आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...
सोमवार, दिसंबर 31, 2012
रविवार, दिसंबर 30, 2012
अपूर्वा की ड्राइविंग
अपूर्वा बड़ी हो रही हैं। अब तो दो साल, दो माह से भी बड़ी हो गईं। हमने बताया ही था कि अब चीजों को समझने लगी हैं और खूब जिद भी करने लगी हैं। ड्राइवर अंकल को कार चलते देखकर अपूर्वा का मन भी कार-ड्राइविंग के लिए मचलता है। अब देखिये अपूर्वा की कार-ड्राइविंग।
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गुरुवार, दिसंबर 27, 2012
बुधवार, दिसंबर 26, 2012
मंगलवार, दिसंबर 25, 2012
मैं भी सांता क्लाज बनूँ
आज क्रिसमस है। मेरे घर से तो चर्च बहुत सुन्दर दिखता है। कल रात में मैंने इसकी सजावट देखी, वाकई बहुत खूबसूरत। ठीक वैसे ही जैसे हम दीपावली पर घर सजाते हैं।
क्रिसमस पर मुझे सबसे अच्छा लगता है- संता क्लाज। मेरा भी मन करता है कि मैं संता क्लाज जैसी ड्रेस पहनूं और सभी को ढेर सारे गिफ्ट दूं।
क्रिसमस पर मैंने अपने स्कूल के लिए सुन्दर सी बेल बनाई थी और यह प्यारा सा क्रिसमस-ट्री भी मैंने बनाया है।
!! Wish u all a very-very Happy X-mas !!
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सोमवार, दिसंबर 24, 2012
छुट्टियों के दिन
आजकल छुट्टियों के दिन चल रहे हैं। इस बीच क्रिसमस से लेकर नए साल तक का आगमन होगा। कई बार सोचती हूँ कि बाहर निकलूं, पर ठण्ड इत्ती ज्यादा पड़ रही है कि हिम्मत ही नहीं पड़ती। सूरज दादा तो मानो नाराज बैठे हैं कि वे अपना मुखड़ा नहीं दिखाएंगें, ताकि हम बच्चे छुट्टियों में कहीं निकल ही न पायें। यह तो कुछ ज्यादा ही ज्यादती हो गई।
छुट्टियाँ हैं, तो घर में बैठने से थोड़े ही काम चलेगा। परसों सटरडे को मैंने दबंग-2 मूवी देखी। अब चुलबुल पाण्डेय जी लालगंज (आजमगढ़) से कानपुर आ गए हैं। आजमगढ़ तो हमारा पैत्रिक आवास है और कानपुर में हमारा जन्म हुआ है। अब तो लगता है कि दबंग-3 में चुलबुल जी पक्का इलाहाबाद ट्रांसफर हो जायेंगे, आखिर हम इलाहाबाद में जो हैं। इस बीच अपने ननिहाल भी घूम आई। पहली बार गाजीपुर भी गई और ममा का कालेज देखा। गाजीपुर में हम अफीम-कोठी में टिके। वहाँ ढेर सारे बन्दर दिखे। कई बन्दर तो अफीम की फैक्ट्री से निकलने वाला पानी पीकर बेसुध पड़े थे। गाजीपुर में ही अंग्रेज गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस का भी मकबरा देखा।
(ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर)
अभी तो हमें बनारस भी जाना है। बनारस घूमना हमें बहुत अच्छा लगता है, खासकर सारनाथ और गंगा-तट की गंगा आरती।
इलाहबाद में भी ढेर सारी घूमने की जगहें हैं। किला और संगम तो हम घूम चुके हैं। इसके अलावा आनंद भवन, कंपनी बाग़, संग्रहालय, सरस्वती घाट, खुसरो बाग़ सहित ढेर सारी जगहें घूमने के लिए हैं। और हाँ, इलाहाबादी अमरुद के बिना तो सब कुछ अधूरा है और आजकल इनका सीजन भी चल रहा है। तो मैं चली इलाहाबादी अमरुद खाने और आप भी जल्दी से इलाहाबाद घूम जाइये। एक साथ ही प्रयाग कुम्भ और इलाहाबादी अमरुद दोनों के दर्शन हो जायेंगें।
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शुक्रवार, दिसंबर 14, 2012
मछली जल की रानी है
