So Elated & Excited to receive Official but individual appreciation letter to Ms. Akshitaa & Ms. Apurva from our Honourable Prime Minister Shri Narendra Modi Ji as a token of blessings.
Courtesy : Sunbeam School, Varuna, Varanasi
So Elated & Excited to receive Official but individual appreciation letter to Ms. Akshitaa & Ms. Apurva from our Honourable Prime Minister Shri Narendra Modi Ji as a token of blessings.
Courtesy : Sunbeam School, Varuna, Varanasi
Mandalas, meaning "Circles" in Sanskrit, are sacred symbols that are used for meditation, prayer, healing and art therapy for both adults and children. Mandalas have been shown in clinical studies to boost the immune system, reduce stress and pain, lower blood pressure, promote sleep and ease depression.
Mandala as an art form first appeared in Buddhist art that were produced in India during the first century B.C.E. These can also be seen in Rangoli designs in Indian households.
हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की प्राचीन संस्कृत भाषा में, मंडला का अर्थ "चक्र" है। परंपरागत रूप से, एक मंडल एक ज्यामितीय डिजाइन या पैटर्न है जो विभिन्न स्वर्गीय संसारों में ब्रह्मांड या देवताओं का प्रतिनिधित्व करता है। मंडला कला का अंतिम उद्देश्य एक केंद्र बिंदु पर शांति, प्रतिबिंब और ऊर्जा की एकाग्रता को बढ़ावा देना है। मंडल आर्ट एक प्रकार की आर्ट है जिसमें बारीक पैटर्न को सिमेट्री में बनाया जाता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि हर पैटर्न अंत में एक विशाल गोलाकार का हिस्सा बनता है। मंडल का शुरुआती बिंदु और अंतिम पैटर्न गोल ही होता है। मंडल आर्ट ब्रह्माण्ड को दर्शाती है, जहां लाखों अलग-अलग पैटर्न अंततः गोले में समा जाते हैं।
It is mother of all the creatures.
Nature always gives us the hope,
To climb up in life with any kind of rope.
वाराणसी के गंगा घाटों की खूबसूरती देखते बनती है। हल्की ठंड के बीच देर शाम को शरीर को सिहराती हवाएँ और इनके बीच गंगा में बोटिंग बेहद सुकून देती है।
खिड़किया घाट, राजघाट से लेकर असि घाट तक अर्द्धचंद्राकार आकार में फैले 88 घाटों का विस्तृत नजारा देखते बनता है। शाम को घाटों पर विशेषकर दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती इसे और भी दिव्यता प्रदान करती है।
वाराणसी या बनारस (जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है) दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगरी की स्थापना भगवान शिव ने लगभग 5,000 वर्ष पूर्व की थी। वाराणसी अपनी प्राचीन विरासत के साथ-साथ अध्यात्म, साहित्य, संस्कृति, कला और उत्सवों के लिए भी जाना जाता है। ज्ञान, दर्शन, संस्कृति, देवताओं के प्रति समर्पण, भारतीय कला और शिल्प यहाँ सदियों से फले-फूले हैं।
वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी, श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। वाराणसी के गंगा घाटों की खूबसूरती देखते बनती है। बनारस की शाम मशहूर है तो यहाँ की सुबह-ए-बनारस भी उतनी ही प्रसिद्ध है। गंगा घाटों पर बोटिंग बेहद सुकून देती है। नमो घाट (खिड़किया घाट), राजघाट से लेकर असि घाट तक अर्द्धचंद्राकार आकार में फैले 88 घाटों का विस्तृत नजारा देखते बनता है। शाम को घाटों पर होने वाली गंगा आरती इसे और भी दिव्यता प्रदान करती है।
वाराणसी को प्रायः ‘मंदिरों का शहर’, ‘भारत की धार्मिक राजधानी’, ‘भगवान शिव की नगरी’, ‘दीपों का शहर’, ‘ज्ञान नगरी’ आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इस नगर को पवित्र माना जाता है। तभी तो प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं, “बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।”
एक-खूबसूरती...! एक-ताजगी..! एक-सपना..! एक-सचाई..! एक-कल्पना..! एक-अहसास..! एक-आस्था..! एक-विश्वास..!
यही है एक अच्छे साल की शुरुआत।
नव वर्ष-2023 का हार्दिक अभिनन्दन। नया साल आप सभी के जीवन में नया उल्लास और ढेरों खुशियाँ लेकर आए।🌹