आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, अप्रैल 29, 2010

चिड़िया टापू की सैर

पिछले दिनों मैं अंडमान में चिड़िया-टापू घूमने गई. पोर्टब्लेयर से 25 किलोमीटर की दूरी पर चिड़िया टापू- दक्षिण अंडमान के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है. चिड़िया टापू में समुद्र की तेज आवाज और चिडियों की मीठी चहचहाहट यहाँ आने वाले अतिथियों को एक संगीतमय ताल प्रदान करती है। यहाँ हम फारेस्ट डिपार्टमेंट के रेस्ट हॉउस में ठहरे और दिन भर खूब मस्ती की. हाल ही में चिड़िया-टापू में बायलोजिकल पार्क भी बनाया गया है. हम वहाँ भी घूमने गए. ये देखो पार्क में मगरमच्छ कैसे सो रहे हैं..
और ये हिरण हमें कैसे देख रहा है. बोल रहा है दोस्ती करोगे मुझसे..

वाकई हमारी ये सैर खूब मजेदार रही...आप भी कभी अंडमान आयें तो चिड़िया टापू की सैर जरुर करें !!

( इस पोस्ट की चर्चा मेरा मन मुस्काया (चर्चा मंच - 140) के अंतर्गत भी देखें )

मंगलवार, अप्रैल 27, 2010

बुआ के घर आई इक नन्हीं परी

लगता है अब मैं बड़ी हो गई हूँ. अब आप पूछेंगे वो कैसे. दरअसल अब तक घर में मैं सबसे छोटी थी. मैं सबको दीदी-भैया कहती, पर अब कोई मुझे भी दीदी कहने वाली आ गई है. आज सुबह ही बुआ के घर एक प्यारी सी गुड़िया ने जन्म लिया है. इससे पहले बस बड़े मामा का बेटा अच्युत ही मुझसे छोटा था. अब दो-दो लोग छोटे हो गए हैं. इक घर में और इक ननिहाल में. अबकी गर्मी की छुट्टियों में घर जाउंगी तो अपने लिए दीदी सुनकर कित्ता अच्छा लगेगा..है न. अभी तक सभी लोग मुझे ही खेलाते थे, अब उस नन्हीं गुड़िया को मैं भी खिलाउंगी ...कित्ता मजा आयेगा. बुआ से तो अभी से मैंने कह दिया है, जब तक मैं न आ जाऊँ तब तक कहीं न जाना. पहले मैं गुड़िया के साथ खेलूंगी, उसे प्यार करुँगी, उसे खिलाउंगी..फिर वह कहीं जाएगी. तो अब आप भी मान गए न मैं अब बड़ी हो गई...आखिरकार बुआ के घर आई इक नन्हीं परी !!

( इस पोस्ट की चर्चा मेरा मन मुस्काया (चर्चा मंच - 140) के अंतर्गत भी देखें )

शुक्रवार, अप्रैल 23, 2010

पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को

अब मैं नियमित रूप से स्कूल जाने लगी हूँ। स्कूल जाती हूँ तो नई-नई बातें भी पता चलती हैं. रोज मनाये जाने वाले तमाम दिवसों के बारे में भी जानकारी मिलती है. कल टीचर ने 'विश्व पृथ्वी दिवस' के बारे में बताया था, आज ' विश्व पुस्तक दिवस' के बारे में जानकारी दी.

मुझे तो अपनी पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है। कभी राइम, कभी ड्राइंग...कित्ता मजा आता है. मैं अपनी पुस्तकें खूब अच्छे से रखती हूँ, नहीं तो पुरानी और गन्दी नहीं हो जायेंगीं. हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते हैं पर उनके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे ही नहीं.

जब मैं कानपुर से अंडमान आ रही थी तो वहाँ एक अनाथालय में गई थी। इन सभी के मम्मी-पापा नहीं थे। कुछ तो पढ़ना चाहते हैं, पर कोई मदद करने वाला नहीं। फिर मैंने उनके लिए कुछ किताबें खरीदीं और साथ में अपनी तमाम पुरानी पुस्तकों को भी लेकर उन सभी को दे दिया. उस दिन वे बहुत खुश हुए.

