आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

नव वर्ष - 2011 की बधाई !!

आज वर्ष 2010 का अंतिम दिन है. कल से नया वर्ष-2011 आरंभ हो जायेगा. नए साल के स्वागत के लिए मैंने एक कार्ड भी बनाया है, आप भी देखिये ना.


2010 का ढलता हुआ सूरज तो मैं चिड़िया टापू से देखने जाउंगी. वहाँ समुद्र के बीच में यह बहुत खूबसूरत लगता है।


!! नए साल पर आप सभी लोगों को ढेर सारा प्यार और नव वर्ष - 2011 की खूब बधाई !!

सोमवार, दिसंबर 27, 2010

अपूर्वा (तन्वी) दो माह की...

मेरी सिस्टर अपूर्वा (तन्वी)  आज दो माह की हो गई.





मैं तो बस सोच रही हूँ कि कब वह जल्दी से बड़ी हो जाय और फिर मैं उसके साथ ढेर सारी बातें करूँ, खूब खेलूं और मस्ती करूँ.




आज अपूर्वा (तन्वी)  के लिए पापा ने यहाँ के मेगापोड रिसॉर्ट में शाम को एक पार्टी भी रखी है. आज तो तन्वी को कई लोग देखने-मिलने आयेंगें.




आप सब भी इस पार्टी में सप्रेम आमंत्रित हैं.

शुक्रवार, दिसंबर 24, 2010

क्रिसमस की धूम और मेरी छुट्टियाँ...

आजकल क्रिसमस की धूम है. 25 दिसंबर को क्रिसमस है, मेरे स्कूल की तो कल से छुट्टियाँ हो चुकी हैं. यहाँ तो क्रिसमस का त्यौहार खूब धूम-धाम से मनाया जाता है. हमारे स्कूल में भी 22 दिसंबर को एक क्रिसमस फंक्शन हुआ, बड़ा मजा आया. इसमें हम सभी बच्चे कोई ना कोई रोल निभा रहे थे. मैं तो परी बनी थी. जल्द ही इसकी भी फोटो आप सभी को दिखाउंगी. मेरी छोटी बहन तन्वी भी 27 दिसंबर को 2 माह की हो जाएगी. पापा ने यहाँ मेगापोड रिसोर्ट में उस दिन एक पार्टी रखी है. सो, छुट्टियाँ ही छुट्टियाँ और मस्ती ही मस्ती. आप सभी को क्रिसमस की बधाई और ढेर सारा प्यार !!

सोमवार, दिसंबर 20, 2010

आज दादा जी का जन्मदिन है...

आज मेरे दादा जी का जन्मदिन है. आज तो वे पूरे 67 साल के हो जायेंगे. मुझे तो दादा जी बहुत प्यारे लगते हैं. अभी कुछ दिन पहले तो अपने ददिहाल में ही थी, फिर तो दादा जी से रोज उनके बचपन की बातें पूछा करती थीं. ..और पापा के भी. दादा जी खूब लिखते-पढ़ते हैं. उनकी एक किताब भी पब्लिश हो चुकी है. दादी बताती हैं कि वे शुरू से ही ऐसे हैं. खूब नई-नई किताबें खरीदते हैं और पढ़ते हैं. उनके पास तो अच्छी सी लाइब्रेरी भी है, पर उसमें मेरे लिए कोई बुक नहीं है. मैंने दादा जी को कहा है कि कुछ किताबें मेरे लिए भी तो होनी चाहिए. ..और हाँ, दादा जी का यदुकुल नाम से एक ब्लॉग भी तो है. दादा जी को उनके 67 वें जन्मदिन पर मैंने सुबह ही फोन करके विश किया, तब तो दादा जी सो रहे थे. दादा जी को बहुत अच्छा लगा. फिर मैंने सोचा अपने ब्लॉग पर भी तो दादा जी के बारे में लिखना चाहिए और हैपी बर्थ-डे विश करना चाहिए. दादा जी को जन्मदिन पर ढेर सारा प्यार और बधाई !!

