आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

सोमवार, दिसंबर 31, 2012

अलविदा-2012...नूतन वर्ष-2013 का स्वागत

 
!! अलविदा-2012 !!
 
 I नूतन वर्ष-2013 का स्वागत है।
 
!!आप सभी को नव वर्ष पर बधाइयाँ !!
 
**नया साल आप सभी के जीवन में नया उल्लास और नई खुशियाँ लेकर आए**

रविवार, दिसंबर 30, 2012

अपूर्वा की ड्राइविंग

अपूर्वा बड़ी हो रही हैं। अब तो दो साल, दो माह से भी बड़ी हो गईं। हमने बताया ही था कि अब चीजों को समझने लगी हैं और खूब जिद भी करने लगी हैं। ड्राइवर अंकल को कार चलते देखकर अपूर्वा का मन भी कार-ड्राइविंग के लिए मचलता है। अब देखिये अपूर्वा की कार-ड्राइविंग।


अब लगता है, जल्द ही अपूर्वा हमें लांग-ड्राइविंग पर ले जायेंगीं।

गुरुवार, दिसंबर 27, 2012

दो साल दो महीने की हो गईं अपूर्वा

ये हैं हमारी सिस्टर अपूर्वा। आज 27 दिसंबर, 2012 को  पूरे दो साल दो महीने की हो गईं।
अब चीजों को समझने लगी हैं और खूब जिद भी करने लगी हैं।

अपूर्वा हमारी बेस्ट फ्रैंड भी हैं।

अपूर्वा को हमारी तरफ से ढेर सारी शुभकामनायें और प्यार।

!! आप भी अपना स्नेहिल आशीर्वाद देना न भूलियेगा !!  

बुधवार, दिसंबर 26, 2012

मिलिए तोता (Parrot) जी से

 
मिलिए इन तोता (Parrot) जी से। आजकल यह हमारे घर के लॉन में दिन भर मस्ती करते रहते हैं।
 
सुबह-सुबह क्रेडल पर बैठकर आनंद उठाते हैं।
 
यह देखिये, कित्ता अच्छा पोज दे रहे हैं।
मन किया तो पोल पर बैठकर धूप सेंकते हैं।
धूप और खिली तो जमकर बाथिंग-बाथिंग करते हैं।
 
!! है न मजेदार !! 

मंगलवार, दिसंबर 25, 2012

मैं भी सांता क्लाज बनूँ

आज क्रिसमस है। मेरे घर से तो चर्च बहुत सुन्दर दिखता है। कल रात में मैंने इसकी सजावट देखी, वाकई बहुत खूबसूरत। ठीक वैसे ही जैसे हम दीपावली पर घर सजाते हैं।
क्रिसमस पर मुझे सबसे अच्छा लगता है- संता क्लाज। मेरा भी मन करता है कि मैं संता क्लाज जैसी ड्रेस पहनूं और सभी को ढेर सारे गिफ्ट दूं।
क्रिसमस पर मैंने अपने स्कूल के लिए सुन्दर सी बेल बनाई थी और यह प्यारा सा क्रिसमस-ट्री भी मैंने बनाया है।
 
!! Wish u all a very-very Happy X-mas !! 

सोमवार, दिसंबर 24, 2012

छुट्टियों के दिन

आजकल छुट्टियों के दिन चल रहे हैं। इस बीच क्रिसमस से लेकर नए साल तक का आगमन होगा। कई बार सोचती हूँ कि बाहर निकलूं, पर ठण्ड इत्ती ज्यादा पड़ रही है कि हिम्मत ही नहीं पड़ती। सूरज दादा तो मानो नाराज बैठे हैं कि वे अपना मुखड़ा नहीं दिखाएंगें, ताकि हम बच्चे छुट्टियों में कहीं निकल ही न पायें। यह तो कुछ ज्यादा ही ज्यादती हो गई।

छुट्टियाँ हैं, तो घर में बैठने से थोड़े ही काम चलेगा। परसों सटरडे को मैंने दबंग-2 मूवी देखी। अब चुलबुल पाण्डेय जी लालगंज (आजमगढ़) से कानपुर आ गए हैं। आजमगढ़ तो हमारा पैत्रिक आवास है और कानपुर में हमारा जन्म हुआ है। अब तो लगता है कि दबंग-3 में चुलबुल जी पक्का इलाहाबाद ट्रांसफर हो जायेंगे, आखिर हम इलाहाबाद में जो हैं। इस बीच अपने ननिहाल भी घूम आई। पहली बार गाजीपुर भी गई और ममा का कालेज देखा। गाजीपुर में हम अफीम-कोठी में टिके। वहाँ ढेर सारे बन्दर दिखे। कई बन्दर तो अफीम की फैक्ट्री से निकलने वाला पानी पीकर बेसुध पड़े थे। गाजीपुर में ही अंग्रेज गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस का भी मकबरा देखा।

(ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर)
 
इलाहाबाद में इस समय कुम्भ की खूब तैयारियां चल रही हैं। सारी सड़कें साफ-सुथरी नजर आती हैं। जब हम इलाहाबाद आए थे तो चारों तरफ खूब धूल और गंदगी दिखती थी। तब तो हम पापा जी से यही पूछते थे कि इत्ते गंदे शहर में कैसे रहकर उन्होंने पढाई की थी। खैर, अब तो अच्छा हो गया है। इस बार हम भी कुम्भ मेले को इंजॉय करेंगे। वहाँ पापा के कैम्प आफिस में बैठकर देखेंगे कि इतने सारे लोग कैसे इतनी ठण्ड में रहते हैं। कित्ते सारे साधु-संत अपना डेरा वहाँ डाले हुए हैं।

अभी तो हमें बनारस भी जाना है। बनारस घूमना हमें बहुत अच्छा लगता है, खासकर सारनाथ और गंगा-तट की गंगा आरती।

इलाहबाद में भी ढेर सारी घूमने की जगहें हैं। किला और संगम तो हम घूम चुके हैं। इसके अलावा आनंद भवन, कंपनी बाग़, संग्रहालय, सरस्वती घाट, खुसरो बाग़ सहित ढेर सारी जगहें घूमने के लिए हैं। और हाँ, इलाहाबादी अमरुद के बिना तो सब कुछ अधूरा है और आजकल इनका सीजन भी चल रहा है। तो मैं चली इलाहाबादी अमरुद खाने और आप भी जल्दी से इलाहाबाद घूम जाइये। एक साथ ही प्रयाग कुम्भ और इलाहाबादी अमरुद दोनों के दर्शन हो जायेंगें।

शुक्रवार, दिसंबर 14, 2012

मछली जल की रानी है


पिछली पोस्ट में मैंने अपने एक्वेरियम के बारे में बताया था। कि कैसे मैंने ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं और उनकी केयर भी करती हूँ। आज आपको मछली रानी को लेकर स्कूल में पढाई गई राइम बताती हूँ। इसे स्कूल में सुनकर हमें खूब हँसी आती थी।अब इसे हमने अपनी सिस्टर अपूर्वा को भी सिखा दिया है, वह भी खूब मन से गाती है। आप भी पढ़िए-


मछली जल की रानी है।
जीवन उसका पानी है।

हाथ लगाओ तो
डर जाती है।

बाहर निकालो तो
मर जाती है।

कुकर में डालो तो
पक जाती है।

दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।

बुधवार, दिसंबर 12, 2012

12-12-12 का जादू

आज का दिन कितना खास है-12.12.12.
 
सोचिये यह कितने सालों में आता है।
 
चलिए हम सभी इस दिन को भरपूर इंजॉय करें.  
 
इस दिन के लिए आप सभी को बधाइयाँ।
 

सोमवार, दिसंबर 10, 2012

दैनिक भास्कर : 'पाखी की दुनि‍या' के अनोखे रहस्य, जानने को हुए बेताब


इलाहाबाद. इन्टरनेट बच्‍चों के बचपन का हिस्सा ही नहीं बनता जा रहा, बल्कि देश की बाल पीढ़ी इस क्षेत्र में भी अनूठे मकाम हासिल कर रही है। इसी की एक मिसाल हैं चाचा नेहरू के गृह नगर इलाहाबाद की नन्ही मासूम अक्षिता, जिसने ब्‍लॉगिंग की दुनिया में देश में सबसे कम उम्र की ब्‍लॉगर के रूप में अपनी पहचान बनाकर राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार हासिल किया है। जिस उम्र में बच्चे खिलौने की दुनिया में उलझे रहते है, उस उम्र में इलाहाबाद की अक्षिता की उंगलियां लैपटॉप के की-बोर्ड में इस कदर फिसलती हैं कि देखने वाले भी हैरत में पड़ जाते है । अक्षिता की इसी खूबी ने उसे देश की पहली सबसे लोकप्रिय बाल ब्‍लॉगर के मुकाम पर पहुंचा दिया है ।

अक्षिता का ब्लॉग "पाखी की दुनिया" बच्चो ही नहीं, बड़ो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। यही वजह है की उसे ब्‍लॉगिंग के क्षेत्र में "राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार" से केंद्र सरकार की तरफ से नवाज़ा गया है। अक्षिता का यह ब्लॉग उसकी सोच और कल्पना का मूर्त रूप है। अक्षिता की सोच को ब्लॉग के माध्यम से उकेरने की जिम्मेदारी खुद अक्षिता के माता-पिता ने ली है। वह उसके द्वारा कहे गये शब्दों, उसकी कल्पना व सोच को शब्दों का रूप देकर इस ब्लॉग को मेंटेन करते हैं। अपने ब्लॉग को लेकर अक्षिता का कहना है कि वह इसके माध्यम से अपनी बाते पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहती है। इलाहाबद के एक स्कूल में KG-2 कक्षा में पढ़ने वाली अक्षिता को यह शौक विरासत से मिला है। 

