गाजियाबाद से प्रकाशित 'गगन स्वर' पत्रिका के जून-जुलाई 2013 अंक में मेरी दो बाल-रचनाएँ पढ़ सकते हैं। ये दोनों रचनाएँ इससे पूर्व ताऊ जी डाट काम और परिकल्पना ब्लागोत्सव में प्रकाशित हैं !!
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ
दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ .
दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है
जब उससे करूँ शिकायत
रोये, महँगाई की मार है.
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ.
दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ .
दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है
जब उससे करूँ शिकायत
रोये, महँगाई की मार है.
दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ.
नन्ही गौरैया
उड़कर आई नन्ही गौरैया
लान में हमारे।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
लगते कितने प्यारे।
गौरैया रोज तिनका लाती
प्यारा सा घोंसला बनाती।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
चोंच से खाना खिलाती।
उड़कर आई नन्ही गौरैया
लान में हमारे।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
लगते कितने प्यारे।
गौरैया रोज तिनका लाती
प्यारा सा घोंसला बनाती।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
चोंच से खाना खिलाती।
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