आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शनिवार, मार्च 31, 2012

अक्षिता (पाखी) की पहली कविता 'चकमक' में प्रकाशित




अब मैं बड़ी हो गई हूँ. ममा-पापा के साथ-साथ मैं भी कवितायेँ कहने (मैं कहती हूँ और ममा-पापा उसे पन्नों पर लिखते जाते हैं) लगी हूँ. अभी मेरी एक नन्हीं सी कविता 'फुर्र-फुर्र' चकमक (भोपाल से प्रकाशित बाल विज्ञान पत्रिका) के फरवरी-2012 अंक में प्रकाशित हुई है. पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित यह मेरी पहली कविता है. चलिए, आपको भी अपनी यह नन्हीं सी कविता पढ़ाती हूँ-

गिलहरी चढ़ी
पेड़ के उपर
फिर एक
तोता भी आया
फिर एक
कौआ भी आया
दोनों उड़ गए
फुर्र-फुर्र-फुर्र मस्ती से !

13 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

अक्षिता (पाखी) को बहुत-बहुत बधाई..यूँ ही खूब लिखो और छ्पो.

Rajnish ने कहा…

बहुत सुंदर...ऐसे ही अच्छी कविताएं लिखती रहो...
www.rajnishonline.blogspot.com

रुनझुन ने कहा…

Congratulations Akshita!....You are very lucky!!!...:)

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

Thanks a lot Dada ji..sab ap sabka pyar hai.

@ Shanti Aunty ji,

Thanks a lot..Jarur.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Rajnish Uncle,

धन्यवाद..आप प्रोत्साहित करते रहेंगे, तो जरुर लिखूंगी.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

@ Runjhun,

Thanks a lot..

S R Bharti ने कहा…

बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है . पाखी बिटिया ने . अति उत्तम

Shahroz ने कहा…

पूत के पांव पालने में...हमने भी आपकी यह प्यारी सी कविता चकमक में पढ़ी थी..बहुत सुन्दर लिखा है आपने..बधाई स्वीकारें. .

Shahroz ने कहा…

अक्षिता, इस पहली कविता की मिठाई कब मिल रही है..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत प्यारी कविता।

SKT ने कहा…

वाह वाह...वाह वाह...वाह वाह!! कविता मस्त मस्त...

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई पाखी। आगे भी तुम्हारी और रचनाएँ छ्पें हमे ऐसी उम्मीद है।

Bhanwar Singh ने कहा…

इसे कहते हैं, पूत के पांव पालने में..अक्षिता (पाखी) को असीम बधाइयाँ !