आज विश्व पुस्तक दिवस है..आप भी कुछ ऐसा ही कीजिये ताकि हर बच्चा पढ़ सके. अपने घर में पुरानी हो चुकी पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय उन लोगों तक पहुँचा दीजिये, जिन्हें वाकई इसकी जरुरत है।
और चलते-चलते "विश्व पुस्तक दिवस" पर यह कविता। इसे मेरे पापा ने लिखा है.....
प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक
ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक
कला-संस्कृति, लोकजीवन की
कहती है कहानी पुस्तक।

अच्छी-अच्छी बात बताती
संस्कारों का पाठ पढ़ाती
मान और सम्मान बड़ों का
सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।

सीधी-सच्ची राह दिखाती
ज्ञान पथ पर है ले जाती
कर्म और कर्तव्य हमारे
सद्गुण हमें सिखाती पुस्तक।
( इस पोस्ट की चर्चा झिलमिल करते सजे सितारे (चर्चा मंच-131) के अंतर्गत भी देखें )

गुरुवार, अप्रैल 22, 2010

विश्व पृथ्वी दिवस पर खूब पौधे लगायें

आपको पता है आज विश्व पृथ्वी दिवस है. आज स्कूल में टीचर ने भी बताया और कहा कि हमें पेड़-पौधों की रक्षा करनी चाहिए. पहले तो पेड़ काटो नहीं और यदि काटना ही पड़े तो एक की जगह दो पेड़ लगाना चाहिए।

पेड़-पौधे धरा के आभूषण हैं, उनसे ही पृथ्वी की शोभा बढती है। (इस वृक्ष पर लिखा है- पुरखों सी पेड़ों की छाया, शीतल कर दे जलती काया )


पहले जंगल होते थे तो खूब हरियाली होती, बारिश होती और सुन्दर लगता पर अब जल्दी बारिश भी नहीं होती, खूब गर्मी भी पड़ती है। (इस चित्र में फारेस्ट के मायने लिखे हुए हैं)। लगता है भगवान जी नाराज हो गए हैं. यह तो टेंशन वाली बात हुई ना। इसलिए आज सभी लोग संकल्प लेंगें कि कभी भी किसी पेड़-पौधे को नुकसान नहीं पहुँचायेंगे, पर्यावरण की रक्षा करेंगे, अपने चारों तरफ खूब सारे पौधे लगायेंगे और उनकी नियमित देख-रेख भी करेंगे !!




पुरखों सी पेड़ों की छाया,


शीतल कर दे जलती काया.


***विश्व पृथ्वी दिवस पर खूब पौधे लगायें और धरती को सुन्दर व स्वच्छ बनायें***


( इस पोस्ट की चर्चा झिलमिल करते सजे सितारे (चर्चा मंच-131) के अंतर्गत भी देखें )



मंगलवार, अप्रैल 20, 2010

शिप पर चली गाड़ी, फिर माउन्ट हैरियट का नजारा

इस बार मैं माउन्ट हैरियट (Mount Harriet) पर घूमने गई. ब्रिटिश काल में माउन्ट हैरियट चीफ कमिश्नर का ग्रीष्मकालीन आवास था। इसका नामकरण कर्नल आर. सी. टाईटलर की पत्नी हेरियट के नाम पर हुआ, जिसने 1862 के दौरान इस क्षेत्र को चीफ कमिशनर के ग्रीष्मकालीन आवास के रूप में चुना। पोर्टब्लेयर से सड़क द्वारा 55 व नाव द्वारा 15 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित माउन्ट हेरियट (Mount Harriet) दक्षिण अंडमान का सबसे उंचा पहाड़ (Highest peak of South Andman) भी है। पिकनिक, ट्रेकिंग व चिड़ियों को देखने के लिए यह उत्तम स्थल है।वाकई इसे देखना अद्भुत नज़ारा था. यहाँ जाने के लिए हमारी गाड़ी को शिप से जाना पड़ा. हम गाड़ी में ही बैठे रहे और कुछ देर बाद शिप ने हमारी गाड़ी को उस पर उतार दिया. माउन्ट हैरियट का नजारा देखने के लिए हमें माउन्ट हैरियट नेशनल पार्क (Mount Harriet National Park) में प्रवेश करना पड़ा. वर्तमान में माउन्ट हेरियट 46.62 वर्ग कि0मी0 क्षे. में राष्ट्रीय पार्क के रूप में विस्तृत है और नवम्बर 1996 में इसे आरक्षित वन के रूप में चिन्हित किया गया। घने जंगलों से हरा-भरा यह पार्क कभी डरावना लगता कभी रोमांचकारी. हमारी गाड़ी धीरे-धीरे सड़क के रास्ते ऊँचाइयों पर बढती जाती. हम यहाँ पर वन विभाग के रेस्ट हॉउस (Rest House) में ठहरे. लकड़ी का बना ये पुराना रेस्ट हॉउस देखकर बड़ा अच्छा लगा. माउन्ट हैरियट (Mount Harriet) से नार्थ बे बीच (North bay beach) को देखना बड़ा मजेदार रहा. यहाँ नार्थ बे पर अवस्थित लाइट-हॉउस (Light House) भी देखा जा सकता है.
माउन्ट हैरियट (Mount Harriet) पार्क में बने निकोबारी हट (Nikobari Hut) के क्या कहने. देखिये न मेरी जानदार फोटो. यहाँ पर पार्क में झूला झूलने का भी आनंद लिया.
एक ऐतिहासिक धरोहर यह भी.

