दीपावली का त्यौहार फिर से आ गया। इस बार हम यह त्यौहार जोधपुर में सेलिब्रेट करेंगे। वैसे भी, दीपावली का इंतजार हमें कई दिनों से रहता है। इस दिन ढेर सारे दीये जलाना बहुत अच्छा लगता है। फिर उन्हें घर के हर कोने में और बाहर लान में सजाकर लगाना कित्ता सुन्दर लगता है। ऐसे लगता है जैसे धरती पर ढेर सारे तारे चमक रहे हों। और हाँ, लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करके उन्हें भोग चढ़ाना और फिर ढेर सारी मिठाइयां और चॉकलेट्स खाने का तो आनंद ही कुछ और है।
एक बात और ..मुझे ढेर सारे पटाखे जलाने का बिलकुल मन नहीं करता है। एक तो इससे प्रदूषण फैलता है और इससे कित्ता शोर-शराबा होता है। यह हमारे हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। हमारे स्कूल में भी इस बारे में बताया गया और हमने भी कई लोगों से प्रॉमिस लिया कि वे इस साल पटाखे नहीं जलाएंगे और इको-फ्रेंडली दीपावली मनाएंगे।
दीपावली रोशनी का त्यौहार है, न कि पटाखों का। इस मौके पर हम खूब दीये जलाएंगे और परिवार के साथ इसका आनंद उठाएंगे। पटाखों से तो बिलकुल दूर रहूँगी। पटाखों से निकली चिंगारी से तो कई बार लोगों की आँखों की रोशनी भी चली जाती है। इससे प्रदूषण भी बहुत फैलता है। ऐसे में मैंने संकल्प लिया है कि इस दीपावली पर पटाखों से दूर रहूँगी। जो पैसे हम पटाखों पर खर्च करते हैं, उनसे किसी गरीब या जरूरतमंद की सहायता कर उनके जीवन में रोशनी फैलाएंगे।
- अक्षिता (पाखी)
(राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता)
!! आप सभी को दीपावली पर्व पर सपरिवार शुभकामनाएँ !!
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