन्ही परी’ (http://nanhi-pari.blogspot.com)। ये तमाम ब्लॉग एक तरह से बचपन की ऑनलाइन डायरी के समान हैं, जहाँ पर बच्चों की गतिविधयाँ सचित्र रूप में दर्ज हो रही हैं। इनका एक लाभ जहाँ यह है कि अभिभावक अपने बच्चों की छोटी से छोटी गतिविधियों को भी ध्यान से निरख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे बच्चों में सकारात्मक भावनाएँ भरने के लिए प्राण-पण से लगे हुए हैं।
शायद यह इन्हीं सद्प्रयासों का परिणाम है कि ‘पाखी की दुनिया’ के द्वारा अपनी सकारात्मक गतिविधियों को ब्लॉग पर दर्ज करा रही नन्हीं ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) को वर्ष 2011 के राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। ब्लॉगिंग के इतिहास में यह पहली घटना है, जब ब्लॉगिंग जैसे कार्य के लिए किसी को सरकारी पुरस्कार मिल रहा है। आने वाले दिनों में इससे नि:संदेह सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा मिलेगा और ब्लॉगों पर बच्चों से सम्बंधित सामग्री का प्रतिशत बढ़ेगा।
रविवार, नवंबर 20, 2011
समाचार पत्रों में भी अक्षिता (पाखी) के 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' की चर्चा

अंडमान-निकोबार द्वीप समाचार (17 नवम्बर, 2011)

जनसत्ता, कोलकाता (15 नवम्बर, 2011)

Andaman Sheekha, Portblair (17Nov. 2011)

The Daily Telegrams, Portblair (20 Nov. 2011)

Andaman Express, Portblair (17 Nov. 2011)

The Echo of India, Portblair (10 Nov. 2011)

Aspect, Portblair (10 Nov. 2011)

The Daily Telegrams, Portblair (10 Nov. 2011)

अंडमान-निकोबार द्वीप समाचार (10 नवम्बर, 2011)


(संपूर्ण आवाज़, पोर्टब्लेयर, 28 नवम्बर 2011 में चर्चा)
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(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)
शुक्रवार, नवंबर 18, 2011
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी बुक आफ रिकार्ड्स में अक्षिता (पाखी)

'कला और ब्लागिंग' (Excellence in the Field of Art and Blogging) के क्षेत्र में उपलब्धि के लिए बाल दिवस, 14 नवम्बर 2011 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीर्थ जी द्वारा अक्षिता (पाखी) को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (National Child Award) प्रदान किया गया. इस अवसर पर बुक आफ रिकार्ड्स के रूप में एक बुकलेट 'उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2011' भी जारी की गई. इसमें वर्ष 1996 से अभी तक पुरस्कृत सभी बच्चों के नाम राज्यवार दिए गए हैं. इस बार पुरस्कृत सभी बच्चों के बारे में एक-एक पेज पर Citation रूप में उनकी उपलब्धियों का विवरण है. अक्षिता (पाखी) के बारे में आप इन पेज को बड़ा करके पढ़ सकते हैं-