अंडमान-निकोबार (Andaman & Nicobar Islands) में हर जगह साईट सीन देखने के लिए हट(Hut) बनी हुई हैं. इक हट यहाँ भी. थोड़ा सा आराम भी जरुरी है. आप भी जब कभी अंडमान आयें तो माउन्ट हैरियट (Mount Harriet) की सैर जरुर करें. खूब मजा आयेगा !!

( इस पोस्ट की चर्चा झिलमिल करते सजे सितारे (चर्चा मंच-131) के अंतर्गत भी देखें )

शुक्रवार, अप्रैल 16, 2010

स्कूल में आज पाखी का पहला दिन

आज से मेरा स्कूल आरंभ हो गया. अब मैं नर्सरी में पढने जा रही हूँ. यहाँ पोर्टब्लेयर में स्थित कार्मेल स्कूल में मेरा एडमिशन हुआ है. पता है, आज तो क्लास में अधिकतर बच्चे रो रहे थे. सभी को अपने मम्मी-पापा की याद आ रही थी. मैं भी कानपुर में जब प्ले स्कूल में पहली बार गई थी, तो खूब रोई थी। पर अब मैं नहीं रोती। अच्छी बच्ची हो गई हूँ। आज पहले दिन टीचर ने ढेर सारी राइम सुनाई और हम लोग भी साथ-साथ गाते रहे. टीचर ने हम बच्चों को चाकलेट भी दी. कित्ता मजा आ रहा था बहुत दिन बाद स्कूल जाने में.

घर आकर भी खूब मस्ती की

और थोड़ी सी पढाई भी !!

( इस पोस्ट की चर्चा “महक उठा मन” (चर्चा मंच-124) के अंतर्गत भी देखें )

गुरुवार, अप्रैल 15, 2010

ब्लागोत्सव -2010 की कला दीर्घा में पाखी की अभिव्यक्ति

आज का दिन खुशियों भरा दिन है। पहली बार ब्लॉग की दुनिया से जुड़े लोग ब्लागोत्सव मना रहे हैं। ब्लागोत्सव-2010 आज से आरंभ भी हो चुका है, जरुर जाइएगा वहाँ पर। वहाँ पर कला दीर्घा में आज अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति भी देखिएगा। इस उत्सव के इस सूत्र वाक्य पर भी ध्यान दें- अनेक ब्लॉग नेक ह्रदय।

जब पहली बार मैंने इस उत्सव के बारे में सुना था तो बड़ी उदास हुई थी की हम बच्चों के लिए वहां कुछ नहीं है। फिर मैंने इसके मुख्य संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी को लिखा कि- हम बच्चे इसमें अपनी ड्राइंग या कुछ भेज सकते हैं कि नहीं। जवाब में रवीन्द्र अंकल ने बताया कि अक्षिता जी! क्षमा कीजिएगा बच्चों के लिए तो मैने सोचा ही नही जबकि बिना बच्चों के कोई भी अनुष्ठान पूरा ही नही होता, इसलिए आप और आपसे जुड़े हुए समस्त बच्चों को इसमें शामिल होने हेतु मेरा विनम्र निवेदन है...देखा कितने प्यारे अंकल हैं रवीन्द्र जी। हम बच्चों का कित्ता ख्याल रखते हैं। अले भाई, जब बच्चे नहीं रहेंगे तो उत्सव कैसे पूरा होगा।

तो आप सब भी इस उत्सव में शरीक हों और हाँ अपनी प्यारी पाखी की कविता ' नन्हीं गौरैया' और दो ड्राइंग वहाँ देखना न भूलियेगा... और अपनी टिप्पणियों से जरुर अवगत कराइयेगा, नहीं तो मुझे कैसे पता चलेगा कि आपको कैसा लगा।
!! ब्लागोत्सव-2010 में कला दीर्घा में आज : अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति में आप सभी का स्वागत है !!