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दादा जी के बारे में- श्री राम शिव मूर्ति यादव : उ0प्र0 के जौनपुर जनपद के मूल निवासी, फ़िलहाल आजमगढ़ में. 20 दिसंबर, 1943 को जौनपुर में जन्म. 1962 में तिलकधारी महाविद्यालय, जौनपुर से स्नातक एवं काशी विद्यापीठ से 1964 में समाज शास्त्र विषय से स्नाकोत्तर. जून 1972 में आजमगढ़ जनपद के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाजसेवी श्री दलजीत यादव की सुपुत्री विमला देवी से विवाह। खण्ड प्रसार शिक्षक (कालान्तर में ‘स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी’ पदनाम परिवर्तित) के पद पर चयन एवं 30 अगस्त 1967 को पदभार ग्रहण किया। इस बीच वर्ष 1968 में बुद्ध विद्यापीठ डिग्री काॅलेज,बढ़नी, बस्ती में समाजशास्त्र के प्रवक्ता पद हेतु चयन, पर ज्वाइन नहीं किया। नौकरीपेशा के रूप में स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के पद पर सेवारत. बड़े पुत्र कृष्ण कुमार यादव सम्प्रति भारतीय डाक सेवा के अधिकारी और बहू आकांक्षा यादव राजकीय बालिका इण्टर कालेज में प्रवक्ता। पुत्री किरन यादव अध्यापिका और दामाद अविनाश यादव CRPF में असिस्टेंट कमान्डेंट. छोटे पुत्र अमित कुमार यादव फ़िलहाल सिविल सर्विसेज की तैयारी में अग्रसर. भरे-पूरे परिवार में अगली पीढ़ी के रूप में दो पोतियाँ अक्षिता (पाखी) व तन्वी और नतिनी ख़ुशी भी शामिल.

वर्ष 2003 में सेवानिवृत्ति पश्चात् स्वतंत्र लेखन, अध्ययन और समाज सेवा में रत. मूलत: राजनैतिक-सामाजिक विषयों पर लेखन. "सामाजिक व्यवस्था एवं आरक्षण" नाम से 90 के दशक में एक पुस्तक प्रकाशित. देश की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं - युगतेवर, अरावली उद्घोष, युद्धरत आम आदमी, समकालीन सोच, आश्वस्त, अपेक्षा, बयान, इंडिया न्यूज, अम्बेडकर इन इण्डिया, अम्बेडकर टुडे, दलित साहित्य वार्षिकी, दलित टुडे, मूक वक्ता, आदिवासी सत्ता, रचना उत्सव, नव निकष, द वेक, नारी अस्मिता, अनीश, सांवली, सामर्थ्य, सामान्यजन संदेश, समाज प्रवाह, सोशल ब्रेनवाश, गोलकोण्डा दर्पण, शोध प्रभांजलि, शब्द, कमेरी दुनिया, जर्जर कश्ती, प्रगतिशील उद्भव, सेवा चेतना, प्रेरणा अंशु, यू0एस0एम0 पत्रिका, साहित्य क्रान्ति, साहित्य परिवार, नारायणीयम, तुलसी प्रभा, हिन्द क्रान्ति, नवोदित स्वर, विश्व स्नेह समाज, विवेक शक्ति, राष्ट्र सेतु, समय के साखी, सोच विचार, जीवन मूल्य संरक्षक न्यूज, श्रुतिपथ, प्रतिश्रुति, झंकृति, हरसिंगार, मंथन, पंखुड़ी, अनंता, सुखदा, आपका आइना, सबलोग, उत्तरा, अहल्या, बाबू जी का भारत मित्र, बुलंद इण्डिया, इसमासो, वैचारिक उदबोध, प्रियंत टाइम्स, शिक्षक प्रभा, पब्लिक की आवाज, समाचार सफर, सत्य चक्र, कर्मश्री, शिक्षक प्रभा, हमारा शहर, यादव ज्योति, यादव कुल दीपिका, यादव साम्राज्य, यादव शक्ति, यादव निर्देशिका सह पत्रिका, इत्यादि में विभिन्न विषयों पर लेख प्रकाशित।

