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परिकल्पना ब्लागोत्सव : अक्षिता (पाखी) के चार रेखाचित्र
इस बार मैंने कैमरे का प्रयोग खूब अच्छी तरह करना सीख लिया है. मैंने रास्ते भर खूब फोटोग्राफ खींची. अब तो फोटोग्राफ मुझसे शेक भी नहीं होते हैं. कल तो डिगलीपुर के गेस्ट-हॉउस में पापा की ढेर सारी पिक्चर्स लीं. अब आप भी देखिये और बताइए कि अब मेरी फोटोग्राफी कैसी है...
कुछ गेस्ट हॉउस के लान में, कुछ अंदर.
चलते-चलते यह फेमिली फोटोग्राफ भी. इसे पापा के एक स्टाफ ने स्नैप किया है.
(बनारस में जन्म के बाद मौसी के साथ तन्वी और पाखी)
(बनारस में जन्म के बाद तन्वी को लिए मौसा जी श्री विश्वजीत सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, कस्टम )
इसके सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने का मजा ही कुछ और है.
इस टैंक के बारे में आप भी कुछ जानकारी हासिल कीजिए.
आप भी कभी पोर्टब्लेयर आयें, तो मरीना-पार्क में इस टैंक के पास खड़े होकर विजयी-भाव का अहसास करें !!
...तो कैसी लगी आपको मेरी यह छुट्टियों वाली मस्ती.
यहाँ तो बारिश भी हो रही है, फिर घूमने-फिरने का मजा और भी बढ़ जाता है !!