वाह, लगता है मौसम बदल चुका है। ठण्ड अब भाग चुकी है और बसन्त का मौसम आ चुका है। कहाँ अंडमान में ठण्ड ही नहीं पड़ती थी और यहाँ इलाहाबाद में तो खूब ठंडी पडी।
पर अब तो चारों तरफ़ धूप खिली हुई है। सूरज दादा के साथ फ्लावर्स भी खूब मुस्कुरा रहे हैं। हमारे लान में तो गुलाब (rose), गेंदा (Marigold), डहलिया (Dahlia) के खूब सारे फ्लावर्स खिले हुए हैं। इनको खिला हुआ देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है .
2 टिप्पणियां:
प्यारे-प्यारे फ्लावर्ज़ के बीच पाखी तो खुद ही फ्लावर लग रही है।
प्यारे-प्यारे फ्लावर्ज़ के बीच पाखी तो खुद ही फ्लावर लग रही है।
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