आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शनिवार, दिसंबर 31, 2011

2011..बाय-बाय...2012..वेलकम !!

आज वर्ष 2011 का अंतिम दिन है. कल से नया वर्ष-2012 आरंभ हो जायेगा. नए साल के स्वागत के लिए मैंने भी तैयारी कर ली है. आपने तो कर ही ली होगी.
नव वर्ष-2012 पर आप सभी लोगों को ढेरों बधाई और प्यार. ..और हाँ, आपका आशीर्वाद और स्नेह तो मुझे चाहिए ही अब साल भर.

शुक्रवार, दिसंबर 30, 2011

आज ही के दिन नेता जी ने फहराया था अंडमान में राष्ट्रीय ध्वज

आज का दिन अंडमान में काफी महत्व रखता है. आज सुबह जब मैं पापा के गेस्ट-हॉउस में जा रही थी तो देखा कि नेता जी स्टेडियम के सामने राष्ट्रीय झंडा फहराया जा रहा है. मैंने सोचा कि आज क्यों झंडा फहराया जा रहा है ?

फिर पापा ने बताया कि आज ही के दिन अर्थात 30 दिसंबर को 1943 में आजाद हिंद फ़ौज (Indian National Army) के सुप्रीम कमांडर के रूप में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सर्वप्रथम अंडमान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. तब हमारा देश अंग्रेजों का पराधीन था और अंडमान में जापान का कब्ज़ा था. नेता जी यहाँ अंडमान में सेलुलर जेल देखने आए थे और अंडमान-निकोबार को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र पहले क्षेत्र के रूप में घोषित कर उन्होंने यहाँ जिमखाना ग्राउंड (अब नेता जी स्टेडियम) में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. नेता जी ने इन द्वीपों को 'शहीद' और 'स्वराज' नाम दिया था. उस समय नेता जी कि सरकार को 9 देशों की सरकार ने मान्यता दी थी. तब से हर साल 30 दिसंबर को यहाँ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराकर उस दिन को याद किया जाता है.

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30th December is a significant day in the history of India in general and the Andamans in particular. On this day in the year 1943, Netaji Subhash Chandra Bose hoisted the National Flag for the first time at Port Blair declaring the islands, the first Indian Territory to be liberated from the British rule, renamed them “Saheed” and “Swaraj”. Today the day is celebrated as “Andaman Day”, the day marks the anniversary of the unfurling of the first Indian Tricolour.

बुधवार, दिसंबर 28, 2011

अब बताइए, पाखी की ड्राइंग में क्या-क्या छुपा है..

एक लम्बे समय से मेरे ब्लॉग पर मेरी ड्राइंग अपलोड ही नहीं की गईं. आप भी सोच रहे होंगे की पाखी की ड्राइंग कहाँ गायब हो गईं. तो ये रहीं मेरी कुछेक नई ड्राइंग..












..अब इन्हें देखकर जल्दी से बताइए कि इनमें क्या-क्या छुपा है !!

सोमवार, दिसंबर 26, 2011

सुनामी की याद और निकोबार की यात्रा

अंडमान में पिछले तीन दिनों से खूब बारिश और तूफानी हवाएं चल रही हैं. सभी द्वीपों पर जाने के लिए अधिकतर बोट, हेलीकाप्टर इत्यादि कैंसल हो गए हैं. इस सबके चक्कर में तो क्रिसमस का सारा मजा ही ख़राब हो गया. मेरी छुट्टियाँ हैं, पर कहीं घूमने भी नहीं जा पा रही हूँ.

..आपको पता है 26 दिसंबर 2004 को अंडमान-निकोबार में भयंकर सुनामी आई थी. आज उस घटना को सात साल पूरे हो गए हैं. यहाँ पोर्टब्लेयर के जिस मरीना पार्क में मैं खेलती हूँ, वह भी सुनामी में ध्वस्त हो गया था. अब तो नया पार्क बना है. ऐसे ही यहाँ बहुत सारी चीजें नष्ट हो गईं. पापा बता रहे थे कि सबसे ज्यादा नुकसान निकोबार में हुआ था. मैं तो अभी तक निकोबार नहीं गई हूँ, पर पापा दो बार घूम आए हैं.

