पिछले रविवार को मैं ममा-पापा और तन्वी के साथ हैवलाक घूमने गई थी तो वहाँ एलीफैंट-राइडिंग का भी मजा लिया. पहले जो जब मुझे पता चला कि संडे को राधानगर बीच पर एलीफैंट-राइडिंग नहीं होती है तो मैं बहुत उदास हो गई. फिर पापा ने वहाँ के DFO अंकल से बात करके एलीफैंट-राइडिंग की व्यवस्था कराई.
यह तो मेरी पहली एलीफैंट-राइडिंग थी, सो डर भी लग रहा था की कहीं हाथी-राजा मुझे गिरा न दें.
पर ममा-पापा के रहते डर कैसा...
महावत जी भी तो साथ-साथ चल रहे थे..
कित्ता मजा आ रहा है जंगल के बीच से गुजरते हुए...और हाथी के बड़े-बड़े कान देखकर तो और भी मजा आ रहा था.पर नीचे देखो तो कित्ता डर भी लग रहा था.
एलीफैंट-राइडिंग में तो मुझे बहुत मजा आया...अब तो जब भी हैवलाक जाउंगी, इसका मजा लूंगी. चल मेरे हाथी...
23 टिप्पणियां:
मजा आ गया
के के यादव जी से नमस्कार कहना बेटा
बहुत बढ़िया पाखी.हाथी की सवारी का खूब मज़ा लिया तुमने तो :)
हाथी मेरे साथी ...है न :)
With Love-
हैवलाक आइलैंड और उस पर हाथी की सवारी क्या बात है..बहुत मज़ा आया होगा..
अरे वाह! फिर तो खूब मज़ा किया।
एलीफैंट-राइडिंग में तो मुझे बहुत मजा आया...अब तो जब भी हैवलाक जाउंगी, इसका मजा लूंगी. चल मेरे हाथी...
...दादा को भी घुमाना पाखी. तुम्हें और तन्वी को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद.
Aur hame bhi khuma diya apne.
सचमुच, पाखी की दुनिया तो बहुत निराली है!
अच्छा लगा पढ़-चित्र देख कर.
कित्ती सुन्दर फोटो आई है तुम्हारी !
बहुत बढ़िया पाखी.......सुन्दर फोटो
अरे वाह! फिर तो खूब मज़ा किया। अच्छा लगा चित्र देख कर|
wah sabhi pics bahut hi achchhi lage...hathi par khoob sari masti.
अरे वाह!.हाथी की सवारी ....
ारे वाह अकेले ही घूमते हो नानी को साथ नही ले कर जाते? आशीर्वाद।
खूब मज़ा आया होगा न हाथी की सवारी कर के . सच पाखी तुम्हारी तो बड़े मजे हैं ....
अरे वाह ! हाथी की सवारी कर के तो खूब मजा आ गया .. यह चित्रों वाली सुन्दर पोस्ट चर्चामंच पर होगी ..पाखी .. शुभकामनायें ...
शुक्रवार को चर्चामंच पर आइयेगा .. हाथी के साथ मत आना नहीं तो चर्चा करने आये लोग डर जायेंगे ... पैदल आना मम्मी के साथ...:)) सस्नेह
हाथी मेरे साथी।
किन्ना अत्ता आती... पंखुली बी बैतेदी पाखी दीदी के छात...!
पाखी को बहुत बहुत आर्शीवाद और ढेर सारा प्यार । इसी तरह घूमती रहो और सैर करती रहो ।
हरीश जोशी
बहुत सुन्दर!
हाथी की सवारी का आनन्द ही अलग है!
आपकी इस खूबसूरत पोस्ट की चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2011/02/34.html
ये पढ कर अपने बचपन के दिन याद आ गये।
हमें भी हाथी पर बैठना है पाखी...
और तन्वी कहाँ रह गई..
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