पिछली पोस्ट में मैंने अपने एक्वेरियम के बारे में बताया था। कि कैसे मैंने ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं और उनकी केयर भी करती हूँ। आज आपको मछली रानी को लेकर स्कूल में पढाई गई राइम बताती हूँ। इसे स्कूल में सुनकर हमें खूब हँसी आती थी।अब इसे हमने अपनी सिस्टर अपूर्वा को भी सिखा दिया है, वह भी खूब मन से गाती है। आप भी पढ़िए-
मछली जल की रानी है।
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ तो
डर जाती है।
बाहर निकालो तो
मर जाती है।
कुकर में डालो तो
पक जाती है।
दो दिन रखो तो
सड़ जाती है।
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बाल गीत/कविता,
स्कूल की बातें
बुधवार, दिसंबर 12, 2012
सोमवार, दिसंबर 10, 2012
दैनिक भास्कर : 'पाखी की दुनिया' के अनोखे रहस्य, जानने को हुए बेताब
इलाहाबाद. इन्टरनेट बच्चों के बचपन का हिस्सा ही नहीं बनता जा रहा, बल्कि
देश की बाल पीढ़ी इस क्षेत्र में भी अनूठे मकाम हासिल कर रही है। इसी की एक मिसाल हैं चाचा नेहरू के गृह नगर इलाहाबाद की नन्ही मासूम अक्षिता, जिसने ब्लॉगिंग की दुनिया में देश में सबसे कम
उम्र की ब्लॉगर के रूप में अपनी पहचान बनाकर राष्ट्रीय
बाल पुरस्कार हासिल किया है। जिस उम्र में बच्चे खिलौने की दुनिया में उलझे रहते है, उस
उम्र में इलाहाबाद की अक्षिता की उंगलियां लैपटॉप
के की-बोर्ड में इस कदर फिसलती हैं कि देखने वाले
भी हैरत में पड़ जाते है । अक्षिता की इसी खूबी ने उसे देश की
पहली सबसे लोकप्रिय बाल ब्लॉगर के मुकाम पर पहुंचा दिया है ।
अक्षिता का ब्लॉग "पाखी की दुनिया" बच्चो ही नहीं, बड़ो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। यही वजह है की उसे ब्लॉगिंग के क्षेत्र में "राष्ट्रीय बाल पुरस्कार" से केंद्र सरकार की तरफ से नवाज़ा गया है। अक्षिता का यह ब्लॉग उसकी सोच और कल्पना का मूर्त रूप है। अक्षिता की सोच को ब्लॉग के माध्यम से उकेरने की जिम्मेदारी खुद अक्षिता के माता-पिता ने ली है। वह उसके द्वारा कहे गये शब्दों, उसकी कल्पना व सोच को शब्दों का रूप देकर इस ब्लॉग को मेंटेन करते हैं। अपने ब्लॉग को लेकर अक्षिता का कहना है कि वह इसके माध्यम से अपनी बाते पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहती है। इलाहाबद के एक स्कूल में KG-2 कक्षा में पढ़ने वाली अक्षिता को यह शौक विरासत से मिला है।
अक्षिता के मां- बाप भी देश में ब्लॉगिंग के क्षेत्र में एक जाना पहचना नाम हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव प्रशासनिक अधिकारी हैं और मां आकांक्षा यादव एक कालेज में प्रवक्ता के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र अध्ययन-लेखन में प्रवृत्त हैं। दोनों के ब्लॉग ब्लॉगिंग की दुनिया में काफी लोकप्रिय हुए हैं। उन्हें देश का पहला ब्लॉगर दंपति का पुरस्कार मिल चुका है। अक्षिता की प्रेरणा भी उसके ब्लॉगर मम्मी-पापा हैं। दोनों ही इस ब्लॉग को सजाने और संवारने की पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं। अक्षिता की सभी तस्वीरों को इस ब्लॉग पर देखा जा सकता है।
अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि वह पहले से एक ब्लॉग चलाते थे। उनको ब्लॉग लिखता देख उनकी बेटी ने भी ब्लॉग बनाने की जिद की। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2012 के अलावा अक्षिता ने हिन्दी साहित्य निकेतन का परिकल्पना सम्मान भी सन 2010 में हासिल किया था ।
