आजकल एनिमेशन का जमाना है। जब चाहो, जैसे चाहो, जिसे चाहो .... इसमें ढाल दो और फिर इंजॉय करो। वैसे हम बच्चों के लिए यह सीखने का अच्छा माध्यम भी है। इसके लिए हम बच्चों की दीवानगी है तो फिर मम्मी-पापा की डांट भी। आखिर अति हर चीज की बुरी होती है। आप भी देखिये कि 'पाखी की दुनिया' के लिए भेजी अपनी इस प्यारी कविता में उमेश चौहान अंकल जी क्या कहते हैं -
कम्प्यूटर के गेम निराले
आई-पैड, पी सी पी वाले,
शुरू करो तो रुका न जाए
मम्मी कितनी डांट पिलाएं,
भूल-भाल कर खाना-पीना
इनके संग छुट्टी भर जीना,
क्या भारत, यू के, यू एस ए,
दुनिया को भरमाए है।
एनिमेटेड रंग जमाए है॥
टेलीविजन-कथाएं बदलीं
फिल्मों की गाथाएं बदलीं,
नए-नए पात्रों के चर्चे
‘छोटा भीम’ सराहें बच्चे,
‘आइस एज’ के किस्से अच्छे
लगते हैं बच्चों को सच्चे,
कृष्ण, गनेशा, हनोमान का
जादू मन को भाए है।
एनिमेटेड रंग जमाए है॥
इनसे कुछ खोया भी हमने
दादी के किस्से अब सपने,
मित्रों के भी जमघट छूटे
नाते-रिश्ते सिकुड़े, टूटे,
खेल-कूद का समय नहीं है
जो आभासी, वही सही है,
मन न लगे पढ़ने-लिखने में
लैप-टॉप ललचाए है।
एनिमेटेड रंग जमाए है॥
-उमेश कुमार सिंह चौहान (यू. के. एस. चौहान)
सम्पर्क: सी-II/ 195, सत्य मार्ग, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली–110021 (मो. नं. +91-8826262223).
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