बुधवार, नवंबर 02, 2011
शुक्रवार, जुलाई 15, 2011
ये ब्लॉग अच्छा लगा : पाखी माने पक्षी या चिड़िया - अक्षिता पाखी
कल एक चिङिया उङती हुयी मेरे ब्लाग पर आयी । मैंने कहा - हल्लो डियर लिटिल बर्ड ।
तब चिङिया ने कहा - मैं चिङिया नहीं हूँ । मेरा नाम चिङिया है । पाखी माने पक्षी या चिड़िया ।
मैंने कहा - डियर ! आप चिङिया हो । तभी तो आपका नाम पाखी है । अब चिङिया को खरगोश कहते सुना है किसी से ?
पाखी ने कहा - ओफ़्फ़ोह अंकल ! वैसे तो मैं एक प्यारी बच्ची हूँ । पर मैं दिन भर चिङिया की तरह इधर उधर फ़ुदकती हूँ ना । इसलिये मम्मी ने मेरा नाम पाखी रख दिया ।
अच्छा ! मैंने आश्चर्य से कहा - और आपके पापाजी का नाम क्या है ?
पाखी - अंकल ! माय फ़ादर नेम इज श्री कृष्ण कुमार यादव । ( उफ़ ! अब इस बच्ची को कौन समझाये कि मुझे इंगलिश बिल्कुल भी नहीं आती )
मैंने कहा - फ़िर आपकी ममा का नाम जरूर राधा यादव होगा । स्योर !
पाखी ने झुँझलाकर माथे पर हाथ मारा । और बोली - उफ़ ! अंकल लगता है । आपने शेक्सपियर को नहीं पढा कि ..नाम में क्या रखा है ?
मैंने कहा - अगर नाम में कुछ नहीं रखा । तो फ़िर मैं आपको कैसे बुलाऊँगा । और आप मुझे कैसे बुलाओगी ? सब लोग एक दूसरे को कैसे बुलायेंगे ?
अच्छा अंकल ! पाखी चुटकी बजाकर बोली - आपका नाम राजीव है । और राजीव माने कमल । तो क्या आप कमल हो गये । मीन एक फ़्लावर । ( उफ़ ! अब इस स्वीट बच्ची को कैसे बताऊँ कि पर्यायवाची शब्दों का पेज मैंने चूरन रखने के लिये किताब से फ़ाङ ही दिया था )
इसलिये मैंने टापिक बदलते हुये कहा - खैर छोङो । एक बात बताओ । आप तो पाखी हो । इसलिये समुद्र के ऊपर से हनुमान जी की तरह उङकर हमारे सबके ब्लाग पर आ जाती हो । लेकिन हम सभी ब्लागर आपके ब्लाग पर जाने के लिये समुद्र कैसे पार करें ?
पाखी दो मिनट तक सोचती रही । और फ़िर खुश होकर बोली - अंकल ! आप विक्रम वैताल वाले वैताल के द्वारा आ जाना ।
और फ़िर मुझे आगे बोलने का अबसर दिये बिना " फ़ुर्र " से टाटा बाय बाय करते हुये पोर्ट ब्लेयर को उङ गयी ।
और ये है । प्यारी नन्ही अक्षिता पाखी का परिचय -
मेरा नाम अक्षिता है । सब मुझे प्यार से पाखी नाम से बुलाते हैं । मेरा ये निकनेम अच्छा है ना । आप भी मुझे पाखी कहकर बुला सकते हैं । पाखी माने पक्षी या चिड़िया । मैं भी तो एक चिड़िया ही हूँ । जो दिन भर इधर उधर फुदकती रहती हूँ । मेरा जन्म 25 मार्च को हुआ । अब इसे अपने दिमाग की डायरी में नोट कर लीजिये । तभी तो आप मुझे जन्मदिन की बधाई देंगे । और ढेर सारे गिफ्ट भी । और हाँ..खूब सारा प्यार और आशीर्वाद भी । मुझे अच्छा लगता है - खेलना । नृत्य करना । चित्र बनाना । आइसक्रीम खाना और ढेर सारी शरारतें करना । मेरे ममा श्रीमती आकांक्षा पापा श्री कृष्ण कुमार यादव हैं । मेरा ददिहाल आजमगढ़ और ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर) में है । फ़िलहाल ममा पापा के साथ पोर्टब्लेयर (अंडमान) में हूँ । मेरी छोटी बहन तन्वी भी है । मैं LKG में पढ़ती हूँ । 'पाखी की दुनिया' में आप पायेंगें मेरी ढेर सारी बातें । घूमना फिरना । मेरी क्रिएटिविटी । मेरी फेमिली और स्कूल की बातें और भी बहुत कुछ । यह ब्लॉग 24 जून 2009 को आरंभ हुआ । अब तो यहाँ भी खूब फुदक फुदक करुँगी । इनका ब्लाग - पाखी की दुनिया
( 'ये ब्लॉग अच्छा लगा' ब्लॉग पर राजीव कुलश्रेष्ठ अंकल जी द्वारा 'पाखी की दुनिया' के बारे में लिखी गई पोस्ट साभार)
...यहाँ BLOG WORLD .COM पर भी राजीव कुलश्रेष्ठ अंकल जी ने मेरे बारे में लिखा है, आभार और प्यार !!
सोमवार, जुलाई 04, 2011
'पाखी की दुनिया' के दो साल पूरे