अन्तर्जाल पर विभिन्न वेब पत्रिकाओं- सृजनगाथा, रचनाकार, हिन्दीनेस्ट, वांग्मय पत्रिका, समय दर्पण, युगमानस, कथा व्यथा इत्यादि में लेखों का प्रकाशन। अंतर्जाल पर 'यदुकुल' नामक ब्लॉग का सञ्चालन. कुछेक लेख पुस्तकों और संकलनों में सम्मलित. भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा ‘ज्योतिबा फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ, इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘बृज गौरव‘, समग्रता शिक्षा साहित्य एवं कला परिषद, कटनी (म0प्र0) द्वारा 'भारत-भूषण' सहित कई प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित.

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकीय/ सलाहकार मण्डल से जुडाव. रचनात्मक लेखन एवं अध्ययन, बौद्धिक विमर्श और सामाजिक कार्यों में रचनात्मक भागीदारी. शिक्षा और संस्कार को मानव जीवन का मूल मानने वाले श्री यादव आज भी अपनी ऊर्जा का स्रोत नियमित अध्ययन को मानते हैं। आपके मत में अध्ययन एवं लेखन के लिए व्यक्ति कभी बूढ़ा नहीं होता बल्कि जैसे-जैसे व्यक्ति उम्रदराज होता है, अध्ययन एवं लेखन के भी मायने बदलते जाते हैं और उनमें परिपक्वता आती जाती है।
(दादा जी के बारे में उपरोक्त सामग्री विभिन्न रूपों में 'बाल साहित्य समीक्षा' के मई-जून 2009 अंक, 'कमेरी दुनिया' के अगस्त-2009 अंक, 'माटी' के जनवरी -2010 अंक और 'यादव साम्राज्य' के वार्षिकांक-2009 में प्रकाशित. इन्हें यहाँ अपडेट कर दिया गया है. )

शुक्रवार, दिसंबर 17, 2010

पाखी की नई प्रोफाइल फोटो...


आज मैंने अपनी प्रोफाइल फोटो बदल कर नई फोटो लगाई है.यही फोटो अब मेरे आरकुट और फेसबुक प्रोफाइल पर भी है. आप बताइयेगा कि यह कैसी है.

मंगलवार, दिसंबर 14, 2010

पाखी-पाखी...बटरफ्लाई

शनिवार को मेरे स्कूल में पैरेंट्स-डे था. इस अवसर पर हम बच्चों ने ढेर सारे कार्यक्रम प्रस्तुत किये. कोई शेर बना तो कोई क्रोकोडाइल. मैं तो बटरफ्लाई (तितली) बनी. बड़ा मजा आया उड़ने में। इस अवसर पर प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की थीम थी- ‘our island, our heritage’.. आप भी तो देखिये ना-
यह रही बटरफ्लाई स्कूल कैम्पस में. ...यहाँ घर में भी बटरफ्लाई बैठी है. स्कूल में प्रोग्राम के दौरान बटरफ्लाई और साथ में मछली रानी भी.

यहाँ भी उड़ी बटरफ्लाई...

कुछ ऐसा सजा था बटरफ्लाई का स्टेज...