अक्षिता अपने ब्लॉग "पाखी की दुनिया" (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में केवल अपनी की गई पेंटिंग और अपनी परिकल्पना ही बच्चों से शेयर नहीं करती, बल्कि अपने ब्लॉग के जरिये वह बच्चों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिए अपने ही अंदाज में बाल अभियान चला रही है ।
- आशीष राय
साभार : दैनिक भास्कर (16 नवम्बर, 2012)
अक्षिता का ब्लॉग "पाखी की दुनिया" बच्चो ही नहीं, बड़ो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। यही वजह है की उसे ब्लॉगिंग के क्षेत्र में "राष्ट्रीय बाल पुरस्कार" से केंद्र सरकार की तरफ से नवाज़ा गया है। अक्षिता का यह ब्लॉग उसकी सोच और कल्पना का मूर्त रूप है। अक्षिता की सोच को ब्लॉग के माध्यम से उकेरने की जिम्मेदारी खुद अक्षिता के माता-पिता ने ली है। वह उसके द्वारा कहे गये शब्दों, उसकी कल्पना व सोच को शब्दों का रूप देकर इस ब्लॉग को मेंटेन करते हैं। अपने ब्लॉग को लेकर अक्षिता का कहना है कि वह इसके माध्यम से अपनी बाते पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहती है। इलाहाबद के एक स्कूल में KG-2 कक्षा में पढ़ने वाली अक्षिता को यह शौक विरासत से मिला है।
अक्षिता के मां- बाप भी देश में ब्लॉगिंग के क्षेत्र में एक जाना पहचना नाम हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव प्रशासनिक अधिकारी हैं और मां आकांक्षा यादव एक कालेज में प्रवक्ता के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र अध्ययन-लेखन में प्रवृत्त हैं। दोनों के ब्लॉग ब्लॉगिंग की दुनिया में काफी लोकप्रिय हुए हैं। उन्हें देश का पहला ब्लॉगर दंपति का पुरस्कार मिल चुका है। अक्षिता की प्रेरणा भी उसके ब्लॉगर मम्मी-पापा हैं। दोनों ही इस ब्लॉग को सजाने और संवारने की पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं। अक्षिता की सभी तस्वीरों को इस ब्लॉग पर देखा जा सकता है।
अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि वह पहले से एक ब्लॉग चलाते थे। उनको ब्लॉग लिखता देख उनकी बेटी ने भी ब्लॉग बनाने की जिद की। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2012 के अलावा अक्षिता ने हिन्दी साहित्य निकेतन का परिकल्पना सम्मान भी सन 2010 में हासिल किया था ।
अक्षिता अपने ब्लॉग "पाखी की दुनिया" (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) में केवल अपनी की गई पेंटिंग और अपनी परिकल्पना ही बच्चों से शेयर नहीं करती, बल्कि अपने ब्लॉग के जरिये वह बच्चों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिए अपने ही अंदाज में बाल अभियान चला रही है ।
- आशीष राय
साभार : दैनिक भास्कर (16 नवम्बर, 2012)
शनिवार, दिसंबर 08, 2012
रंग-बिरंगी मछलियाँ
रंग-बिरंगी मछलियाँ भला किसे नहीं अच्छी लगतीं। मुझे तो बहुत अच्छी लगती हैं। अंडमान में समुद्र में तो ढेर सारी रंग-बिरंगी मछलियाँ दिखती थीं। ग्लास-बोट से उन्हें देखना बहुत रोमांचक लगता था।
यहाँ इलाहाबाद में भी मैंने एक्वेरियम में ढेर सारी मछलियाँ रखी हैं। उन्हें मैं रोज अपने हाथों से खिलाती हूँ।
कित्ता अच्छा लगता है, जब सारी मछलियाँ मुझे देखते ही ग्रुप में आगे आ जाती हैं कि अब मैं उन्हें उनका फ़ूड दूंगीं।
मुझे तो गोल्ड-फिश बहुत प्यारी लगती हैं।
इसके अलावा मेरे एक्वेरियम में एन्जिल, शुभांगिनी, शार्क जैसी मछलियाँ भी हैं। अपूर्वा भी इनके साथ खूब इन्जॉय करती है।
मंगलवार, दिसंबर 04, 2012
