पाखी लिटिल ब्लॉगर
बच्चों, जब तक तुमने सिर्फ अपने से बड़े लोगों को ही ब्लागिंग करते हुए देखा होगा। लेकिन 6 साल की नन्हीं पाखी को भी ब्लागिंग का शौक है। अपने इसी शौक के दम पर ब्लागिंग अवार्ड जीतकर वह बन गई है, देश की सबसे नन्ही ब्लागर। पाखी के नाम से मशहूर अक्षिता यादव कैसे बनी ब्लॉगर और क्या हैं उसके शौक, तुम भी जानो।
अंडमान निकोबार के म्यूजियम का नजारा हो, पर्यावरण दिवस पर पेड़ बचाने का संदेश या फिर पुरानी किताबों न बेचने की राय। यह सब मिलेगा नन्ही पाखी यानी अक्षिता यादव के ब्लॉग ‘पाखी की दुनिया’ (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में। बच्चों, इलाहाबाद में पहली कक्षा में पढ़ने वाली अक्षिता वैसे तो तुम्हारी तरह ही है। लेकिन ब्लॉग की दुनिया में उसकी एक्टिविटी उसकी अलग पहचान बनाती है।
ऐसे हुई ब्लागिंग की शुरुआत
पाखी की ब्लागिंग की शुरूआत कुछ अलग ही अंदाज में हुई थी। दरअसल, बचपन से ही वह ढेरों पेंटिंग्स बनाती थी। लेकिन उसके मम्मी-पापा उसे सहेजते नहीं थे। ऐसे में जब पाखी ने अपने मम्मा-पापा को ब्लॉग पर कविताएं लिखते देखा तो पूछ लिया कि ’जब आप अपनी कविताएं इस तरह संभाल रहे है, तो मेरी पेटिंग्स क्यों फेंक देते हैं?’ बस फिर क्या था उसके पापा ने बना दिया ब्लॉग ’पाखी की दुनिया’ और डाल दी उस पर उसकी सारी पेंटिग्स। धीरे-धीरे पाखी की कलाकारी को ब्लागिंग के सहारे पहचान मिलने लगी।
365 पोस्ट-268 फालोअर
24 जून, 2009 को पाखी का ब्लॉग शुरू हुआ। तब से अब तक नन्ही पाखी के ब्लॉग पर 365 पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। इतना ही नहीं उसके ब्लॉग पर 268 फालोअर हैं। फेसबुक पर यही आंकड़ा बढ़कर 830 है। यानी, बच्चे ही नहीं पाखी की दुनिया में सैर करने वालों में बड़े भी बहुत सारे हैं । दुनियाभर के 100 से भी ज्यादा देशों में पाखी का ब्लॉग पढ़ा जाता है।
पैरेंट्स मैनेज करते हैं ब्लॉग
पाखी अभी तुम्हारी तरह ही छोटी है, इसलिए उसके ब्लॉग को उसके मम्मी-पापा ही चलाते हैं। लेकिन पाखी ने अब कई सारे काम करने सीख लिए हैं। जैसे अब अपनी पेंटिग को ब्लॉग पर अपलोड करना सीख गई है। बाकी कई सारे काम भी वो खुद करने लगी है। इस तरह सीखते-सीखते निश्चित तौर पर वो आगे चलकरब्लॉग पूरी तरह से खुद ही संभालने लग जाएगी।
मिला ब्लागर अवार्ड
सिर्फ 4 साल 8 महीने की उम्र में ही पाखी को आर्ट और ब्लागिंग के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार पाने वाली वो सबसे छोटी उम्र की बच्ची है। इतना ही नहीं, ऐसा पहली बार हुआ जब सरकार की ओर से ब्लागिंग के लिए किसी को सम्मानित किया गया। सरकार की ओर से 1996 से शिक्षा, संस्कृति, कला, खेलकूद और संगीत आदि के क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिए जाते हैं। साल 2011 की अंतराष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में पाखी को ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लागर‘ का अवार्ड दिया गया था। नई दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में यह पुरस्कार उसे उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दिया था।
('हरिभूमि' अख़बार की पत्रिका 'बाल भूमि' (16 जनवरी, 2014) में नन्ही प्रतिभा के अन्तर्गत लिटिल ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) पर प्रकाशित चयनिका मनीषा क़ी एक रिपोर्ट )
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