बच्चों ने गाना भी गया...हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में ना करो लड़ाई.
यहाँ नजर आ रही हैं हमारे स्कूल की प्रिंसिपल दीक्षा मैडम, अंडमान-निकोबार के शिक्षा निदेशक डा0 आर. देवदास (मुख्य अतिथि) और हमारी हेड मिस्ट्रेस सिस्टर रोसालिंडा (सफ़ेद कपड़ों में).
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Parent day of Carmel School held

The Parents day of Pre-Primary section of Carmel Sr. Sec. School was held on December 11. The Director of Education, Dr. R. Dev Das was the Chief Guest on the occasion. The cultural programme presented on the occasion was based on the theme ‘our island, our heritage’. It contained a sequence of historical events and on environmental issues. Later, addressing the gathering, the chief guest insisted that every school must conduct such activities involving all the students and it’s what the new CCE system suggests.

Earlier, the Headmistress of the school, Sister Rosalinda welcomed the gathering and spoke on value oriented education. The programme concluded with vote of thanks proposed by Smt. Naseema Bibi.

(As published in The Daily Telegrams, Portblair )




गुरुवार, दिसंबर 09, 2010

छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

आपको बताया था न कि अब मैं पोर्टब्लेयर आ गई हूँ. इस समय यहाँ मौसम खूब सुहाना सा है, पर कई बार खूब बारिश होने लगती है. अब फिर से मैं स्कूल जाने लगी हूँ. 11 तारीख को मेरे स्कूल में पैरेंट्स-डे है. मुझे उसमें तितली (Butterfly) बनना है और इसके लिए मैंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. और हाँ, मेरी छोटी बहना भी खूब खुश है. उसके तो ढेर सारे बुलाने वाले नाम हो गए हैं- मम्मा तन्वी कहकर बुलाती हैं तो मैं आइमा. पापा ने अपूर्वा नाम सोच रखा है और मौसी उसे रोजी बुलाती हैं. आजकल तो मेरे सारा समय आइमा के साथ खेलने में ही चला जाता है..खूब मजा आता है उसके साथ खेलने में.
और हाँ, मेरी नई ड्रेस कैसी लग रही है.

बुधवार, दिसंबर 01, 2010

पाखी पहुँची पोर्टब्लेयर....

सभी लोगों को मेरी नमस्ते. अब मैं पोर्टब्लेयर आ गई हूँ. साथ में मम्मी-पापा और छोटी बहना भी.
ये रही हमारी प्यारी सी सिस्टर. यह तो उसकी पहली विमान-यात्रा है.
कित्ती खुश है पोर्टब्लेयर जाने को लेकर.
29 नवम्बर की सुबह हम पोर्टब्लेयर पहुँच गए.कित्ता अच्छा लग रहा है यहाँ आकर. अब तो खूब मस्ती करनी है.


रविवार, नवंबर 28, 2010

मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी

आज मम्मा-पापा के हैपी वेडिंग डे को 6 साल पूरे हो गए. आज हम लोग ददिहाल से बनारस और फिर कोलकात्ता पहुंचेंगें. लगता है मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी फ़्लाईट में या कोलकाता में ही मनेगी. पर सबसे बड़ी ख़ुशी वाली बात तो यह है कि कल हम सभी पोर्टब्लेयर में होंगे. मेरी छोटी बहन तो पहली बार पोर्टब्लेयर जा रही है. अब तो खूब मजा आयेगा. अब तो मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी पोर्टब्लेयर में ही सेलिब्रेट करेंगें !!


( चित्र में मम्मा-पापा की वेडिंग की फोटो है. इसमें मैं नहीं दिख रही हूँ ना. पहले इसके लिए मम्मा-पापा से खूब शिकायत करती थी कि मुझे क्यों नहीं अपनी वेडिंग-फंक्शन में बुलाया....)

मम्मा-पापा को 6th वेडिंग-एनिवर्सरी पर ढेर सारा प्यार और उपहार भी...हम दोनों की तरफ से !!

मंगलवार, नवंबर 23, 2010

नानी और मौसी के साथ मेरी नन्हीं सी बहना..

आपको तो मैंने बताया था ना कि मैं दीदी बन गई हूँ. हर कोई सोचता है कि मेरी प्यारी सी नन्हीं सी बहना को गोद में लेकर प्यार करे. अब देखों ना मौसी का, एक साथ ही दोनों को प्यार दे रही हैं-
और ये रहीं मेरी नानी जी, मेरी बहना को देखकर कित्ती खुश हो रही हैं.