इलाहाबाद में राष्ट्रीय पुस्तक मेला
पिछले दिनों इलाहाबाद में 23 नवम्बर-2 दिसंबर तक तक बुक-फेयर लगा। इसमें कई पब्लिकेशंज़ ने अपने बुक-स्टाल्स लगाये।
मैं भी इस बुक-फेयर में गई। किसी बुक-फेयर में जाने का यह मेरा पहला मौका था, सो ज्यादा उत्साहित भी थी। स्कूल में टीचर जी ने भी इस बुक-फेयर के बारे में बताया था।
मैंने तो अपने लिए ढेर सारी बुक्स खरीदीं और हाँ अपनी सिस्टर अपूर्वा के लिए भी। अगले साल से उसे भी तो स्कूल जाना है।
(वाव...ढेर सारी बुक्स...पुस्तक मेला, इलाहाबाद में बुक-स्टाल के समक्ष अक्षिता)(पुस्तक मेला, इलाहाबाद में गोपाल दास 'नीरज' जी की एक पुस्तक देखती अक्षिता)
(इस स्टाल पर तो बच्चों के लिए ढेर सारी बुक्स और टोयज़ हैं। यहाँ से मैंने अपने लिए ढेर सारी बुक्स खरीदीं )
(वाह, यह मिकी माउस कितना खुबसूरत है। इसे अपनी सिस्टर अपूर्वा के लिए खरीद लेती हूँ)
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शुक्रवार, नवंबर 23, 2012
शुक्रवार, नवंबर 16, 2012
राष्ट्रीय सहारा में 'पाखी की दुनिया'
(15 नवम्बर, 2012 को सहारा समय (उत्तर प्रदेश) पर सांय 5 : 30 - 6 : 00 बजे तक अक्षिता की लाइव कवरेज हुई. इस दौरान राष्ट्रीय सहारा अख़बार के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे और उन्होंने आज 16 नवम्बर को अक्षिता के ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' को लेकर एक स्टोरी कवर की है, जिसे यहाँ साभार प्रस्तुत किया जा रहा है)
प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं, बशर्ते उसे अनुकूल माहौल और परिवेश हासिल हो सके। कोई साढे़ पांच बरस की अक्षिता उर्फ पाखी ने इस हकीकत को साबित कर भी दिखाया है। इस छोटी सी उम्र में अक्षिता हिन्दी ब्लागिंग में नये कीर्तिमान कायम कर रही है। अपनी काबिलियत के बूते वह पिछले साल आर्ट और ब्लागिंग के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार हासिल कर चुकी है। अक्षिता देश की इकलौती ऐसी बालिका है जिसे इतनी कम उम्र में यह सम्मान मिला है। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने पहली बार किसी प्रतिभा को ब्लागिंग विधा के लिए सम्मानित किया है। गौरतलब यह भी कि पिछले ही साल नई दिल्ली में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में भी उसे ’श्रेष्ठ नन्ही ब्लागर’ के सम्मान से नवाजा गया।
अक्षिता के पिता श्री कृष्ण कुमार यादव और उनकी माँ श्रीमती आकांक्षा यादव खुद हिन्दी ब्लागिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं और इसके लिए उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं। उनके जुनून का ही नतीजा है कि आज ब्लागिंग को आधिकारिक तौर पर विधा के रूप में मान्यता मिलने लगी है। इसी एक नवम्बर को इस दम्पति को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ’न्यू मीडिया एवं ब्लागिंग’ में उत्कृष्टता के लिए ’अवध सम्मान’ से सम्मानित किया। हाल ही में कृष्ण-आकांक्षा को ’दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पति’ का भी सम्मान मिल चुका है। कृष्ण कुमार यादव इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक (डाक सेवाएं) हैं और हिन्दी साहित्य में उनकी खासी दिलचस्पी है। उनकी अब तक छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