पापा अभी 20 और 21 दिसंबर, 2011 को निकोबार गए थे. वहाँ से वे ढेर सारी तस्वीरें कैमरे में कैद करके लाए. आप भी देखिए-
सुनामी मेमोरियल, निकोबार के मुख्य गेट के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
सुनामी मेमोरियल, निकोबार के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
सुनामी मेमोरियल, निकोबार के अन्दर प्रदर्शित पट्टिका, जिस पर लिखा है कि आगामी पीढ़ियों को इस विभीषिका को कभी नहीं भूलना चाहिए.
सुनामी मेमोरियल, निकोबार के अन्दर प्रदर्शित पट्टिका, जिस पर उन लोगों के नाम दर्ज हैं, जो सुनामी की भेंट चढ़ गए. इस पर लगभग 700 लोगों के नाम अंकित हैं. इसमें मात्र उन्हीं लोगों के नाम शामिल हैं, जिनका मृत-शरीर पाया गया. जिनका मृत शरीर नहीं पाया गया, उनके बारे में यह पट्टिका मौन है.निकोबारी गाँव में एक निकोबारी-हट में लगी उन लोगों की नाम पट्टिका, जो सुनामी की विभीषिका में ख़त्म हो गए.उक्त नाम-पट्टिका के समक्ष बैठे वृद्ध निकोबारी से जानकारी लेने के बाद पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.निकोबारी गाँव में निकोबारी-हट के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
निकोबारी-हट के अन्दर पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
निकोबारी हट के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी. हर निकोबारी कबीले में ऐसी एक हट होती है, जिसे वे सामुदायिक-गृह के रूप में प्रयोग करते हैं. शादी-ब्याह, उत्सव के दौरान मेहमानों के ठहरने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. यह दो मंजिला होती है.सुनामी से पहले बनी निकोबारी-झोपड़ियाँ, जो अब नष्टप्राय हो गई हैं. इसके बदले में प्रशासन ने निकोबरियों को नए घर उपलध कराए हैं.सुनामी पश्चात् निकोबरियों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए नए मकान.
सुनामी के दौरान पुरानी जेट्टी स्थित समुद्र तट के पास अवस्थित कई मकान इत्यादि ध्वस्त हो गए, पर मुरूगन देवता का यह मंदिर सलामत रहा. यही कारण है कि लोग इस मंदिर के प्रति काफी आस्था रखते हैं.
निकोबार में समुद्र तट के किनारे पड़ी, निकोबारी लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती रहीं डोंगी (बोट). सुनामी के दौरान ये सब ख़राब हो गईं.सुनामी के दौरान निकोबार में काफी नुकसान हुआ. इसी दौरान एक जलयान (Ship) पानी में डूब गया. उसके अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं.निकोबार की पुरानी जेट्टी, जो सुनामी में नष्ट हो गई. अब यहाँ नई जेट्टी बनाने का कार्य चल रहा है.
सुनामी ने यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा और जैव विविधता को काफी नुकसान पहुँचाया. समुद्र के किनारे और जंगलों तक में नष्ट हो गई कोरल्स बिखरी पड़ी हैं.ऐसी ही कोरल्स के साथ पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी. अंडमान-निकोबार के समुद्र तट (Beach) अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ मोतियों जैसे चमकते सफ़ेद बालू के लिए भी जाने जाते हैं. इनका आकर्षण ही कुछ अलग होता है.इस आकर्षण का लुत्फ़ उठाते पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
