आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

बुधवार, अक्तूबर 24, 2012

हम भी राम बन सकते हैं...

!! विजयदशमी पर पर आप सभी को ढेर सारी बधाइयाँ !!
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बच्चो, आपका फेवॅरिट त्योहार दशहरा आ चुका है। मुझे मालूम है कि इसका आप लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं, क्योंकि आपको रामलीला जो देखना होता है! कितनी तालियां पीटते हैं हम लोग, जब रामायण सीरियल या रामलीला पंडालों में राम के हाथों रावण मारा जाता है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे! बच्चो, यदि हम रामायण के कुछ प्रसंगों से कुछ सीख लें, तो हम भी राम की तरह महान बन सकते हैं।
क्षमाशील होते हैं वीर
लंका पर चढाई करने से पहले रावण अपने कई राक्षस गुप्तचरों को राम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनके पास भेजता है। गुप्तचर पकडे भी जाते हैं। लेकिन राम उन्हें क्षमा कर देते हैं। लक्ष्मण द्वारा पूछने पर राम बताते हैं कि जो व्यक्ति क्षमाशील होते हैं, वे ही वीर होते हैं। कायर या डरपोक व्यक्ति कभी भी दूसरे व्यक्ति की गलतियों को क्षमा नहीं करता है। दोस्तो, हमारे आस-पास भी ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं, जिनका व्यवहार और विचार हमें अच्छा नहीं लगता है। लेकिन हमें उन पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें क्षमा करने की कोशिश करनी चाहिए! संभव हो कि उस व्यक्ति में और कई अच्छे गुण भी मौजूद हों। इसलिए यदि बच्चो आपको राम जैसा बनना है, तो हमें क्रोधित होने के बजाय संबंधित व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए।
करें लोगों की मदद
बच्चो, हमने रामायण में देखा कि राम जहां एक ओर, राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर, सुग्रीव जैसे जरूरतमंद और गरीब शबरी की सहायता भी राम ही करते हैं। बच्चो आप भी जरूरतमंदों की जरूर मदद करें। यदि आपके किसी दोस्त को आपकी छोटी-मोटी मदद जैसे -कॉपी-किताब आदि की जरूरत पडे, तो उन्हें जरूर दें। यदि आपके आसपास गरीब बच्चे रहते हैं, तो पढने-लिखने में उनकी मदद करें।
मिल-जुल कर करें काम
बच्चो, हम सभी जानते हैं कि राम बहुत वीर योद्धा थे। वे चाहते, तो अकेले ही रावण को युद्ध में हरा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने लंका तक सेतु बनाने और रावण तथा उसकी सेना से युद्ध करने में वानरों, यहां तक कि एक नन्हीं गिलहरी की भी सहायता ली। क्या आपको इससे कुछ सीख मिली? जी हां, आप कोई भी काम करें, तो सभी यार-दोस्तों के साथ मिलकर करें। जैसे-यदि आपको अपने आस-पास की हरियाली बढाने के लिए पेड लगाना है, तो स्वयं के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी पेड लगाने को कहें। जरा सोचिए, यदि सभी दोस्त मिलकर पेड लगाएंगे, तो धरती पर पेडों की संख्या कितनी अधिक हो जाएगी? इसलिए कहा भी गया है कि सभी ऊंगलियां मिलती हैं, तो मुठ्ठी बनती है और तभी हम अपनी ताकत का इजहार करते हैं।
न पालें घमंड
हम रामायण सीरियल में देखते हैं कि रावण बहुत पराक्रमी था। वह न केवल बलवान और वीर था, बल्कि विद्वान भी था। साथ ही साथ, वह घमंडी भी था। उसे अपने वीर होने का बहुत घमंड था। वह सोचता था कि दुनिया में उसके समान कोई दूसरा वीर नहीं है, जो उसे युद्ध में पराजित कर सके! लेकिन राम ने उसे युद्ध में पराजित कर दिया। बच्चो, आप भी कभी यह घमंड न पालें कि सदा आप ही अपनी क्लास में फ‌र्स्ट आते रहेंगे, या किसी खेल में आप ही चैंपियन होंगे! हो सकता है कि घमंड में आपका ध्यान पढाई या खेल से हट जाए! इसलिए बच्चो अपने ऊपर गर्व जरूर करें, लेकिन घमंड नहीं।
जिद न करें
रामायण की कहानियों में हम देखते हैं कि दशरथ की तीन रानियों में एक रानी कैकेयी थीं। वे परम वीर महिला थीं। बच्चो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने अपने पति राजा दशरथ से अपनी मांग मनवाने की जिद कर बैठीं। उन्होंने यह मांग भी की कि राम को वनवास मिले और भरत को राजगद्दी। उनकी इस जिद के कारण, एक ओर राजा दशरथ की मृत्यु हो गई, तो दूसरी ओर, राम-सीता और लक्ष्मण को वन जाना पडा! बच्चो कभी-कभी आप लोग भी किसी गलत मांग को लेकर जिद कर बैठते हैं। ऐसा करने से न केवल आपका नुकसान होता है, बल्कि इससे आपके मम्मी-पापा भी दुखी हो जाते हैं। जैसे आप दूसरों की देखा-देखी महंगे मोबाइल खरीदने का जिद अपने पापा-मम्मी से कर बैठते हैं। यह सही नहीं है, क्योंकि मोबाइल आपकी पढाई में बाधा पहुंचा सकता है, आपका रिजल्ट खराब हो सकता है। इसलिए बच्चो, यदि आप रामायण के डायलॉग का अनुकरण करते हैं, तो रामायण के हीरो राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को अपनाने की बात भी सोचें।
 
 

4 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया

विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर आलेख..आप सबको भी विजयादशमी की शुभकामनायें।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

पाखी तुम्हारा लेख तो ठीक है ज़रा इस पर भी गौर कर लेना---
ऋतु परिवर्तन के समय 'संयम 'बरतने हेतु नवरात्रों का विधान सार्वजनिक रूप से वर्ष मे दो बार रखा गया था जो पूर्ण वैज्ञानिक आधार पर 'अथर्व वेद 'पर अवलंबित था।नौ औषद्धियों का सेवन नौ दिन विशेष रूप से करना होता था। पदार्थ विज्ञान –material science पर आधारित हवन के जरिये पर्यावरण को शुद्ध रखा जाता था। वेदिक परंपरा के पतन और विदेशी गुलामी मे पनपी पौराणिक प्रथा ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया। अब जो पोंगा-पंथ चल रहा है उससे लाभ कुछ भी नहीं और हानी अधिक है। रावण साम्राज्यवादी था उसके सहयोगी वर्तमान यू एस ए के एरावन और साईबेरिया के कुंभकरण थे। इन सब का राम ने खात्मा किया था और जन-वादी शासन स्थापित किया था। लेकिन आज राम के पुजारी वर्तमान साम्राज्यवाद के सरगना यू एस ए के हितों का संरक्षण कर रहे हैं जो एक विडम्बना नहीं तो और क्या है?

Shahroz ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी ..आभार.