अपने बनारस-भ्रमण के दौरान मैं 16 मई को सारनाथ घूमने गई. धूप से बचने के लिए हम सुबह ही सुबह वहां पहुँच गए. कुछेक चित्र वहाँ के शेयर कर रही हूँ- अशोक स्तम्भ के शिला-पट्ट के समक्ष.
यहीं पर लगा था अशोक स्तम्भ. पर अशोक स्तम्भ अब संग्रहालय में सुरक्षित रखा है.मूल गंध कुटी - यह भगवान बुद्ध के ध्यान-साधना स्थल पर निर्मित मंदिर का भग्नावशेष है. चारों तरफ फैले स्तूपों के भग्नावशेष. धूप बढ़ने लगी है. जल्दी -जल्दी चलते हैं..धमेख स्तूप - यहीं भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम धर्मोपदेश दिया था. सारनाथ में बौद्ध अनुयायी काफी संख्या में आते हैं. ऐसे ही एक बुद्धिस्ट के साथ.
...तो कैसी लगी आपको यह सारनाथ-यात्रा. अभी तो सारनाथ से जुडी और भी फोटो और बातें आपके साथ शेयर करनी हैं. जल्द ही नई पोस्ट के साथ फिर हाजिर हूँगी !!
आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...
रविवार, मई 20, 2012
शुक्रवार, मई 18, 2012
गंगा आरती देखी, पर गंगा जी में बिखरी गन्दगी का क्या ??
इस समय हमारी गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं. इन छुट्टियों के बहाने खूब घूम-फिर भी रही हूँ. 15 -17 मई मैं बनारस घूमने गई. हमारे परिवार के लिए बनारस का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. यहीं सारनाथ में ममा-पापा की सगाई और शादी हुई, तो अपूर्वा का जन्म भी यहीं हेरिटेज हास्पिटल में हुआ. एक लम्बे समय बाद आई तो बनारस में खूब घूमी. 5 मई की शाम मैं ममा-पापा और अपूर्वा के साथ गंगा जी घूमने गई. गंगा जी को इतने नजदीक से मैंने पहली बार देखा. वैसे गंगा जी तो इलाहबाद में भी हैं, पर दूर-दूर तक उनका पता भी नहीं चलता. यहाँ मैंने गंगा आरती भी देखी. मुझे तो यह देखकर बहुत अच्छा लगा. कित्ते सारे लोग जमा थे. गंगा-आरती देखने के लिए हम नाव से गए. इसी बहाने नौका-विहार का भी आनन्द लिया. गंगा जी के किनारे ढेर सारे घाट देखे. पर यहाँ का पानी तो बहुत गन्दा हो चुका है. जब हम अंडमान में थे तो पापा बताते थे कि यहीं बंगाल की खाड़ी में आकर गंगा जी मिलती हैं. वहाँ तो समुद्र का पानी कित्ता साफ था. पर बनारस में गंगा जी की दशा देखकर अच्छा नहीं लगा. पता नहीं जब तक मैं बड़ी हूंगी तो गंगा जी होंगी भी या नहीं. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम गंगा जी की आरती के साथ-साथ उनकी साफ-सफाई के बारे में भी सोचें.
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रविवार, मई 13, 2012
मेरी ममा सबसे प्यारी
आपको पता है आज मदर्स डे है. हर साल मई माह के दूसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है. मैं तो अपनी ममा से बहुत प्यार करती हूँ.मुझे पता है कई बार मैं उन्हें बहुत परेशान करती हूँ पर ममा कभी बुरा नहीं मानती. मुझे ढेर सारा प्यार-दुलार देती हैं. मेरी ममा सबसे प्यारी हैं.
आज मदर्स डे पर मैंने सुबह जगते ही ममा को विश किया और उन्हें एक प्यारा सा कार्ड और चाकलेट दिया. साथ में प्यारे-प्यारे गुलाब के फूल भी दिया और अपनी एक ड्राइंग भी दी. आज संडे भी है, सो पापा भी घर पर रहेंगे. शाम को हम लोग ढेर सारी जगहें घूमने जायेंगे, और जब थक जायेंगे तो पापा हम लोगों को शानदार डिनर कराएँगे.
वैसे तो ममा से प्यार जताने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, पर आज का दिन तो सिर्फ ममा का है..आज के दिन के लिए ममा को ढेर सारा प्यार और बधाई. U r the best Mama.