निकोबार में एक तट का रमणीक दृश्य.
निकोबार में नारियल वृक्षों का एक रमणीक दृश्य. निकोबारी नारियल-फल को इकठ्ठा कर मुख्य भूमि भेजते हैं और यह इनकी आय का प्रमुख स्रोत है.
निकोबार में मात्र दो जनजातियाँ पाई जाती हैं-निकोबारी और शौम्पेन. इनमें से निकोबारी अब सभ्य हो चुके हैं. वे बकायदा शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और तमाम रोजगारों में भी हैं. निकोबारी बालकों के साथ पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.दितीय विश्व-युद्ध के दौरान अंडमान-निकोबार पर जापानियों का कब्ज़ा रहा. उन्होंने शत्रु-राष्ट्रों से मुकाबले के लिए अंडमान-निकोबार की अवस्थिति के चलते इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल किया. यहाँ पर अभी भी कई बंकर और तोपों के अवशेष देखे जा सकते हैं. ऐसी ही एक तोप के समक्ष खड़े पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.1942-45 के दौरान दितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों का अंडमान-निकोबार पर कब्ज़ा रहा. इस दौरान उन्हें सबसे ज्यादा भय अंग्रेजी बोलने वालों और शिक्षित लोगों से था. ऐसे लोगों को वे अंग्रेजों का मुखबिर समझते थे. ऐसे तमाम लोगों को जापानियों ने न्रीशन्षता -पूर्वक मौत के घाट उतार दिया. सेंट थामस न्यू कैथेड्रल चर्च, मूस, कार निकोबार के समक्ष ऐसे लोगों की सूची, जिन्हें जापानियों ने ख़त्म कर दिया.
सेंट थामस न्यू कैथेड्रल चर्च, मूस, कार निकोबार के समक्ष बिशप डा. जान रिचर्डसन (1884- 3 जून 1978) की मूर्ति. बिशप डा. जान रिचर्डसन को निकोबरियों को सभ्य बनाने का श्रेय जाता है. भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित बिशप जान रिचर्डसन संसद हेतु अंडमान-निकोबार से प्रथम मनोनीत सांसद भी थे.सेंट थामस न्यू कैथेड्रल चर्च, मूस, कार निकोबार के समक्ष बिशप डा. जान रिचर्डसन (1884- 3 जून 1978) की समाधि.सेंट थामस न्यू कैथेड्रल चर्च, मूस, कार निकोबार में एक निकोबारी बालक और अपने मित्र के साथ पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.
कार-निकोबार में अवस्थित जान रिचर्डसन स्टेडियम. इसका उद्घाटन 15 अप्रैल, 1994 को तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हा राव जी द्वारा किया गया था. अंडमान-निकोबार लोक निर्माण विभाग के अतिथि-गृह में पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.अंडमान-निकोबार लोक निर्माण विभाग के अतिथि-गृह के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी.कार-निकोबार में किमूस-नाला के ऊपर बने इस 180 फीट के वैली-ब्रिज का उद्घाटन दिसंबर माह में ही अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव श्री शक्ति सिन्हा द्वारा किया गया है. इस पुल के बन जाने से आवागमन में काफी सुविधा उत्पन्न हो गई है.

