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रविवार, मई 11, 2014

वो परी कोई और नहीं, माँ ही थी


बचपन में
माँ रख देती थी चाॅकलेट
तकिये के नीचे
कितना खुश होता
सुबह-सुबह चाॅकलेट देखकर।
माँ बताया करती 
जो बच्चे अच्छे काम     
करते हैं
उनके सपनों में परी आती
और देकर चली जाती चाॅकलेट।
मुझे क्या पता था
वो परी कोई और नहीं
माँ ही थी।



आज मदर्स डे है।  मेरी मम्मी बहुत प्यारी हैं, केयरिंग हैं और बिना कहे ही मेरी बात समझ जाती हैं।  मेरी मम्मी मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और उनकी वजह से मैं आज इस दुनिया में हूँ। मैं हर छोटी-बड़ी बात  मम्मी से शेयर करती हैं। जब भी कभी किसी परेशानी या उलझन में होती हूँ तो मम्मी  से बात करके जो सुकून मिलता  है, वह कहीं नहीं। मम्मी  की प्यार भरी डांँट, प्यार, दुलार, मम्मी के हाथ का बना हुआ खाना,  बीमार होने पर रात भर मम्मी  का जगकर गोदी में सर लिए बैठे रहना, हमारी हर छोटी से छोटी जिद को पूरी करना .... सच कहूँ तो ऐसा लगता है जैसे मम्मी भगवान का ही दूसरा रूप है।

(इस खास दिन पर पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी की एक कविता उनके काव्य-संग्रह 'अभिलाषा' से )


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