’बहरहाल, जिक्र चल रहा है उनकी लाडली बिटिया अक्षिता का। 25 मार्च, 2007 को कानपुर में जन्मीं अक्षिता इन दिनों इलाहाबाद के गल्र्स हाई स्कूल में प्रेप की छात्रा है। बड़ी होकर आई.पी.एस. बनने की ख्वाहिश रखने वाली अक्षिता ब्लागिंग के साथ प्लेयिंग, ड्रांइग, ट्रेवलिंग में दिलचस्पी रखती है। खासतौर पर ड्रांइग में खासी रूचि रखने वाली अक्षिता के मम्मी-पापा ने पहले तो उसकी गतिविधियों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया लेकिन बाद में वे गंभीर हुए और उन्होंने उसके बनाए चित्रों को सहेजना शुरू किया। आगे चलकर इन चित्रों और अक्षिता की गतिविधियों से ब्लॉग के जरिये लोगों को रूबरू कराने का विचार बनाया और 24 जून, 2009 को ’पाखी की दुनिया’ नाम से ब्लॉग अस्तित्व में आ गया। देखते ही देखते एक लाख से अधिक ब्लागों में इस ब्लॉग की रेटिंग बढ़ती गयी और आज इस ब्लॉग पर कोई तीन सौ पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं व करीब ढाई सौ लोग इसका अनुसरण करते हैं। इस तरह से इस ब्लॉग पर अकल्पनीय प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। कोई 98 देशों में इसे देखा-पढ़ा जाता है। इस ब्लॉग का संचालन अक्षिता के मम्मी-पापा द्वारा किया जाता है लेकिन इस पर जिस रूप में अक्षिता द्वारा बनाए चित्र, पेटिंग्स, फोटोग्राफ्स और उसकी बातों को पेश किया जाता है, वह इस ब्लॉग को दिलचस्प बनाता है। अक्षिता और उसका ब्लॉग ’पाखी की दुनिया’ फेसबुक पर भी है, जहाँ पाँच सौ से ज्यादा लोग अनुसरण कर रहे हैं।
उन्होंने तो अक्षिता की ड्राइंग पर पूरा गीत ही रच डाला
’पाखी की दुनिया’ ब्लॉग के माध्यम से अक्षिता (पाखी) की सृजनात्मकता को भी पंख लग गए और लोगों ने उसे हाथों-हाथ लिया। इस ब्लॉग पर अंडमान के बारे में काफी जानकारियाँ और फोटोग्राफ हैं, जिन्हें लोग काफी उत्सुकता से पढ़ते और सराहते हैं। राजस्थान के चर्चित बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा अक्षिता की मासूम प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि अपनी पुस्तक ’चूं-चूं’ के कवर पेज पर अक्षिता की फोटो ही लगा दी। सरस-पायस के संपादक रावेन्द्र कुमार ’रवि’ ने अक्षिता की ड्राइंग को लेकर पूरा बाल-गीत ही रच डाला तो तमाम ब्लॉग्ज पर अक्षिता की चर्चा होने लगी। हिन्दी ब्लॉग जगत के सर्वाधिक सक्रिय ब्लागर समीर लाल ने कनाडा से ’पाखी की दुनिया’ के लिए सुन्दर-सुन्दर कविताएँ भी रचीं। तमाम पत्र-पत्रिकाओं में अक्षिता को लेकर फीचर और समाचार लिखे गए वहीं आकाशवानी और तमाम चैनलों पर भी उसके इंटरव्यू प्रकाशित-प्रसारित हो चुके हैं। कृष्ण कुमार यादव, आकांक्षा यादव, अक्षिता को गौरव प्राप्त है कि एक ही परिवार के सभी सदस्य ब्लॉग जगत में बखूबी सक्रिय हैं और सराहे जा रहे हैं।
साभार: राष्ट्रीय सहारा, 16 नवम्बर 2012
बुधवार, नवंबर 14, 2012
बाल-दिवस पर अक्षिता (पाखी) 'जी न्यूज' पर
आज बाल-दिवस है।।चाचा नेहरु का जन्मदिन। वैसे चाचा नेहरु तो इलाहाबाद के थे और आजकल मैं भी यहीं पर हूँ। चाचा नेहरु को बच्चों से बहुत प्यार था, इसीलिए उनका जन्म-दिन 'बाल-दिवस' के रूप में मनाया जाता है। वे भी बचपन में हम बच्चों जैसी ही शरारतें किया करते थे। एक बार तो उन्होंने पिंजरे से तोते हो ही उड़ा दिया और कहा कि सभी को आजादी का हक है। तो ऐसे थे चाचा नेहरु।
मेरे लिए तो यह दिन और भी यादगार है। इसी दिन पिछले साल मुझे आर्ट और ब्लागिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' भी मिला था।
आज भी आप मुझे जी न्यूज (उ.प्र.-उत्तराखंड) पर बाल-दिवस की स्टोरी में देख सकते हैं। चाचा नेहरु के गृह नगर इलाहाबाद से लिंक कर चलाई जा रही इस स्टोरी में मुझे एक 'नन्हीं ब्लागर' और भारत की सबसे कम उम्र की 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' विजेता रूप में उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए लिखा गया है कि 'यदि आज चाचा नेहरु जिन्दा होते तो अक्षिता पर गर्व करते।''
बाल-दिवस पर आप सभी को ढेर सारी बधाइयाँ। आप सबका आशीर्वाद और प्यार तो आज मिलेगा ही।
रविवार, नवंबर 11, 2012
जगमग दीपावली आ गई
आजकल तो त्यौहारों की धूम है। अभी नवरात्र ख़त्म हुए, अब दीपावली का त्यौहार। दीपावली से पहले धनतेरस और छोटी दीपावली। दीपावली का त्यौहार मुझे बहुत अच्छा लगता है
लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा, ढेर सारी रौशनी, दीयों की जगमग कतार, घर पर जगमगाती लड़ियाँ, फिर आतिशबाजी और मिठाइयाँ भला कैसे भूल सकती हूँ।
मुझे तो घर में दीये सजाना बहुत अच्छा लगता है, पर आतिशबाजी और पटाखे छोड़ना ज्यादा अच्छा नहीं लगता। कित्ता प्रदूषण होता है इससे। लोग हफ्ते भर पहले से ही पटाखे छुड़ाने लगते हैं जो कि मुझे बिलकुल नहीं पसंद है।दीपावली पर रंगोली बनाना भी कितना भाता है....ढेर सारे रंग और कल्पनाएँ । इस धनतेरस पर मैंने अपने लिए एक सोना का सिक्का भी ख़रीदा।
आप अभी लोगों को धनतेरस औए दीपावली पर ढेर सारी शुभकामनायें।
आप सबके आशीर्वाद और स्नेह का इंतजार रहेगा ।
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मंगलवार, नवंबर 06, 2012
उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा 'अवध सम्मान' पर ममा-पापा को बधाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने 1 नवम्बर, 2012 को हमारे पापा श्री कृष्ण कुमार यादव और मामा श्रीमती आकांक्षा यादव को ‘न्यू मीडिया एवं ब्लागिंग’ में उत्कृष्टता के लिए एक भव्य कार्यक्रम में ‘अवध सम्मान’ से सम्मानित किया. जी न्यूज़ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन ताज होटल, लखनऊ में किया गया था, जिसमें विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया। ममा-पापा के साथ सम्मानित होने होने वाले अन्य लोग थे- वरिष्ठ साहित्यकार श्री विश्वनाथ त्रिपाठी, चर्चित लोकगायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी, ज्योतिषाचार्य पं. के. ए. दुबे पद्मेश, वरिष्ठ आई.एस. अधिकारी श्री जय शंकर श्रीवास्तव इत्यादि .ममा-पापा के साथ इस कार्यक्रम में मैं भी पहुंची। इस कार्यक्रम का जी न्यूज (उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड) पर लाइव प्रसारण भी हुआ। आप भी इस प्रोग्राम के कुछेक फोटोग्राफ्स देखें-
(उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ममा-पापा को अवध सम्मान )
(उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के साथ ममा-पापा)
(ममा-पापा का संबोधन)
(सम्मान के बाद ममा-पापा के साथ)
(सम्मान-समारोह में ममा-पापा के साथ)
(सम्मान-समारोह के बाद उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के साथ ग्रुप-फोटोग्राफ)
!! ममा-पापा को इस सम्मान पर ढेर सारी बधाइयाँ और प्यार !!
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