!!'पाखी की दुनिया' के दो साल पूरे होने पर आप सभी के प्यार, स्नेह और आशीष की आकांक्षी हूँ !!
गुरुवार, जून 23, 2011
''परिकल्पना ब्लागोत्सव'' में अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र

इसे देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
परिकल्पना ब्लागोत्सव : अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र
शुक्रवार, मई 06, 2011
लेखन की अभिमन्यु अक्षिता उर्फ़ पाखी को सलाम

लेखन की अभिमन्यु अक्षिता उर्फ़ पाखी को मेरा सलाम अर्ज़ है. जी हाँ, एल. के. जी. की एक छोटी सी मासूम बच्ची, जिसके हँसने-खेलने के दिन हो, जिस उम्र के बच्चों को लोग सेंसलेस कहते हैं वही बच्चा अगर अपनी लेखनी, अपने विचारों से, बेस्ट ब्लागर अवार्ड प्राप्त करले, तो बस ख़ुशी से सीना चौड़ा हो जाता है.
अक्षिता (पाखी) का जन्म 25 मार्च, 2007 को हुआ और वर्तमान में वह पोर्टब्लेयर, अंडमान में रह रही हैं. कहते हैं कि अंग्रेजों के ज़माने में यहाँ लोगों को काले पानी की सजा देकर प्रताड़ित किया जाता था और अंडमान-निकोबार केवल इसी सेलुलर जेल के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन आज अंडमान-निकोबार और पोर्टब्लेयर को मासूम पाखी पर भी गर्व होने लगा है और अतर्राष्ट्रीय ब्लागिंग की दुनिया अब अक्षिता उर्फ़ पाखी के नाम से जानी जाने लगी है.
इंडियन ब्लागिंग(indiblogger.in) पर 78 वीं रैंक लेकर ब्लागिंग में प्रमुख स्थान प्राप्त करने वाली अक्षिता (पाखी) एक तेज़ तर्रार लेखिका और वक्ता श्रीमती आकांक्षा यादव के गर्भ में पली और शायद अभिमन्यु की तरह ही उन्होंने गर्भ में उसे ब्लागिंग का पाठ पढ़ डाला. उनके पिता कृष्ण कुमार यादव जो कि एक बेहतरीन ब्लागर हैं और दोनों लोग मिलकर शब्द-शिखर, शब्द सृजन की ओर, डाकिया डाक लाया, बाल दुनिया, सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग के साथ-साथ 'पाखी की दुनिया' में पाखी के बचपन के अनुभवों को ब्लागरों से शेयर कर रहे हैं इनके आचार-विचार और सुझाव इस ब्लागिंग की दुनिया को हसीन बना रहे है. अभी केवल एल. के. जी. में पढ़ रही एक छोटी सी मुन्नी सी बच्ची पाखी की ब्लागिंग को देखें तो आँखें चकित रह जाती हैं और मन सोचने लगता है, 'कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का!' पाखी देश का ही नहीं बल्कि विश्व का ऐसा नाम है, जिसके माता-पिता पाखी की भावनाओं, विचारों और उसकी गतिविधियों को ब्लागिंग के माध्यम से शेयर कर रहे हैं और ब्लागिंग की दुनिया इस पाखी से प्रभावित है. अभी पिछले दिनों 30 अप्रैल, 2011 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने जब पाखी को सबसे नन्हीं ब्लागर (Best Bay Blooger Award) का अवार्ड दिया, तो पाखी के माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, लेकिन हम भी पाखी के अंकल हैं उसकी छोटी बहन तन्वी के अंकल हैं, अत: हमारा भी सीना गर्व से चौड़ा हुआ जाता है और मन करता है कि पंख लगाकर उड़ें और पोर्टब्लेयर पहुँच कर बिटिया पाखी को गोद में लेकर ढेर सारा प्यार कर, ढेर सारा आशीर्वाद देकर वापस लौट आयें और कह दें कि ब्लागिंग की दुनिया की अभिमन्यु 'पाखी' हमारी ब्लागिंग की आन-बान और शान है !!
- अख्तर खान 'अकेला'
कोटा, राजस्थान
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अख्तर खान 'अकेला' : उर्दू, हिन्दी एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, विधि स्नातक और PGD जर्नलिज्म : सम्प्रति वकालत के पेशे में तल्लीन : ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव : अंतर्जाल पर Akhtar Khan Akela ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय.