...तो कैसी लगी यह निकोबार यात्रा. आप जब भी आइयेगा, निकोबार घूमने जरुर जाइएगा. निकोबार जाने के लिए जिला-उपायुक्त से विशेष पास लेने की जरुरत होती है. वहाँ होटल इत्यदि की सुविधा नगण्य ही मानें. पोर्टब्लेयर से हेलीकाप्टर द्वारा एक घंटे और शिप द्वारा कार-निकोबार पहुँचने में लगभग 15-18 घंटे लगते हैं.

रविवार, दिसंबर 25, 2011

आज सेंटा लायेगा ढेर सारे उपहार...हैप्पी क्रिसमस !!

आज तो चारों तरफ क्रिसमस की धूम है. चारों तरफ क्रिसमस-ट्री, लटके हुए खूबसूरत स्टार, जिंगल बेल कितने अच्छे लगते हैं. सेंटा-क्लाज तो मुझे बहुत प्यारा लगता है. मैं सोचती हूँ की वह इस साल मेरे लिए भी खूब गिफ्ट लेकर आए.

मेरे स्कूल की तो पहले से ही छुट्टियाँ हो चुकी हैं. यहाँ अंडमान में तो क्रिसमस का त्यौहार खूब धूम-धाम से मनाया जाता है. हमारे स्कूल में भी 20 दिसंबर को एक क्रिसमस फंक्शन हुआ, बड़ा मजा आया. इसमें हम सभी बच्चे कोई ना कोई रोल निभा रहे थे. मैं तो परी बनी थी.

मेरी छोटी बहन अपूर्वा भी 27 दिसंबर को 1 साल 2 माह माह की हो जाएगी. सो, छुट्टियाँ ही छुट्टियाँ और मस्ती ही मस्ती।




!! आप सभी को क्रिसमस की बधाई और ढेर सारा प्यार !!

!!...हो सकता है सेंटा उपहार लेकर आपके घर भी पहुँच जाये, सो तैयार रहिएगा...!!

बुधवार, दिसंबर 21, 2011

स्कूल की छुट्टी..क्रिसमस की बधाइयाँ !!

आज से मेरे स्कूल की छुट्टियाँ आरंभ हो गई हैं. अब मेरा स्कूल क्रिसमस और नए साल के बाद 2 जनवरी को खुलेगा. तब तक तो मुझे खूब मस्ती करनी है, घूमना है.


स्कूल बंद होने से पहले हम सभी को क्रिसमस कार्ड बनाने का प्रोजेक्ट दिया गया. मेरा कार्ड सबसे सुन्दर था. इसे तो स्कूल के बोर्ड पर भी लगाया गया है. यह रहा मेरा क्रिसमस-कार्ड.



..तो कैसा लगा मेरा क्रिसमस-कार्ड.

!! आप सभी को 'क्रिसमस' और 'बड़ा-दिन' (25 दिसंबर) की अग्रिम बधाइयाँ !!

रविवार, दिसंबर 18, 2011

छम-छम नाचा मोर


आजकल स्कूल में ढेर सारी कविताएँ पढाई जाती हैं. घर पर आकर मैं उन्हें खूब गुनगुनाती हूँ. इसे आप भी मेरे साथ गुनगुनाइए-

नीले अम्बर पर फिर छाई
इक घटा घनघोर
ठंडी-ठंडी हवा चली
और छम-छम नाचा मोर !

देखके इतना सुन्दर पक्षी
मेरे मन में आया
वो भी कितना सुन्दर होगा
जिसने इसे बनाया !!

गुरुवार, दिसंबर 08, 2011

चिड़िया चूं-चूं करती है

आजकल मेरे स्कूल में ढेर सारी प्यारी-प्यारी कविताएँ पढाई जाती हैं. घर पर आकर मैं उन्हें खूब गुनगुनाती हूँ. इसे आप भी मेरे साथ गुनगुनाइए-

चिड़िया चूं-चूं करती है
पास जाओ तो डरती है
दिन में खाना खाती है
रात पड़े सो जाती है !!

रविवार, दिसंबर 04, 2011

देवानंद जी भगवान जी के पास चले गए..श्रद्धांजलि !! .

देवानंद साहब नहीं रहे. दादा जी बताते हैं कि वो उनके ज़माने के हीरो थे. पापा ने बताया कि देवानंद जी आरंभ में पत्रों की छंटाई का कार्य करते थे. फिर देखते-देखते हीरो बन गए. मैंने उन्हें तमाम चैनल्स पर देखा है, पर आज तक उनकी कोई मूवी नहीं देखी. मामा-पापा ने तो उनकी कुछेक फ़िल्में देखी हैं. अब मैं भी उनकी कोई फिल्म देखुन्गीं, तभी तो पता चलेगा कि लोग उन्हें सदाबहार-हीरो क्यों कहते थे..!


देवानंद जी भगवान जी के पास चले गए, पर अपनी फिल्मों से वे सदैव जिन्दा रहेंगें....श्रद्धांजलि !!