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रविवार, जनवरी 20, 2013

वाह ताज ! काश मेरी मुट्ठी में आ जाये !!

पिछले दिनों मैं आगरा गई तो ताजमहल का भी दीदार किया। वाह, कितना सुन्दर है ये।
काश मेरी मुट्ठी में आ जाये !
ममा-पापा तो पहले भी ताज-नगरी घूम चुके हैं, पर मैं और अपूर्वा तो पहली बार आये।
ठण्ड तो है, पर घूमने का अपना अलग ही आनन्द है।
ताज में जूते या चप्पल पहनकर जाना मना है। आखिर गन्दगी जो फैलती है। पर जूते या चप्पल में इसे पहनकर जरुर जा सकते हैं। अपूर्वा सोच रही है की यह क्या बला है !
ताज की खूबसूरती देखते ही बनती है। कित्ती सुन्दर दीवारें।
ताजमहल की यह मीनार कित्ती ऊँची है। काश मैं इस पर चढ़ पाती ।
ताजमहल के पास यह मस्जिद।
वाकई अद्भुत ! ताजमहल परिसर में सूर्य अस्त होने का नजारा।
शाम ढलने लगी है। ठण्ड भी बढ़ने लगी है। अब यात्रा के अगले पड़ाव पर।

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चित्र..

Shyama ने कहा…

वाह ताज, क्या कहने। हम तो कभी भी नहीं गए।

Shyama ने कहा…

पाखी, आप लोग तो छुट्टियों का भरपूर इन्जोय्मेंट कर रहे हैं। बधाई।

विकास गुप्ता ने कहा…

ताजमहल की अदभुत कथा

विकास गुप्ता ने कहा…

ताजमहल की अदभुत कथा

विकास गुप्ता ने कहा…

ताजमहल की अदभुत कथा

Shahroz ने कहा…

ताज ही क्यों , मेहनत करेंगीं तो एक दिन सारी दुनिया आपकी मुट्ठी में होगी.