लीची तो मुझे बहुत भाती है. पर यहाँ अंडमान में ज्यादा नहीं मिलती. गर्मी की छुट्टियों में एक दिन ममा-पापा के साथ हेलीपैड से बाहर निकल रही थी कि लीची वाला दिख गया.
फिर क्या था, ढेर सारी लीची खरीदकर लाई.
खूब स्वाद ले-ले कर खाए.
कित्ती स्वादिष्ट है यह लीची..
17 टिप्पणियां:
लार तो हमारी भी टपक गयी।
खूब रसीली, मीठी-मीठी |
लीची मुझको भी है भाती ||
are bhai thore hume bhi chakhaoooo.......
इधर भी मुंह में पानी आ रहा है। एक मिलेगी क्या....
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बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्तुति।
अब आप अल्पना वर्मा से विज्ञान समाचार सुनिए..
chup chap jaldi se kha lo humre muh me paani aa raha hai lichi dekhkar
मेरे मुंह में भी पानी आ गया :)
@ Pravin Uncle,
है ही यह लीची इत्ती स्वादिष्ट.
@ Runjhun Di,
अरे वाह दी , तब तो हम दोनों बैठकर लीची खा सकते हैं.
@ Rashmi Aunty,
Ab to finish ho gai..
@ Jakir Uncle,
जब लखनऊ आयेंगें तो आप खिलायेंगें ना..
@ SAnjay Uncle,
हा..हा..हा..सब खा गई.
@ Kajal Uncle,
Ha..ha..ha.yamiiiiii
Lichi kitni mithi hai..
ye pakhi hi batlayegi..
pr shart yah hai gr mithi hai to,
ham sabko bhi khilayegi..
muh men paani dekh ke aya
Paki paki lichi,
kaisi lgi hai pakhi tumko,
bta tu sacchi mucchi..
really,very tasty.
वाकई, दादा जी के मुंह में भी पानी आ गया.
तन्वी को तो नहीं खिलाया न...
हमें भी खाना है लीची....लाओ लाओ!!! सबसे अच्छे वाले अंकल का शेयर नहीं रखा क्या....जरा दिन के लिए ही तो बाहर गये थे....
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