गुरुवार, मई 05, 2011
4 साल की उम्र में इतना बड़ा इनाम सुन हैरान हो जाएंगे आप
4 साल की उम्र में इतना बड़ा इनाम सुन हैरान हो जाएंगे आप...यह मैं नहीं कह रही हूँ, बल्कि आज 5 मई, 2011 के 'दैनिक भास्कर'' अख़बार में प्रकाशित एक रिपोर्ट है. आप भी इसे पूरा पढ़िए.
पोर्ट ब्लेयर. अंडेमान निकोबार द्वीप समूह की चार वर्षीय अक्षिता यादव को हिंदी साहित्य निकेतन परिकल्पना ने बेस्ट बेबी ब्लॉगर अवॉर्ड 2011 से नवाजा है। नई दिल्ली के हिंदी भवन में आयोजित इंटरनेशनल ब्लॉगर कॉन्फ्रेंस में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अक्षिता को यह अवॉर्ड दिया।
अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम में 51 ब्लॉगर्स ने हिस्सा लिया। ‘पाखी की दुनिया’ केजी 1 की छात्रा अक्षिता को नकद इनामी राशि के अलावा प्रमाणपत्र और मोमेंटो दिया गया। कृष्ण कुमार ने बताया अक्षिता को ड्रॉइंग और पेंटिंग में बहुत रुचि है।
जब हमने देखा कि उसकी पेंटिंग में कुछ खास है तो हमने जून 2009 से इन्हें पाखी की दुनिया ब्लॉग पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। इस ब्लॉग की लोकप्रियता का पता इसी से लगता है कि यह 100 प्रमुख हिंदी ब्लॉग में से एक है। इसे 140 ब्लॉगर फॉलो कर रहे हैं। राजस्थान के जाने-माने लेखक दीनदयाल शर्मा अक्षिता की प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी किताब छुन-छुन के कवर पेज पर उसका फोटो लिया है।
(इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सोमवार, मार्च 28, 2011
पाखी के जन्मदिन पर कवितायेँ और कार्टून का भी उपहार
दीनदयाल शर्मा अंकल जी ने मेरे जन्मदिन पर विश करने हेतु 'बचपन' ब्लॉग पर दो कवितायेँ लिखीं. शर्मा अंकल जी तो बहुत प्यारी-न्यारी सी कविता लिखते हैं... Happy birthday pakhi by Deendayal Sharma जन्मदिन की तुम्हें बधाई सबकी राज दुलारी, पाखी तुम हो कितनी मोहक, लगती सबको प्यारी.. आकांक्षा - के. के. की बिटिया, तन्वी की हो बहना , जो मांगो मिल जाता तुमको, माने सारे कहना. आज कटेगा केक गज़ब का, पाखी के घर प्यारा.. अलग थलग होगा ये सबसे, होगा बिल्कुल न्यारा... नाम करो जग में तुम रोशन, भारत की बनो ढाल.. शुभकामनायें देते हैं.. जियो हजारों साल.. ************************* जन्मदिन मुबारक पाखी / दीनदयाल शर्मा पांच बरस की हो गई पाखी, सुन लो मेरी बात... मम्मी से कुछ काम सीख लो, जीवन की सौगात... थोड़ा तन्वी को खिलाना.. सीखो घर को सजाना.. खूब हँसना - हँसाना.. सीखो रूठों को मनाना.. कभी ड्राइंग बनाना.. कभी रंगोली सजाना.. कभी पापा जी पर बैठ कर घोड़ा दौड़ाना.. खूब पढ़ कर अव्वल आना.. विद्या पूँजी को बढ़ाना.. नाम जग में कमाना... फिर ज़माना दीवाना.. जन्मदिन हो मुबारक.. तुम जिओ हजारों साल.. दुआएं सबकी साथ तुम्हारे.. तुम भारत की हो भाल... दीनदयाल शर्मा, बाल साहित्यकार, हनुमानगढ़ जं.,राजस्थान ******************************************************************************** मेरा जन्म कानपुर में हुआ, सो कानपुर के लोगों से अभी भी लगाव बना हुआ है. मेरे लिए कानपुर से डा0 दुर्गाचरण मिश्र दादा जी ने एक प्यारी सी कविता भेजी है. इसे उन्होंने हमारे कानपुर में रहने के दौरान लिखा था, पर अब इसे परिमार्जित करते हुए नए सिरे से भेजा है- प्यारी-न्यारी पाखी अक्षिता (पाखी) मेरा नाम है सब करते मुझको प्यार मम्मी-पापा की लाडली मिलता जी भर खूब दुलार। कानपुर नगर में जन्म लिया 25 मार्च 2006, दिन शनिवार मम्मी-पापा हुए प्रफुल्लित पूरा हुआ सपनों का संसार। दादा-दादी, नाना-नानी सब देखने को हुए बेकरार मौसी, बुआ, मामा-मामी, चाचू लाए खूब उपहार। नन्हीं सी नटखट गुडि़या सब रिझायें बार-बार कितनी प्यारी किलकारी घर में आये खूब बहार । मम्मी-पापा संग आ गई अब, अण्डमान-निकोबार यहाँ की दुनिया बड़ी निराली प्रकृति की छाई है बहार । कार्मेल स्कूल में हुआ एडमिशन प्लेयिंग, डांसिंग, ड्राइंग से प्यार एल.