कुम्भ पर्व के दौरान इस मौनी अमावस्या पर शनि और राहु जैसे ग्रहों की अद्भुत जुगलबंदी देखने को मिल रही है, जो श्रधालुओं को अमृत की प्राप्ति करायेंगें। ऐसा संयोग 147वर्ष बाद बन रहा है। संगम तट पर इस पुण्य बेला में स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं। कईयों के लिए तो यह जीवन का अंतिम कुम्भ भी साबित होगा। वाकई इस समय कुम्भ-नगरी की छटा देखते ही बन रही है।
(पापा के फेसबुक से )
4 टिप्पणियां:
वाह, बहुत सुन्दर..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-02-2013) के चर्चा मंच-११५२ (बदहाल लोकतन्त्रः जिम्मेदार कौन) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
Khub masti ho rahi hai Apurva ki..Pyar.
अपूर्वा अब समझदार और शरारती हो रही हैं। ढेर सारा प्यार।
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