गुरुवार, नवंबर 18, 2010

ननिहाल से ददिहाल...

आजकल अपने ननिहाल में नाना-नानी के साथ हूँ. मम्मा और मेरी छोटी बहन तो हैं ही. नाना-नानी के साथ खूब मस्ती करती हूँ. दिन भर धमाचौकड़ी. मेरा ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर) में है. यह बनारस के पास है. कल मैं मम्मा और बहना के साथ ददिहाल (आजमगढ़) चली जाउंगी. अब तो पापा भी आने वाले हैं, हम सभी को पोर्टब्लेयर ले जाने के लिए. वह भी सोमवार तक आ जायेंगें. अभी तो बस पैकिंग हो रही है, हर चीज बिखरी हुई है. इधर मेरी पढाई भी काफी डिस्टर्ब हुई है.

मैं तो बहुत खुश हूँ. इतने दिनों में दादा-दादी, नाना-नानी, मौसा-मौसी, चाचू सभी का ढेर सारा प्यार मिला और अब पोर्टब्लेयर जाने की तैयारी. इस महीने के अंत तक हम पोर्टब्लेयर में होंगें. मुझे अपने घर, सायकिल, खिलौनों, टीचर जी और दोस्तों सभी की बहुत याद आती है. यहाँ तो ठण्ड पड़ने लगी है, पर पोर्टब्लेयर में मौसम भी अच्छा है. और हाँ, इस बीच इक अच्छी बात और हो गई कि बनारस और कोलकाता के बीच जेट की सीधी फ्लाईट शुरू हो गई है. अब लखनऊ तक जाने की जरुरत नहीं..!!

रविवार, नवंबर 14, 2010

नेहरू चाचा आओ ना..


आज बाल-दिवस है. मम्मा बता रही थीं कि आज ही हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु चाचा का जन्म हुआ था. वे हम बच्चों से बहुत प्यार करते थे और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा कहा करते थे. तभी तो उनका जन्म दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज बाल-दिवस पर पापा की इक प्यारी सी कविता पोस्ट कर रही हूँ. आप बताइयेगा कि यह कैसी लगी-

नेहरू चाचा आओ ना
दुनिया को समझाओ ना
बच्चे कितने प्यारे होते
कोई उन्हें सताए ना ।

नेहरू चाचा आओ ना
मधु मुस्कान दिखाओ ना
तुम गुलाब की खुशबू से
बचपन को महकाओ ना ।

नेहरू चाचा आओ ना
उजियारा फैलाओ ना
देशभक्त हों, पढें-लिखें
ऐसा पाठ पढा़ओ ना ।

नेहरू चाचा आओ ना।

बुधवार, नवंबर 10, 2010

अक्षिता (पाखी) दीदी बन गई...

आज बहुत दिन बाद अपना ब्लॉग देख रही हूँ. अब आप पूछेंगें क्यों....चलिए बता ही देती हूँ. मैं दीदी बन गई हूँ. मेरे घर में मेरी प्यारी सी बहना जो आ गई है. ये रही नन्हीं-मुन्नी प्यारी सी मेरी सिस्टर, जो अब मुझे दीदी कहकर बुलाएगी.
इसका जन्म 27 अक्तूबर, 2010 की रात्रि 11: 10 पर बनारस के हेरिटेज हास्पिटल में हुआ. पहले हम लोग पोर्टब्लेयर से अपने ददिहाल आजमगढ़ गए और फिर ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर). और पापा पहुँचे 24 अक्तूबर की रात में. तब तक तो ममा बनारस के हेरिटेज हास्पिटल में एडमिट हो चुकी थीं. साथ में नानी और मौसी भी थीं. ..और हाँ डाक्टर आंटी तो हम लोगों का खूब ख्याल रखती थीं. थीं. उनका नाम था मेजर (डा0) अंजली रानी. दीदी बनने के बाद तो मैं बहुत खुश हूँ. आज तो यह पूरे 15 दिन की हो गई. मुझे लगता है कि कोई प्यारा सा ट्वॉय मिल गया, जिसके साथ खूब खेलूँगी...मस्ती करुँगी. अभी तो सारा दिन कोशिश करती हूँ कि मेरा ट्वॉय मेरी गोद में रहे. अब बस इंतजार है कि कब हम लोग पोर्टब्लेयर पहुंचेंगे. यहाँ तो ठंडी आ चुकी है, वहाँ तो मौसम अभी बहुत प्यारा होगा...अले, मेरा ट्वॉय रो रहा है, मैं तो चली उसे चुप कराने...अब तो उसके बारे में आपको ढेर सारी बातें बताऊन्गी !!