के.जी. में पढ़ने जाती मिला नए दोस्तों का संसार । समुद्र तट पर खूब घूमती देखती तट और पहाड़ खूब जमकर मस्ती करती और जी भरकर धमाल । मिल गई इक प्यारी बहना खुशियों का बढ़ा संसार तन्वी उसका नाम है करती उसको मैं खूब प्यार । डा0 दुर्गाचरण मिश्र, अर्थ मंत्री- उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मलेन, अध्यक्ष- साहित्य मन्दाकिनी (साहित्यिक संस्था), 248 सी-1 इंदिरानगर, कानपुर-208026 *****************************************************************************
कानपुर से ही एस. आर. भारती अंकल ने भी एक प्यारी सी कविता लिखी है- पाखी लगती सबसे प्यारी. सबकी है वो राजदुलारी. आज उसका जन्मदिन आया. यह देख है मन हर्षाया। पाखी जियो हजारों साल. मस्ती करो और धमाल. यूँ ही खूब कमाओ नाम. जन्मदिन पर यही पैगाम। एस. आर. भारती मैनेजर- नेशनल स्पीड पोस्ट सेंटर, कानपुर ***********************************************************************
मेरी पोस्ट पर आकर 'एक कविता पाखी के लिये' भी तो लिखी गिरिजा कुलश्रेष्ठ नानी जी ने- सतरंगी किरणों ने सुबह सजाई रंगोली । आसमान में गाए चहके, चिडियों की टोली । जन्म-दिवस हो तुम्हें मुबारक, पाखी प्यारी-प्यारी । दुनिया भर में छा जाए मीठी मुस्कान तुम्हारी । जो भी चाहो हासिल करलो पीछे रहो न पलभर, स्वस्थ और सानन्द रहो , शतवर्ष जिओ हँस-हँसकर । गिरिजा कुलश्रेष्ठ, व्याख्याता, ग्वालियर, मध्य प्रदेश ************************************************************************************* मेरा बर्थ-डे हो तो भला ममा कहाँ पीछे रहने वाली हैं... सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ... जन्मदिन है पाखी का खूब करो धमाल जमके आज खाओ सब हो जाओ लाल-लाल। सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ मस्ती करो, मौज मनाओ पाखी, तन्वी, कुहू, ख़ुशी सब मिलकर बैलून फुलाओ। आईसक्रीम और केक खाओ कोई भी न मुँह फुलाओ कितना प्यारा बर्थ-डे केक सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ। **************** मेरे जन्मदिन पर ममा ने एक प्यारी सी कविता लिखी है. मैं तो यह कविता सुनकर बहुत खुश हुई- आँखों में भविष्य के सपने चेहरे पर मधुर मुस्कान है अक्षिता को देखकर लगता है दिल में छुपाये कई अरमान है। अक्षिता के मन में इतनी उमंगें नन्हीं सी यह जान है प्यारी-प्यारी ड्राइंग बनाती देखकर सब हैरान हैं। ज्ञान पथ पर है तत्पर गुणों की यह खान है भोली सी सूरत इसकी हमें इस पर अभिमान है। ******************************************************************************* इन प्यारी-प्यारी कविताओं के साथ में ये प्यारा सा कार्टून भी तो है. इसे काजल कुमार अंकल ने मेरे मेल पर 'Have a Cartoon Gift on Your Birthday' रूप में भेजा था.
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हिंदी ब्लागरों के जन्मदिन पर तो बधाई मिलनी ही थी...
शुक्रवार, सितंबर 17, 2010
'शुक्रवार' में चर्चित चेहरे के तहत 'पाखी की दुनिया' की चर्चा...

