पिछली पोस्ट में मैंने अपने एक्वेरियम के बारे में बताया था। कि कैसे मैंने ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं और उनकी केयर भी करती हूँ। आज आपको मछली रानी को लेकर स्कूल में पढाई गई राइम बताती हूँ। इसे स्कूल में सुनकर हमें खूब हँसी आती थी।अब इसे हमने अपनी सिस्टर अपूर्वा को भी सिखा दिया है, वह भी खूब मन से गाती है। आप भी पढ़िए-
मछली जल की रानी है।
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ तो
डर जाती है।
बाहर निकालो तो
मर जाती है।
कुकर में डालो तो
पक जाती है।
दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।
8 टिप्पणियां:
मछली जल की रानी है,
पाखी बड़ी सयानी है।
Bahut khub Pakhi.
कुकर में डालो तो
पक जाती है।
दो दिन रखो तो
सड़ जाती है। ...Ha..ha..ha..majedar.
बाल -मन को सहेजती सुन्दर कविता।
दिनांक 06/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
“दर्द की तुकबंदी...हलचल का रविवार विशेषांक....रचनाकार...रविकर जी”
bachpan yaad dila diya :)
kabhi hamne bhi khub gungunaaee thi ye poem.
recent poem : मायने बदल गऐ
sundar
:-)
कुकर में डालो तो
पक जाती है।
दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।
..Like its.
एक टिप्पणी भेजें