दशहरे में सबसे महत्वपूर्ण होता है - मेला, राम लीला और दुर्गा पूजा। हमने तो मेले और दुर्गा पूजा को इंजॉय किया। इलाहाबाद में सिविल लाइंस का मेला देखा और ढेर सारी दुर्गा मां की प्रतिमाएं भी देखीं। राम लीला हमने आज तक नहीं देखी, सोचती हूँ अगली बार जरुर देखूंगी। जब हम कानपुर में थे तो वहां रावण-दहन खूब देखते थे, पर इलाहाबाद में तो रावण-दहन नहीं दिखा। यहाँ मेले के दिन सजी-धजी चौकियाँ खूब निकलती हैं, उन्हें हमने जरुर देखा।
वैसे अब तो मेले का बहुत मतलब नहीं रहा, हर चीज हर दिन उपलब्ध है। पर फिर भी हम ढेर सारे बैलून, ट्वायज़ लाए। और हाँ, धनुष, बाण, गदा और तलवार लेकर भी आए। इसी बहाने घर में ही राम लीला आरंभ कर दी।
आप सभी को दशहरा पर्व पर ढेर सारी शुभकामनायें और बधाइयाँ !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें