दीनदयाल शर्मा अंकल जी के नाम से तो आप सभी परिचित ही होंगे. वह हम बच्चों के लिए ढेर सारी प्यारी-प्यारी कवितायेँ लिखते हैं. बच्चों के लिए उनका इक प्यारा सा अख़बार भी है-'टाबर टोली'. मेरी तो उन्होंने ढेर सारी ड्राइंग भी प्रकाशित की है....इक जरुरी बात तो बताना भूल ही गई कि दीनदयाल शर्मा अंकल जी ने शिशु-गीतों की अपनी पुस्तक 'चूं-चूं' के कवर-पेज पर मेरी फोटो भी लगाई है. उनका ब्लॉग भी तो है- बचपन, दीनदयाल शर्मा, टाबर टोली. ..आपने बचपन ब्लॉग पर उन्होंने मेरे लिए इक प्यारी सी बाल-कविता भी लिखी है. आप भी पढ़िए न और बताइयेगा कि कैसी लगी ये कविता....
पाखी सबके मन को भाती,
छोटी बहना को समझाती.
दीदी की बातें सुन - सुन के,
मानो तन्वी ध्यान लगाती.
छोटी बहना को समझाती.
दीदी की बातें सुन - सुन के,
मानो तन्वी ध्यान लगाती.
पाखी बिटिया हँसती है जब,
दुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
दुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
रोना - हँसना जीवन अपना.
पाखी हम सबको बतलाती.__
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नाम : दीनदयाल शर्मा
जन्म: 15 जुलाई 1956 (प्रमाण पत्र के अनुसार)
जन्म स्थान: गांव- जसाना, तहसील- नोहर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.)
शिक्षा: एम. कॉम. (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर 1985)
लेखन: हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन।
मूल विधा: बाल साहित्य
अन्य: व्यंग्य, हास्य व्यंग्य, कथा, कविता, नाटक, एकांकी, रूपक, सामयिक वार्ता आदि।
विशेष:
हिन्दी व राजस्थानी में दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।
महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति द ड्रीम्स का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण।
आकाशवाणी से हास्य व्यंग्य, कहानी, कविता, रूपक, नाटक आदि प्रसारित।
दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित।
काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ।
संस्थापक/अध्यक्ष: राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, हनुमानगढ़, राज.
संस्थापक/अध्यक्ष: राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़, राज.
साहित्य सम्पादक (मानद): टाबर टोल़ी पाक्षिक (बच्चों का हिन्दी अखबार)
सम्पादक (मानद): कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार)
डॉ. प्रभाकर माचवे: सौ दृष्टिकोण में एक आलेख संकलित।
शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित।
स्कूल एवं कॉलेज की अनेक स्मारिकाओं का सम्पादन।
जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से प्रकाशित मासिक मुख पत्र आखर भटनेर का सम्पादन।
जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से नवसाक्षर पाठ्य पुस्तक आखर मेड़ी पोथियों का सम्पादन।
प्रकाशित कृतियां:
(हिन्दी में)चिंटू-पिंटू की सूझ (बाल कहानियां चार संस्करण)
चमत्कारी चूर्ण (बाल कहानियां)
पापा झूठ नहीं बोलते (बाल कहानियां)
कर दो बस्ता हल्का (बाल काव्य)
सूरज एक सितारा है (बाल काव्य)
सपने (बाल एकांकी)
बड़ों के बचपन की कहानियां (महापुरुषों की प्रेरणाप्रद घटनाएं)
इक्यावन बाल पहेलियाँ (बाल पहेलियां)
फैसला (बाल नाटक)
नानी तू है कैसी नानी
चूं-चूं (शिशु कविताएँ)
राजस्थानी बाल साहित्य: एक दृष्टि
फैसला बदल गया (नवसाक्षर साहित्य)
मैं उल्लू हूं (हास्य व्यंग्य दो संस्करण 1987,1993)
सारी खुदाई एक तरफ (हास्य व्यंग्य संग्रह)
(अंग्रेजी में)
द ड्रीम्स
राजस्थानी साहित्य:चन्दर री चतराई (बाल कहानियां)
टाबर टोल़ी (बाल कहानियां)
शंखेसर रा सींग (बाल नाटक)
तूं कांईं बणसी (बाल एकांकी)
म्हारा गुरुजी (बाल एकांकी)
डुक पच्चीसी (हास्य काव्य)
गिदगिदी (हास्य काव्य)
सुणौ के स्याणौ (हास्य काव्य)
स्यांति (कथा)
घर बिगाड़ै गुस्सौ (हास्य)
घणी स्याणप (हास्य)
बात रा दाम (तीन बाल नाटक)
बाळपणे री बातां
प्रसारित रेडियो नाटक:मेरा कसूर क्या है
रिश्तों का मोल
अंधेरे की तस्वीर
पगली
और थाली बज उठी
अपने-अपने सुख
जंग जारी है
उसकी सजा
छोटी-छोटी बातें
और सब कहते रहे
पगड़ी की लाज
मुझे माफ कर दो
प्रसारित झलकी:मास्टर फकीरचंद
चक्कर
गोलमाल
प्रसारित बाल नाटक:फैसला
शंखेश्वर के सींग
परीक्षा
बिगड़ग्यौ बबलू
प्रसारित रूपक:सिंधु घाटी की समकालीन सभ्यता: कालीबंगा
पता- सैक्टर-10, मकान नं. 22, आरएचबी कॉलोनी, डी रोड,
हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान, भारत
मोबाइल - 094145 14666
नाम : दीनदयाल शर्मा
जन्म: 15 जुलाई 1956 (प्रमाण पत्र के अनुसार)
जन्म स्थान: गांव- जसाना, तहसील- नोहर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.)
शिक्षा: एम. कॉम. (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर 1985)
लेखन: हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन।
मूल विधा: बाल साहित्य
अन्य: व्यंग्य, हास्य व्यंग्य, कथा, कविता, नाटक, एकांकी, रूपक, सामयिक वार्ता आदि।
विशेष:
हिन्दी व राजस्थानी में दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।
महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति द ड्रीम्स का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण।
आकाशवाणी से हास्य व्यंग्य, कहानी, कविता, रूपक, नाटक आदि प्रसारित।
दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित।
काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ।
संस्थापक/अध्यक्ष: राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, हनुमानगढ़, राज.
संस्थापक/अध्यक्ष: राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़, राज.
साहित्य सम्पादक (मानद): टाबर टोल़ी पाक्षिक (बच्चों का हिन्दी अखबार)
सम्पादक (मानद): कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार)
डॉ. प्रभाकर माचवे: सौ दृष्टिकोण में एक आलेख संकलित।
शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित।
स्कूल एवं कॉलेज की अनेक स्मारिकाओं का सम्पादन।
जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से प्रकाशित मासिक मुख पत्र आखर भटनेर का सम्पादन।
जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से नवसाक्षर पाठ्य पुस्तक आखर मेड़ी पोथियों का सम्पादन।
प्रकाशित कृतियां:
(हिन्दी में)चिंटू-पिंटू की सूझ (बाल कहानियां चार संस्करण)
चमत्कारी चूर्ण (बाल कहानियां)
पापा झूठ नहीं बोलते (बाल कहानियां)
कर दो बस्ता हल्का (बाल काव्य)
सूरज एक सितारा है (बाल काव्य)
सपने (बाल एकांकी)
बड़ों के बचपन की कहानियां (महापुरुषों की प्रेरणाप्रद घटनाएं)
इक्यावन बाल पहेलियाँ (बाल पहेलियां)
फैसला (बाल नाटक)
नानी तू है कैसी नानी
चूं-चूं (शिशु कविताएँ)
राजस्थानी बाल साहित्य: एक दृष्टि
फैसला बदल गया (नवसाक्षर साहित्य)
मैं उल्लू हूं (हास्य व्यंग्य दो संस्करण 1987,1993)
सारी खुदाई एक तरफ (हास्य व्यंग्य संग्रह)
(अंग्रेजी में)
द ड्रीम्स
राजस्थानी साहित्य:चन्दर री चतराई (बाल कहानियां)
टाबर टोल़ी (बाल कहानियां)
शंखेसर रा सींग (बाल नाटक)
तूं कांईं बणसी (बाल एकांकी)
म्हारा गुरुजी (बाल एकांकी)
डुक पच्चीसी (हास्य काव्य)
गिदगिदी (हास्य काव्य)
सुणौ के स्याणौ (हास्य काव्य)
स्यांति (कथा)
घर बिगाड़ै गुस्सौ (हास्य)
घणी स्याणप (हास्य)
बात रा दाम (तीन बाल नाटक)
बाळपणे री बातां
प्रसारित रेडियो नाटक:मेरा कसूर क्या है
रिश्तों का मोल
अंधेरे की तस्वीर
पगली
और थाली बज उठी
अपने-अपने सुख
जंग जारी है
उसकी सजा
छोटी-छोटी बातें
और सब कहते रहे
पगड़ी की लाज
मुझे माफ कर दो
प्रसारित झलकी:मास्टर फकीरचंद
चक्कर
गोलमाल
प्रसारित बाल नाटक:फैसला
शंखेश्वर के सींग
परीक्षा
बिगड़ग्यौ बबलू
प्रसारित रूपक:सिंधु घाटी की समकालीन सभ्यता: कालीबंगा
पता- सैक्टर-10, मकान नं. 22, आरएचबी कॉलोनी, डी रोड,
हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान, भारत
मोबाइल - 094145 14666
26 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लगा पाखी.और हाँ ऐसे ही खूब नाम कमाओ.
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मिले सुर मेरा तुम्हारा - नया बनाम पुराना
दीनदयाल शर्मा जी ने तो पाखी बिटिया के लिए बड़ी प्यारी कविता लिखी. पढ़कर आनंद आ गया. अक्षिता और तन्वी को ढेर सारा प्यार एवं दीनदयाल शर्मा जी को इस अनुपम प्रस्तुति के लिए साधुवाद !
प्यारे-प्यारे चित्रों से तो यह पोस्ट और भी रोचक हो गई है...मस्त.
पाखी जी, यह कविता तो हम बचपन ब्लॉग पर भी पढ़ आए. इतनी कम उम्र में आप पर कवितायेँ लिखी जा रही हैं, आप सौभाग्यशाली हैं.
पाखी बिटिया हँसती है जब,
दुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
...बेहतरीन कविता...चर्चित बाल साहित्यकार आदरणीय दीनदयाल जी को बधाई. पाखी बिटिया को प्यार और आशीर्वाद.
दीनदयाल जी की यह कविता वाकई मासूमियत से भरी है. पाखी के लिए उनकी यह कविता बहुत प्यारी-न्यारी लगी. सुन्दर शब्दों के साथ सहज भावाभिव्यक्ति.....आभार.
bahut sunadr
tanvi ko pyaar
बहुत खूब !!
अच्छी पाखी के लिए एक अच्छी कविता!
प्रिय पाखी बिटिया..आपको मेरी कविता "पाखी की सीख"..पसंद आई..आपका धन्यवाद.. आपको देखते ही कविता अपने आप बन गयी...इसे आपके ब्लॉग पर देख कर और चहेतों की टिप्पणियाँ देख कर..बहुत ही अच्छा लग रहा है...
नया वर्ष लेकर के आये..
खुशियाँ अपरम्पार,
दुनिया तुमसे सीखे पाखी,
क्या होता है प्यार..
बेहतरीन कविता| सुन्दर शब्दों के साथ सहज भावाभिव्यक्ति| आभार|
वाह ये तो बहुत सुंदर कविता है...... इसी बहाने दीनदयाल अंकल से मिलवाने के लिये आभार.
सुन्दर और प्यारी कविता, वृहद साहित्य।
@ Yashvant Uncle,
@ Raghav Uncle,
Thanks for ur sweet wishes.
@ Brajesh Uncle,
आपको अच्छी लगी न...यह तो आप लोगों का प्यार है अंकल जी.
@ Madhav,
Thanks..Once again Happy Birth day.
@ Saiyad Uncle,
आप तो कई दिन बाद दिखे...
पाखी बिटिया हँसती है जब,
दुनिया भी हँसने लग जाती.
शर्मा अंकल ने कहा है ,अब ध्यान रखना बस हँसते रहना !
जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
बहुत खूब...वाकई दीनदयाल जी की इस बाल सुलभ कविता ने मन मोह लिया...बहुत-बहुत बधाई और पाखी व तन्वी को दादा की तरफ से प्यार व आशीर्वाद.
वाकई यह कविता तो बड़ी अच्छी लगी. दीनदयाल जी ने इसे गुनगुनाने लायक भी बना दिया है. पाखी बिटिया यूँ ही सबका प्यार और स्नेह पाती रहें.
वाकई यह कविता तो बड़ी अच्छी लगी. दीनदयाल जी ने इसे गुनगुनाने लायक भी बना दिया है. पाखी बिटिया यूँ ही सबका प्यार और स्नेह पाती रहें.
@ Ravi Uncle,
@ Patali,
@ Rajeev Uncle,
@ Upen Uncle.
Thanks for ur sweet words.
@ Pravin uncle,
...Thanks for ur sweet words.
@ Ali Dada ji,
...पक्का...आपने कहा है तो मानना ही पड़ेगा.
@ Deen DAyal Uncle ji,
आपने तो बहुत प्यारी सी कविता बनाई मेरे लिए...आपका प्यार और आशीष यूँ ही मिलता रहे.
@ Dada ji,
आपका प्यार और आशीष तो हमेशा मेरे साथ है...आप सबसे प्यारे दादा जी हो.
@ Amit Chachu,
अगली बार फोन करना तो इसे आप गुनगुनाकर सुनाना...बड़ा मजा आयेगा.
pakhi ki kavita ke niche mera biodata bahut jyada de diya...short men dete to shayad theek rhta..baki apki iccha..itne samman ke liye apka Thanks aur abhaar..
पाखी बिटिया ! आपको और तान्या जी को ढेर सारा प्यार ! आपका ब्लॉग अच्छा लगा .....आपकी बातें अच्छी लगीं ......एक बात आपको बताऊँ .....आपके हाथ में बुध और मस्तिष्क रेखाएं बहुत अच्छी है ......ज़ो आपको शिक्षा और शोध के क्षेत्र में बहुत आगे तक लेजायेंगी ...पर इसके लिए आपको पढाई में ख़ूब मन लगाना होगा .....शुभ रात्रि.
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