गुरुवार, सितंबर 16, 2010
दैनिक 'हिंदुस्तान' में हम बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा....

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दोस्तो, तुम्हें याद होगा कि कुछ समय पहले हमने तुम्हें बताया था कि तुम अपना ब्लॉग कैसे बना सकते हो। जब हमने नेट पर सर्च किया तो पाया कि ऐसे बहुत से ब्लॉग बच्चों के हैं। कुछ बच्चे खुद ही अपने ब्लॉग को अपडेट करते हैं तो कुछ टेक्निकल जानकारी न होने की वजह से अपने पेरेंट्स या फिर किसी बड़े की मदद ले रहे हैं। जब हमने इन ब्लॉग्स को देखा तो वे बेहद रोचक लगे। कोई अपने पिकनिक पिक्चर नेट पर शेयर कर रहा है तो कोई बता रहा है कि किसी परिणाम से पहले उसे कैसा महसूस हुआ। पेंटिंग, कहानी, कविता, जोक्स आदि जो मन करता है, अपने ब्लॉग पर लिख रहे हैं। चलो मिलते हैं ऐसे ही कुछ बच्चों से, जो किसी स्टार से कम नहीं। भारत मल्होत्रा की रिपोर्ट।
दोस्तो, जब तुम इन ब्लॉग्स की सैर करोगे तो पाओगे कि तुम्हारी ही उम्र के बच्चे अपनी क्रिएटिविटी को कैसे दुनिया भर के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसके साथ ही यहां होंगे कुछ ऐसे ब्लॉग्स, जो तुम्हारे लिये बेहद फायदेमंद होंगे और जिन्हें पढ़ना तुम्हारे लिये फायदे का सौदा होगा। इनमें कविता है, ड्रॉइंग है, मजेदार कहानियां हैं और सीखने को है बहुत कुछ। वे पापा से चॉकलेट मांगते हैं और मम्मी को तंग करते हैं। दादा-दादी के लाडले हैं और नानी के घर जाकर खूब ऊधम भी मचाते हैं। लेकिन इस सबके बाद भी ब्लॉगिंग भी करते हैं। तो चलो आज कुछ ऐसे ही नन्हे ब्लॉगर्स से मिला जाये-
नवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र अक्षय का यह ब्लॉग है। वह कहते हैं कि ब्लॉग बनाने की प्रेरणा मुझे अपनी मम्मी से मिली। दरअसल मम्मा जब भी कंप्यूटर में ब्लॉग पर कुछ-कुछ टाइप कर रही होती थीं तो मुझे यह देख कर बहुत अच्छा लगा। मैंने मम्मा से कहा कि मुझे भी बताओ कि कैसे आप टाइप कर लेती हैं। एक खास तरह के फॉन्ट पर मम्मा ने टाइप करना मुझे सिखा दिया। फिर क्या था, मैं जो कविताएं कागज पर लिखा करता था, वह मैं अपने ब्लॉग पर करने लगा। 2007 में बने इस ब्लॉग पर मेरी कविताओं के लिए लगातार कमेंट्स आ रहे हैं। इस ब्लॉग पर मैं कविताओं के अलावा ड्रॉइंग भी बनाता हूं। मैंने अपने ब्लॉग का लिंक अपने ऑरकुट अकाउंट पर दिया हुआ है ताकि मेरे दोस्त भी ब्लॉग के लिंक पर क्लिक करें। देखा दोस्तो, अक्षय अपने ब्लॉग को लेकर कितना उत्साहित है।
http://www.pakhi-akshita.blogspot.com/
इस ब्लॉग के बाद नाम आता है अक्षिता यादव का। अक्षिता का प्यार का नाम पाखी है, यानी चिड़िया। उसकी उम्र तो बेहद कम है, लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग में वो एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी है। अक्षिता के ब्लॉग पाखी की दुनिया पर क्लिक करके पहुंचा जा सकता है। इसमें उसकी रोजमर्रा की कहानी भी होती है। बात टीचर्स डे मनाने की हो या फिर जन्माष्टमी की खुशियां मनाने की, अक्षिता हर भावना को व्यक्त करने में कामयाब रही है। इसके साथ ही उसके ब्लॉग पर उसके बनाये चित्र भी देखे जा सकते हैं।
खूबसूरती से रंग भरती है अक्षिता।
अक्षिता अपने मम्मी-पापा के साथ पोर्ट-ब्लेयर में रहती है, लेकिन उसके मम्मी -पापा दोनों ब्लॉगिंग करते हैं। अक्षिता को प्लेयिंग, ड्रॉइंग के साथ-साथ घूमना-फिरना भी बेहद पसंद है, इसके साथ ब्लॉगिंग से तो उसे प्यार है ही। अक्षिता का ब्लॉग बेहद पॉपुलर है और फिलहाल हिन्दी के टॉप 150 ब्लॉगों में से एक है। तुम्हें पता है कि पाखी की तस्वीर तो बच्चों की एक मैगजीन के कवर पर भी छप चुकी है। बहुत पसंद किया जाता है पाखी को। कई अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में पाखी के नाम का जिक्र हो चुका है।
