माँ से प्यारा कोई नहीं। हम तो हमेशा अपनी मम्मी-पापा के साथ ही रहते हैं। जब पापा ऑफिस चले जाते हैं तो फिर मम्मी के साथ ही दिन भर शरारतें और मस्ती। वैसे मां को सम्मानित करने के लिए मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। पर माँ के लिए एक दिन ही क्यों, हर दिन तो माँ का ही है। माँ हमारी सबसे बेस्ट फ्रेंड भी तो होती हैं, इससे पहले कि हम कोई बात कहें, माँ झट से समझ लेती हैं। माँ को लेकर पापा जी की एक बाल-कविता भी पढ़िए।
कितनी प्यारी मेरी मम्मी,
परी सी मुझको लगती है।
अपनी खुशियाँ देखे मुझमें,
हरदम हँसती रहती है।
मम्मी मुझको स्कूल छोड़ती,
फिर आॅफिस चली जाती है।
शाम को फिर लेने आती,
कार में सैर कराती है।
पार्क में और माॅल घुमाती,
चाॅकलेट खिलाती है।
क्लास में मैं रहूँगी अव्वल,
होमवर्क करवाती है।
माँ से प्यारा कोई नहीं
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