आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

मंगलवार, जुलाई 30, 2013

दस दिनों के अंतराल में दो हैप्पी बर्थ-डे..










जुलाई और अगस्त के महीने हमारे लिए बेसब्री से इंतजार के होते हैं। दस दिनों के अंतराल में दो हैप्पी बर्थ-डे।  30 जुलाई को ममा का और 10 अगस्त को पापा का जन्म-दिन। वाह, यह तो हमारे लिए सबसे सुन्दर दिन होते हैं और मस्ती भरे भी। 


आज तो ममा का हैप्पी-बर्थ डे है। ममा को जन्मदिन पर ढेर सारी बधाइयाँ और प्यार। Many-Many happy returns of the day Mom. U r the best Mom.

पापा को जन्मदिन पर पहले से ही  ढेर सारी शुभकामनाएं और प्यार !!

सोमवार, जुलाई 29, 2013

'गगन स्वर' में अक्षिता (पाखी) की रचनाएँ


गाजियाबाद से प्रकाशित 'गगन स्वर' पत्रिका के जून-जुलाई 2013  अंक में मेरी दो बाल-रचनाएँ पढ़ सकते हैं। ये दोनों रचनाएँ इससे पूर्व ताऊ जी डाट काम और परिकल्पना ब्लागोत्सव में प्रकाशित हैं !!


मिल्क पाउडर ही पी जाएँ

दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ . 

दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है 
जब उससे करूँ शिकायत 
रोये, महँगाई की मार है. 

दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ.


 नन्ही गौरैया  

उड़कर आई नन्ही गौरैया 
लान में हमारे। 
चूं-चूं करते उसके बच्चे 
लगते कितने प्यारे। 

गौरैया रोज तिनका लाती 
प्यारा सा घोंसला बनाती। 
चूं-चूं करते उसके बच्चे 
चोंच से खाना खिलाती। 


गुरुवार, जुलाई 25, 2013

'चाकलेट' जैसी स्वीट क्यों नहीं होती है 'ग्रीन चिली'

आजकल अपूर्वा के स्कूल में फल और सब्जियों को पहचानना (Know the Fruits and Vegetables) सिखाया जा रहा है।अपूर्वा जब भी घर के लॉन में जाती हैं तो सब्जियों के पौधों को देखती हैं और फिर उन्हें पहचानकर बेहद खुश होती हैं। 



ये है ग्रीन कलर की लेडी-फिंगर। मुझे और दीदी को यह वेजिटेबल खाना बहुत अच्छा लगता है।




यह है गोलू-मोलू सा ब्रिंजल। इसे देखकर लगता है जैसे जोकर ने अपनी कैप इसके ऊपर लगा दी है। ममा-पापा को इसका भर्ता खाना बहुत अच्छा लगता है।


ग्रीन चिली ....इसे देखते ही मैं भाग जाती हूँ। मैं सोचती हूँ कि यह इत्ती तीखी क्यों होती है, चाकलेट जैसी स्वीट क्यों नहीं ? पर मेरी मौसी को यह बहुत पसंद है।

!! आज के लिए इत्ता ही काफी है। अब स्कूल जाकर मिस को बताउंगी  !!

मंगलवार, जुलाई 23, 2013

अपूर्वा का फूल का पौधा

पिछले दिनों अपूर्वा  के स्कूल में वन महोत्सव मनाया गया। अपूर्वा इसे लेकर काफी उत्साहित थीं। अपूर्वा को उस दिन स्कूल एक फ्लावर-प्लांट लेकर जाना था।  अपूर्वा खुद हम  लोगों  के साथ  नर्सरी जाकर एक प्यारा सा  फूल का पौधा लाई और उसे लेकर खुश होती रहीं।


अपूर्वा का अपने स्कूल  में यह पहला सोशल-फंक्शन था, सो ये उस दिन खूब मन से स्कूल गईं। पर स्कूल  से लौटते समय दुखी भी हो गईं कि अब उनका फूल का पौधा स्कूल में ही रह जाएगा, इनके साथ नहीं रहेगा।


यह रहा अपूर्वा के स्कूल में लगा पोस्टर, जो पेड़-पौधों और वन के संरक्षण के बारे में बताता है !!

सोमवार, जुलाई 08, 2013

हालिडेज़ ख़त्म, बारिश में स्कूल शुरू


गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से शुरू हो गए। गर्मी की छुट्टियाँ कैसे बीत गईं, पता  भी नहीं चला चला। इस बार  तो रेनी-सीजन    भी  जल्द आ गया। थोड़ी-मोड़ी बारिश  तो अच्छी  लगती , है  पर ज्यादा बारिश  तो पूरा मजा ही  कर देती  है। जहाँ देखिये गड्ढों में   पानी भरे नजर आते हैं, पूरा ड्रेनेज जाम  हो जाता है और फिर चरों तरफ गन्दगी और रोग। ऐसे में बारिश के मौसम में स्कूल जाना सारा मजा किरकिरा देता है। 

...पर  अपने स्कूल दोस्तों से मिलने और नई  क्लास टीचर से मिलना, नई-नई बुक्स और ढेर सारी नई  बातें ...ये सब बातें स्कूल में कितनी अच्छी  लगती हैं। मेरा स्कूल  तो फ्राईडे, 5 जुलाई को  ही  खुल गया और अपूर्वा  का  आज 8 जुलाई को। मैं क्लास-I में तो अपूर्वा  अभी प्ले ग्रुप में। फोरनून में स्कूल में मस्ती और आफ्टरनून में घर में मस्ती !!