पाखी यह भी कहती है कि ब्लॉगिंग करने से उनके बाकी कामों पर कोई असर नहीं पड़ता। वो पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद के लिये पूरा वक्त निकाल लेती है। ब्लॉग पर उसके काम को देखते हुए उसे एक संस्थान की ओर से 2010 की सर्वश्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर का इनाम भी मिल चुका है। है, न मजेदार बात। हां, एक जरूरी बात, अक्षिता क्यों कि अभी छोटी है, इसलिये अपनी बातें और विचार ब्लॉग पर उतारने के लिये उसे अपने माता-पिता की मदद लेनी पड़ती है।
http://balduniya.blogspot.com/
यूआरएल पर जाकर तुम्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। ये ब्लॉग पूरी तरह से तुम्हारे लिये ही हैं। इस पर तुम्हारे लिये ढेरों कवितायें भरी पड़ी हैं। इसके साथ ही कई मजेदार जानकारियां भी हैं, जैसे- हैप्पी बर्थडे गीत की शुरुआत कैसे हुई? फ्रैंडशिप डे के पीछे कौन सी कहानी छुपी है? यह क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कैसे हुई?
इसमें कई रचनायें तो तुम्हारी उम्र के बच्चों की ओर से की गयी हैं। हां, अगर तुम चाहो तो तुम भी अपनी रचना, ड्रॉइंग आदि इस ब्लॉग पर भेज सकते हो, फिर वो तुम्हारे नाम से उसे यहां लगा देंगे। क्यों, है न मजेदार।
http://riddhisingh.blogspot.com/
ब्लॉग देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। इसे एक बार देखने से यही लगता है कि कोई बड़ा इस छोटे से बच्चे की भावनाओं को, उसकी बातों को और उसकी शरारतों को तुम तक पहुंचाता है। क्योंकि यह ब्लॉग तुम जैसे ही किसी बच्चे का है, इसलिए वहां कुछ तुम्हें पसंद आए तो कमेंट जरूर करना। मौज-मस्ती से भरपूर यह ब्लॉग तुम्हारा मनोरंजन जरूर करेगा।
http://balsajag.blogspot.com/
बाल सजग एक ऐसा ब्लॉग है, जो बना है सिर्फ तुम बच्चों के लिए। इसकी टीम में सभी मजदूर बच्चे हैं, जो काम करते हैं और साथ ही कवितायें-कहानियां भी कहते हैं। इस ब्लॉग पर आने के बाद तुम्हें अहसास होगा कि भले ही इन बच्चों के पास सुविधाओं की कमी हो, लेकिन टेलेंट की कोई कमी नहीं है। ये बच्चे पेड़ लगाने का मैसेज भी देते हैं और नेताओं पर व्यंग्य भी करते हैं। हां, इनकी भाषा बिल्कुल तुम्हारे जैसी है- सिंपल। इस ब्लॉग पर एक बार आकर देखो, तुम्हें मजा आ जायेगा।
http://saraspaayas.blogspot.com/
इस ब्लॉग को हम लोगों तक पहुंचाने के लिए यह बच्चा अपने पेरेंट्स की मदद लेता है। यह ब्लॉग है रावेंद्र कुमार रवि का, लेकिन है ये तुम्हारे लिये। इसमें कई बच्चों के ब्लॉग के लिंक हैं और साथ ही मजेदार कवितायें भी हैं। इसके साथ ही मजेदार बातें तो हैं ही।
http://nanhaman.blogspot.com/
नन्हा मन इस ब्लॉग का नाम है। ब्लॉग की दुनिया में तुम लोगों के लिये यह एक ऐसा ब्लॉग है, जहां तुम्हारे मनोरंजन का खास ख्याल रखा गया है। और अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी कोई रचना यहां छपे तो nanhaman@gmail.com पर उसे मेल भी कर सकते हो।
दोस्तो, हो सकता है कि तुम्हें अच्छी कहानी, कविता लिखनी आती हो। तुम में से कुछ बच्चे अच्छी पेंटिंग करना भी जानते होंगे। लेकिन जब बात आती है इन सारी चीजों को कंप्यूटर में अपलोड करने की तो हो सकता है तुम्हें इसकी टेक्निकल जानकरी न हो। इस काम के लिए बड़ों की मदद लेने में मत हिचकना। जो बच्चे कंप्यूटर में ब्लांगिग करना चाहते हैं, वे बड़ों को देख-देख एक दिन खुद-ब-खुद एक्सपर्ट हो जाएंगे। हिन्दी में बच्चों के और ब्लॉग्स के लिये क्लिक करें
http://hindikids.feedcluster.com
साभार : Live हिंदुस्तान. com