शुक्रवार, नवंबर 05, 2010

दीवाली का त्यौहार आया...


आज तो दीपावली है. ढेर सारी फुलझड़ियाँ छुड़ाने का दिन. पटाखों से तो मुझे बहुत डर लगता है. उनकी आवाज़ सुनकर तो मैं अपने कान बंद कर लेती हूँ...
और हाँ, आज तो लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा भी होगी और फिर ढेर सारी मिठाइयाँ भी. लक्ष्मी-गणेश जी के स्वागत के लिए ही तो घर में सफाई अभियान भी छिड़ा हुआ है. पूजा के बाद ढेर सारे दिए जलाये जायेंगे..कित्ता अच्छा लगता है. मानो सारे तारे ही जमीं पर आ गए हों. उस पर से झिलमिल करती झालरें और मोमबत्तियां...वाह ! मम्मा बता रही थीं की इसी दिन भगवान श्री राम अयोध्या लौटे थे और इस ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था, तभी से दीपावली मनाई जाती है. मैं तो चली दीपावली की तैयारियाँ करने..मतलब ममा का साथ देने।

आप सभी को दीपावली की खूब बधाइयाँ और प्यार !!

बुधवार, अक्टूबर 27, 2010

समुद्र के किनारे पाखी की कलाकारी


यह देखो मैंने समुद्र के किनारे क्या बनाया.
नहीं समझ में आया...अच्छा ये देखिये.
अले वाह, यह तो बन गया...हुर्रे.अब आप भी देख लीजिये. पहले मैंने रेत का टीला बनाया और फिर उसे कोरल्स, सी-शेल, सीप ...और भी बहुत कुछ, से सजाया. अच्छा लग रहा है ना !!

गुरुवार, अक्टूबर 21, 2010

पाखी की इक और ड्राइंग...


..ये रही मेरी एक और ड्राइंग. इसमें मैंने सूरज दादा बनाया, बादल बनाया, फूल बनाये...अले सब मैं ही बता दूंगीं तो आप क्या बताएँगे. अच्छी लगी ना आपको मेरी यह ड्राइंग !!