सोमवार, अप्रैल 12, 2010

मम्मी-पापा की लाडली


अक्षिता (पाखी) मेरा नाम है
सब करते मुझको प्यार
मम्मी-पापा की लाडली
मिलता जी भर खूब दुलार।

कानपुर नगर में जन्म लिया
25 मार्च 2006, दिन शनिवार
मम्मी-पापा हुए प्रफुल्लित
पूरा हुआ सपनों का संसार।

दादा-दादी, नाना-नानी
सब देखने को हुए बेकरार
मौसी, बुआ, मामा-मामी, चाचू
ले आए खूब सारे उपहार।

नन्हीं सी नटखट गुड़िया
सब रिझायें बार-बार
कितनी प्यारी किलकारी
घर में आये खूब बहार ।

मम्मी-पापा संग आ गई
अब, अण्डमान-निकोबार
यहाँ की दुनिया निराली
प्रकृति की छाई बहार ।

कार्मेल स्कूल में लिया एडमिशन
प्लेयिंग, डांसिंग, ड्राइंग से प्यार
नर्सरी में अब पढ़ने जाती
मिला नए दोस्तों का संसार।

समुद्र तट पर खूब घूमती
देखती बीच और पहाड़
खूब जमकर मस्ती करूँ
और जी भरकर धमाल

बुधवार, अप्रैल 07, 2010

पाखी की हैवलॉक द्वीप (Havelock island) यात्रा

पिछले दिनों हम हैवलॉक द्वीप (Havelock island) घूमने गए. अंडमान (Andman)में यह जगह मुझे सबसे अच्छी लगती है, अत: जब भी मन करता है, हम हेलीकाप्टर से वहाँ पहुँच जाते हैं. छुट्टियाँ की छुट्टियाँ और खूब मस्ती व धमाल भी. हैवलॉक द्वीप (Havelock island) सबसे अधिक पर्यटकों के आवागमन वाला और सबसे लोकप्रिय द्वीप है जो पोर्टब्लेयर (Portblair) के उत्तर-पूर्व में लगभग 38 कि0मी0 दूर स्थित है।
हैवलॉक द्वीप (Havelock island) पर हम डॉल्फिन रिसॉर्ट (Dolphin Resorts) में रुके.
डॉल्फिन रिसॉर्ट के सामने ही विजयनगर तट (Vijaynagar beach) है। वहाँ मैंने जमकर धमाल किया.
शाम को हम राधानगर (Radhanagar beach) तट पर गए. यह अंडमान व निकोबार द्वीप समूह (Andaman & Nicobar Islands) का सबसे खूबसूरत तट है. यह तट विदेशी सैलानियों (Foreigner tourists) की पहली पसंद है। यह एशिया का द्वितीय सबसे लम्बा तट है। 2 किलोमीटर लम्बा और औसतन 30-40 मीटर चौड़े राधानगर तट को टाइम मैग्जीन (Time magazine) ने एक सर्वेक्षण में एशिया का सर्वोत्तम समुद्र-तट (Best beach of the Asia) करार दिया है। राधानगर तट तट अत्यंत सुंदर है और सभी प्रकृति प्रेमियों एवं उत्साही व्यक्तियों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। यहां पर रेत की ढलानें ज्यादातर समकोण पर मिलती है, इससे मिलन बिंदु पर ज्यादा पानी जमा होने की सम्भावना होती हैं। यहां पानी वाकई गहरा हो सकता हैं। इस तट पर उजली रेत, लम्बे पेड़ और सामने से लगातार आती समुद्र की लहरें ऐसा सम्मिश्रण बनाते हैं कि कोई भी उसमें डूबे बिना नहीं रह सकता। वाकई यहाँ पर बड़ा मजा आया.
वहाँ तट पर बैठकर मैंने रेत में चित्रकारी भी की. राधानगर तट पर ठहरने के लिए इस तरह के खूबसूरत हटनुमा रिसॉर्ट भी हैं. राधानगर तट पर शाम को सूरज डूबने (Sun set) का दृश्य भी बड़ा सुहाना होता है.
और हाँ, हैवलॉक (Havelock island) और पोर्टब्लेयर (Portblair) के बीच क्रूज़ (Makruzz) से यात्रा का आनंद कभी न भूलने वाला अनुभव है.
ये देखो हम सबसे पहले आकर क्रूज़ (Makruzz)में बैठ गए.
आप भी कभी अंडमान आयें तो हैवलॉक द्वीप (Havelock island) पर अवश्य जाएँ और राधा नगर तट (Radhanagar beach) पर समुद्र में स्नान और रेत पर मस्ती का मौका न चूकें. इसके बिना अंडमान की यात्रा (Travel) अधूरी है. मेरी तो यह सबसे पसंदीदा जगह बन चुकी है.

