गुरुवार, अगस्त 19, 2010
सरस पायस सजा पाखी के नए-नवेले चित्रों से...
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अंतरजाल पर स्थित चिट्ठाजगत में फुदकनेवाली
सबसे प्यारी चिड़िया अक्षिता "पाखी" को
कौन नहीं जानता?
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उसने "सरस पायस" के लिए
अपने द्वारा बनाए गए कुछ अनोखे चित्र भेजे थे!
बहुत कोशिश करने पर भी
इस बार मैं उसके चित्रों पर कोई गीत नहीं रच पाया!
वैसे भी उसके चित्रों में एक नहीं, दो नहीं,
कई-कई कविताएँ छुपी होती हैं!
आवश्यकता है, तो एक ऐसी नज़र की,
जो उसके चित्रों में इन कविताओं की पंक्तियाँ खोज सके!
देखिए, आप भी देखिए, पाखी द्वारा बनाए गए
ये चित्र, जिनमें एक अनोखी मौलिकता नज़र आती है!
हो सकता है, आपको ही मिल जाएँ
इन चित्रों में छुपी गुनगुन करती कविताएँ या सुरीले गीत!
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...यह रहा सरस पायस पर प्रदर्शित मेरा एक चित्र. शेष चित्र देखने के लिए तो आपको वहीँ जाना पड़ेगा.

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पाखी का बनाया एक यह चित्र भी देख लेते हैं,
जो बहुत ख़ास है, क्योंकि इसे बनाकर उसने उपहार में दिया था,
अपने पापा को, उनके जन्म-दिन पर!
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गाजियाबाद से प्रकाशित 'सत्य चक्र' साप्ताहिक अख़बार (26 जुलाई-1 अगस्त) में एक रिपोर्ट....

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और हाँ, एक बात तो बताना भूल ही गई कि आज पोर्टब्लेयर में कामनवेल्थ खेलों से जुडी क्वींस बेटन रिले का आगमन हो रहा है. चारों तरफ खूब सजावट की गई है...