आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, अप्रैल 24, 2014

बच्चे, चुनाव और टॉफी

टाफी भला किसे नहीं अच्छी लगती।  हम बच्चों की  छोड़ भी दीजिये तो बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाता है। 


अब  देखिये,इस चुनाव में बच्चों की टाफी तो चर्चा में है, पर बच्चों से जुड़े मुद्दे नहीं।




 क्या सिर्फ इसलिए कि बच्चे वोट नहीं दे सकते !!

शुक्रवार, अप्रैल 04, 2014

स्कूल है रोज जाना

हॉलिडेज़ ख़त्म, 3 अप्रैल से स्कूल शुरू। अब पूरे अप्रैल भर चलेंगी क्लासेज़। नई किताबें, नया जोश। क्योंकि अब हम पहुँच गए हैं क्लॉस 2 में।  लीजिए, इसी बात पर पापा का एक बाल-गीत भी, जिसे उनके बाल-गीत संग्रह 'जंगल में क्रिकेट' से लिया है !!



स्कूल है रोज जाना
स्कूल जाएंगे हम रोजाना,
नहीं करेंगे कोई बहाना।
भूख अगर लग जाए वहाँ, 
टिफिन खोल खाएंगे खाना।


टीचर की सब मानें बात,
मन से करें पढ़ाई।
हम सब बच्चे मिलजुल रहते,
करें न कभी लड़ाई।


पढ़-लिख कर हम बढ़ेंगे आगे,
सपने सच करेंगे।
शिक्षा सब कुछ देगी हमको,
इसका मान करेंगे।