अक्षिता के मां- बाप भी देश में ब्‍लॉगिंग के क्षेत्र में एक जाना पहचना नाम हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव प्रशासनिक अधिकारी हैं और मां आकांक्षा यादव एक कालेज में प्रवक्ता के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र अध्ययन-लेखन में प्रवृत्त हैं। दोनों के ब्लॉग ब्‍लॉगिंग की दुनिया में काफी लोकप्रिय हुए हैं। उन्हें देश का पहला ब्‍लॉगर दंपति  का पुरस्‍कार मिल चुका है। अक्षिता की प्रेरणा भी उसके ब्‍लॉगर मम्मी-पापा हैं। दोनों ही इस ब्लॉग को सजाने और संवारने की पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं। अक्षिता की सभी तस्वीरों को इस ब्लॉग पर देखा जा सकता है।

अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव का कहना  है कि वह पहले से एक ब्लॉग चलाते थे। उनको ब्लॉग लिखता देख उनकी बेटी ने भी ब्लॉग बनाने की जिद की। राष्ट्रीय बाल पुरस्‍कार-2012 के अलावा अक्षिता ने हिन्दी साहित्य निकेतन का परिकल्पना सम्मान भी सन 2010 में हासिल किया था ।

अक्षिता अपने ब्लॉग "पाखी की दुनिया" (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में केवल अपनी की गई पेंटिंग और अपनी परिकल्पना ही बच्‍चों से शेयर नहीं करती, बल्कि अपने ब्लॉग के जरिये वह बच्‍चों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिए अपने ही अंदाज में बाल अभियान चला रही है ।

- आशीष राय

साभार : दैनिक भास्कर (16 नवम्बर, 2012)

शनिवार, दिसंबर 08, 2012

रंग-बिरंगी मछलियाँ

रंग-बिरंगी मछलियाँ भला किसे नहीं अच्छी लगतीं। मुझे तो बहुत अच्छी लगती हैं। अंडमान में समुद्र में तो ढेर सारी रंग-बिरंगी मछलियाँ दिखती थीं। ग्लास-बोट से उन्हें देखना बहुत रोमांचक लगता था।
यहाँ इलाहाबाद में भी मैंने एक्वेरियम में ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं। उन्हें मैं रोज अपने हाथों से खिलाती हूँ।
कित्ता अच्छा लगता है, जब सारी मछलियाँ मुझे देखते ही ग्रुप में आगे आ जाती हैं कि अब मैं उन्हें उनका फ़ूड दूंगीं।
मुझे तो गोल्ड-फिश बहुत प्यारी लगती हैं।
इसके अलावा मेरे एक्वेरियम में एन्जिल, शुभांगिनी, शार्क जैसी मछलियाँ भी हैं। अपूर्वा भी इनके साथ खूब इन्जॉय करती है।   

मंगलवार, दिसंबर 04, 2012

इलाहाबाद में राष्ट्रीय पुस्तक मेला

पिछले दिनों इलाहाबाद में 23 नवम्बर-2 दिसंबर तक तक बुक-फेयर लगा। इसमें कई पब्लिकेशंज़ ने अपने बुक-स्टाल्स लगाये।
मैं भी इस बुक-फेयर में गई। किसी बुक-फेयर में जाने का यह मेरा पहला मौका था, सो ज्यादा उत्साहित भी थी। स्कूल  में टीचर जी ने भी इस बुक-फेयर के बारे में बताया था।
                  
मैंने तो अपने लिए ढेर सारी बुक्स खरीदीं और हाँ अपनी सिस्टर अपूर्वा के लिए भी। अगले साल से उसे भी तो स्कूल जाना है।
   (वाव...ढेर सारी बुक्स...पुस्तक मेला, इलाहाबाद में बुक-स्टाल के समक्ष अक्षिता)
(पुस्तक मेला, इलाहाबाद में गोपाल दास 'नीरज' जी की एक पुस्तक देखती अक्षिता)
(इस स्टाल पर तो बच्चों के लिए ढेर सारी बुक्स और टोयज़ हैं। यहाँ से मैंने अपने लिए ढेर सारी बुक्स खरीदीं )
 (वाह, यह मिकी माउस कितना खुबसूरत है। इसे अपनी सिस्टर अपूर्वा के लिए खरीद लेती हूँ) 
                  (पुस्तक मेला, इलाहाबाद में पुस्तक देखते पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी )
                                  (पुस्तक मेला, इलाहाबाद में सपरिवार)
                       (पुस्तक मेला, इलाहाबाद में पापा के साथ अक्षिता (पाखी)