हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और अमर उजाला में ब्लागर अक्षिता और 'पाखी की दुनिया' की चर्चा
(हिंदुस्तान, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)
(दैनिक जागरण, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)
(अमर उजाला, वाराणसी, 2 दिसंबर 2011 में चर्चा)
(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)
(हिंदुस्तान, वाराणसी, 1 दिसंबर 2011 में चर्चा)
10 टिप्पणियां:
बहुत बेहतरीन........
पाखी की सीख
पाखी सबके मन को भाती,
छोटी बहना को समझाती.
दीदी की बातें सुन - सुन के,
मानो तन्वी ध्यान लगाती.
पाखी बिटिया हँसती है जब,
दुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
रोना - हँसना जीवन अपना.
पाखी हम सबको बतलाती..
दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान,
पाखी, आपके सम्मान की खबर हमने भी अख़बारों में पढ़ी थी. आपको इस उपलब्धि पर ढेर सारी बधाई और अभिनन्दन.
दीनदयाल जी की प्यारी सी कविता तो बहुत अच्छी है...बधाई.
बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं पाखी |गौरव का विषय है...एक पार्टी तो बनती ही है.
बहुत-बहुत बधाई. यूँ ही जीवन में उन्नति करते रहो.
Great pakhi...jami raho meri sweet doll.
कल 28/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
conrasulation pakhi..
well done:-)
बहुत बहुत बधाई ...
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