आज मदर्स डे पर मैंने सुबह जगते ही ममा को विश किया और उन्हें एक प्यारा सा कार्ड और चाकलेट दिया. साथ में प्यारे-प्यारे गुलाब के फूल भी दिया और अपनी एक ड्राइंग भी दी. आज संडे भी है, सो पापा भी घर पर रहेंगे. शाम को हम लोग ढेर सारी जगहें घूमने जायेंगे, और जब थक जायेंगे तो पापा हम लोगों को शानदार डिनर कराएँगे.
वैसे तो ममा से प्यार जताने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, पर आज का दिन तो सिर्फ ममा का है..आज के दिन के लिए ममा को ढेर सारा प्यार और बधाई. U r the best Mama.
मम्मी की दुलारी
मम्मी मेरी सबसे प्यारी,
मैं मम्मी की राजदुलारी।
मम्मी मुझसे प्यार जताती,
अच्छी-अच्छी चीजें लाती।
करती जब भी मैं मनमानी,
मम्मी याद दिलाती नानी।
फिर मम्मी करती है प्यार,
मेरा भी गुस्सा बेकार।
पीछे-पीछे मम्मी आती,
चाकलेट दे मुझे मनाती।
थपकी देकर लोरी गाती,
निंदिया प्यारी मुझको आती।।
(यह बाल-गीत ममा के संग्रह 'चाँद पर पानी' से लिया गया है )
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बुधवार, मई 09, 2012
जंगल में हुआ क्रिकेट और चाँद पर बरसा पानी
(आपने कई बार मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' में ममा-पापा की बाल-रचनाएँ पढ़ी होंगीं. अब तो इन सबको मिलकर ममा-पापा का बाल-गीत संग्रह भी आ गया है. ममा का बाल-गीत संग्रह है- 'चाँद पर पानी' और पापा का है- 'जंगल में क्रिकेट'. पिछले दिनों इनका दिल्ली में विमोचन भी हुआ. हमने सोचा तो था कि विमोचन में जाएंगें, पर ऐनवक्त पर पापा की व्यस्तता के चलते न जा सके. इस कार्यक्रम की एक कवरेज आप भी पढ़िए )
"शेर चंद ने उठाया बल्ला, चीता फिर से गली में दुबका. हाथी ने दस्ताने बांधे, चिड़िया लगी है गेंद चमकाने. जंगल में यदि क्रिकेट खेला जाए तो कुछ ऐसा ही होगा. है ना ? और सोचिये चाँद पर यदि बरसेगा पानी तो कैसे कहेंगे दादा-दादी कहानी ? इन बातों पर लिखे गए गीत बच्चों को खूब पसंद आएँगे. दिल्ली में पिछले दिनों ऐसे ही दो बाल-गीत संग्रहों का विमोचन हुआ. "
राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह और डा. रत्नाकर पाण्डेय (पूर्व सांसद) ने जंगल में क्रिकेट एवं चाँद पर पानी नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया.चर्चित साहित्यकार और चिट्ठाकार कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव द्वारा लिखी गई इन दोनों पुस्तकों में 30-30बाल-गीत संगृहीत हैं.
राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह और डा. रत्नाकर पाण्डेय (पूर्व सांसद) ने जंगल में क्रिकेट एवं चाँद पर पानी नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया.चर्चित साहित्यकार और चिट्ठाकार कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव द्वारा लिखी गई इन दोनों पुस्तकों में 30-30बाल-गीत संगृहीत हैं.
इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह ने कहा कि बाल-साहित्य बच्चों में स्वस्थ संस्कार रोपता है, अत: इसे बढ़ावा दिए जाने क़ी जरुरत है. पूर्व सांसद डा. रत्नाकर पाण्डेय ने इस युगल के बाल-गीत संग्रह क़ी प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें आज का बचपन है और बीते कल का भी और यही बात इन संग्रह को महत्वपूर्ण बनाती है. कार्यक्रम में राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास के संयोजक डा. उमाशंकर मिश्र ने कहा कि यदि युगल दंपत्ति आज यहाँ उपस्थित रहते तो कार्यक्रम कि रौनक और भी बढ़ जाती. गौरतलब है कि अपनी पूर्व व्यस्तताओं के चलते यादव दंपत्ति इस कार्यक्रम में शरीक न हो सके. आभार ज्ञापन उद्योग नगर प्रकाशन के विकास मिश्र द्वारा किया गया.
साभार : हिंदी होम पेज
साभार : हिंदी होम पेज
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