शनिवार, अक्टूबर 16, 2010

नवरात्र और दशहरा...धूमधाम वाले दिन आए

आज नवरात्र का अंतिम दिन है. कित्ती धूमधाम दिखती है चारों तरफ. कहीं माँ दुर्गा की मूर्तियाँ सजी हुई हैं तो बढ़िया-बढ़िया गाने भी बज रहे हैं. घर में तो आजकल फल, मिठाई और फूलों की पूछिये ही नहीं. मैं तो व्रत नहीं रहती पर व्रत वाले फल इत्यादि खाने में बहुत तेज हूँ. मंदिर में जाकर दर्शन भी करना नहीं भूलती. वहाँ तो बहुत भीड़ होती है. जिसे देखो सब माता जी का दर्शन करने आते हैं. मैंने तो माता जी की खूब पूजा की और आशीर्वाद भी माँगा।पिछले साल जब मैं कानपुर थी तो नवरात्र में मम्मी-पापा के साथ माता जी का दर्शन करने मन्दिर गई तो पुजारी जी ने मुझे एक नहीं दो-दो चुनरी ओढाई, गले में माला डाली और ढेर सारा प्रसाद दिया। वह तो मुझे कभी नहीं भूलता. कल तो दशहरा है. मैंने तो पूरी लिस्ट बना ली है कि क्या-क्या खरीदना है और क्या-क्या खाना है. इस मामले में हम बच्चों का कोई सानी नहीं. दशहरे में मुझे रावण से बहुत डर लगता है. उसकी हंसी कित्ती डरावनी होती है-हा..हा..हा..हा..पिछले साल जब मैं कानपुर में थी तो खूब बड़ा सा रावण देखा था और फिर उसे जला दिया गया..कित्ती आतिशबाजी हुई थी. मैंने तो डर कर अपने कान ही बंद कर लिए थे. अब देखिये इस बार क्या करती हूँ. आप सभी लोगों को नवरात्र और दशहरा की बधाई और ऐसे ही मुझे अपना प्यार और आशीर्वाद देते रहिएगा. मैं तो चली सुबह-सुबह मम्मा का हाथ बँटाने और फिर मिठाइयाँ खाने !!

बुधवार, अक्टूबर 13, 2010

'पाखी की दुनिया' के 100 पोस्ट पूरे ..ये मारा शतक !!

वाह, मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' पर 100 पोस्ट पूरी हो गई...ये मारा शतक. इस शतक की ख़ुशी में पापा ने मेरा मुंह मीठा कराया और फिर ये सुन्दर सी तस्वीर आपके लिए...और ये मैंने ममा का मुंह मीठा कराया...
पापा ने मुझे एक प्यारी सी घडी भी दी. यह रात में रोशनी करती है. इसमें दो घोड़े भी बने हुए हैं. ..और हाँ, जब स्विच-ऑन करो तो घोड़ों की आवाज़ भी सुनाई देती है. अब ये मेरे टेबल की शोभा बढ़ाएगी और समय भी बताएगी.
प्यारी है ना ये घोड़ों वाली घडी...और ये खूबसूरत 100 लाल-गुलाब भी...प्यारे-प्यारे. यह आप सभी के लिए, जो मुझे इत्ता प्यार करते हैं. आप मुझे प्यार नहीं करते तो ये शतक कैसे बनता !!

सोमवार, अक्टूबर 11, 2010

फूलों के बीच पाखी

अंडमान में घूमने-फिरने का खूब मजा है. पिछले दिनों मैं मम्मा-पापा के साथ डिगलीपुर गई. पापा ने बताया यह दक्षिण अंडमान का सबसे अंतिम क्षोर है. पापा को आफिस विजिट करने जाना था, सो वह चले गए. फिर मैं गेस्ट-हॉउस से बाहर निकली तो वहां ढेर सारे फूल दिखाई दिए. फिर तो मैंने मम्मा को आवाज़ दी और खूब फोटोग्राफी कराई. वाह, यह पीले-पीले फूल कित्ते अच्छे लग रहे हैं. वह भी ढेर सारे. इन पर तो तितलियाँ भी छिप जायेंगीं. और यह लाला वाला फूल तो ऐसा लग रहा है, जैसे मधुमखी ने अपना घर बनाया हो. यह तो प्यारा सा गुलाब है. सभी फूलों का राजा. मुझे तो बहुत अच्छा लगता है. एक तोड़कर मम्मा को देती हूँ. यह तो रजनीगंधा है...इसकी खुशबू..वाह. यहाँ तो गेंदे के ढेर सारे फूल खिले हुए हैं. एक फोटो यहाँ भी.
अब यहाँ बैठकर थोडा सा आराम भी कर लेती हूँ. चलते-चलते इक स्टाइल यह भी...!!