सोमवार, अप्रैल 05, 2010

पाखी के जन्मदिन से जुड़े लिंक्स

25 मार्च को मेरे जन्म दिन पर तमाम लोगों ने बधाइयाँ और आशीष दिया। कुछ ब्लाग्स पर उस दिन मेरे जन्म दिन को लेकर पोस्ट भी लिखी गईं और बाद में कुछ ब्लाग्स पर इसकी चर्चा भी हुई. यह आप सभी का बड़प्पन और प्यार है. इन सभी ब्लाग्स के लिंक यहाँ साभार दे रही हूँ, ताकि इन्हें एक जगह सहेजा जा सके. यदि कोई लिंक इस सम्बन्ध में छूट गया हो तो जरुर बताइयेगा !!


आज अक्षिता का जन्मदिन है : हिंदी ब्लागरों के जन्मदिन

जन्म-दिवस पर पाखी के लिए उपहार : सरस पायस

नन्हीं-मुन्नी ब्लोगर अक्षिता को जन्म-दिन की शुभकामनायें : ताका-झाँकी


एक परिवार जिसके सभी सदस्य करते हैं ब्लागिंग : नव-सृजन

पाखी को जन्म-दिवस की बधाइयाँ : शब्द सृजन की ओर

हैप्पी बर्थडे टू पाखी : शब्द-शिखर

एक परिवार जिसके सभी सदस्य करते हैं ब्लागिंग : भड़ास

पाखी को जन्मदिन की बधाई : यदुकुल

आज (25 मार्च) मेरा जन्म-दिन है : पाखी की दुनिया

पाखी के जन्म-दिन की झलकियाँ : पाखी की दुनिया

मुस्कानों की सुंदर झाँकी : चर्चा मंच

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चलते-चलते एक नजर इधर भी....

मम्मी मेरी सबसे प्यारी : माँ

मम्मी मेरी सबसे प्यारी : शब्द-शिखर

मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ : सरस पायस

मन ललचाती : नन्हा मन

ख़ुशियों की बरसात : चर्चा मंच





शनिवार, अप्रैल 03, 2010

पाखी की जनगणना हो गई और आपकी...

आपकी जनगणना हुई क्या..मेरी तो आज हो गई. मेरे जन्म के बाद पहली बार जनगणना हो रही है, सो पहली बार मैं इसका हिस्सा बनी हूँ. सोचिये मेरे जैसे कितने प्यारे-प्यारे बच्चे/बच्चियाँ इन 10 सालों में आए होंगे और सभी की अब जनगणना होगी. और हाँ, जन्मदिन पर उपहार में मिली मेरी सायकिल को भी जनगणना करने वाली आंटी ने नोट किया. इसके अलावा टी.वी., कंप्यूटर , गाड़ी और भी कई चीजों के बारे में पूछा और नोट किया. अब इंतजार रहेगा कि कब ये गणना पूरी होगी और हमें अपने देश कि वास्तविक जनसँख्या पता चलेगी....एक बात और मैं सोच रही थी कि मैं तो यहाँ उत्तर प्रदेश से आई हूँ और वहाँ भी मेरे दादा-दादी जब जनगणना करने वाले अंकल/आंटी को अपने परिवार के बारे में बताएँगे तो कहीं मेरी गिनती वहाँ भी तो नहीं हो जाएगी, फिर तो मेरे जैसे कितने लोगों की गिनती दो-दो बार हो जाएगी। फ़िलहाल अपनी जनगणना होने से मैं खुश हूँ !!