नए साल पर मेरा संकल्प होगा कि समाज में बेटियों के लिये कुछ अच्छा किया जाये। आज भी बेटियों के प्रति समाज में दोहरी सोच है, इसे बदलने की जरूरत है। इसकी पहल हमें अपने आसपास से करनी होगी। जो बेटियाँ पढ़ने के लिये स्कूल नहीं जा पातीं, उनके माँ-बाप को समझाना होगा। कई बार उनके साथ पैसों की समस्या होती है,यदि हम अपने जेब खर्च व अन्य स्रोतों से उनकी मदद कर सकें तो बेहतर होगा। अगली क्लास में प्रमोशन के बाद अपनी किताबें और नोट बुक रद्दी में डाल देने की बजाय उन लोगों को देना चाहिये, जिनके जीवन में इससे शिक्षा का प्रकाश पहुँचे। नए साल में मेरा यह संकल्प होगा कि इस क्षेत्र में मैं कार्य करते हुये लोगों की सोच बदल सकूँ। (साभार : दैनिक जागरण, लखनऊ, 2 जनवरी, 2019)
-अक्षिता (पाखी) यादव
(राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता)
Akshitaa (Pakhi) Yadav
National Child Awardee (For Art & Blogging)
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