आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शुक्रवार, अप्रैल 27, 2012

अपूर्वा हुई डेढ़ साल की..बधाई !!

आज मेरी बहन अपूर्वा पूरे डेढ़ साल की हो गई. पता ही नहीं चला कि समय इत्ती तेजी से कैसे बीत गया. पहले अंडमान और अब इलाहाबाद..

कुछ भी हो अपूर्वा अब मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन चुकी है. सुबह मेरे साथ जगती है, मुझे स्कूल छोड़ने जाती है और फिर घर में आकर सो जाती है. रोज मुझे लेने स्कूल भी जाती है. मेरे साथ खूब खेलती है, बातें करती है और ढेर सारा प्यार भी. मेरी बहन तो सबसे प्यारी है और मैं भी इसे खूब प्यार-दुलार करती हूँ.
अपूर्वा के आज डेढ़ साल की होने पर खूब सारा प्यार और बधाई ! आप भी अपूर्वा को अपना प्यार और आशीर्वाद देना न भूलिएगा !!

सोमवार, अप्रैल 23, 2012

....ताकि हर बच्चा पढ़ सके !!

आज विश्व पुस्तक दिवस है. मुझे तो पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इन पुस्तकों में होती हैं- ढेर सारी प्यारी-प्यारी बातें, राइम और चित्र.वाह...कित्ता मजा आता है. मैं अपनी पुस्तकें खूब अच्छे से रखती हूँ, नहीं तो पुरानी और गन्दी नहीं हो जायेंगीं.अब तो अपूर्वा भी मेरी बुक्स देखकर पढ़ने के लिए जिद करती है. उसे चित्र देखना खूब अच्छा लगता है.
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क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते हैं पर उनके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे ही नहीं. जब मैं अंडमान से इलाहाबाद आ रही थी तो वहाँ एक अनाथालय में गई थी। इन सभी के मम्मी-पापा नहीं थे। कुछ तो पढ़ना चाहते हैं, पर कोई मदद करने वाला नहीं। फिर मैंने उनके लिए कुछ किताबें खरीदीं और साथ में अपनी तमाम पुरानी पुस्तकों को भी लेकर उन सभी को दे दिया. उस दिन वे बहुत खुश हुए. यह काम मैंने कानपुर से अंडमान जाते समय भी किया था.




आज विश्व पुस्तक दिवस है..आप भी कुछ ऐसा ही कीजिये ताकि हर बच्चा पढ़ सके. अपने घर में पुरानी हो चुकी पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय उन लोगों तक पहुँचा दीजिये, जिन्हें वाकई इसकी जरुरत हैहै।




और चलते-चलते "विश्व पुस्तक दिवस" पर यह कविता। इसे मेरे पापा ने लिखा है.....





प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक



ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक



कला-संस्कृति, लोकजीवन की



कहती है कहानी पुस्तक।




अच्छी-अच्छी बात बताती



संस्कारों का पाठ पढ़ाती



मान और सम्मान बड़ों का



सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।




सीधी-सच्ची राह दिखाती



ज्ञान पथ पर है ले जाती



कर्म और कर्तव्य हमारे



सद्गुण हमें सिखाती पुस्तक।









रविवार, अप्रैल 22, 2012

विश्व पृथ्वी दिवस : अपूर्वा की एक नन्ही सी कोशिश

आज विश्व पृथ्वी दिवस है. पृथ्वी जब तक सुरक्षित है, हम सभी सुरक्षित हैं. इसीलिए हमें पेड़-पौधों की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि ये धरा के आभूषण हैं. लोग कहते भी हैं कि पहले तो पेड़ काटो नहीं और यदि काटना ही पड़े तो एक की जगह दो पेड़ लगाना चाहिए। लगता है हमारी छोटी बहन अपूर्वा को भी यह बात पता है कि आज विश्व पृथ्वी दिवस है. वह सुबह से ही गमले में एक सूखी टहनी को लगाने का प्रयास कर रही है. आखिर जब चारों तरफ हरियाली हो तो फिर यह एक टहनी सूखी कैसे रह सकती है.इसे गमले में लगा देती हूँ.शायद यह दूसरे हरे-भरे पौधों का साथ पाकर फिर से हरा-भरा हो जाये.ऐसा ही कुछ अपूर्वा सोच रही है.चलिए, हम सब लोग भी कुछ ऐसा ही प्रयास करते हैं. शायद पृथ्वी और हरी-भरी हो उठे.


गुरुवार, अप्रैल 19, 2012

नन्हीं कलम नाम है, लेकिन काम बड़ों का करती हूँ....



नन्हीं कलम नाम है,
लेकिन काम बड़ों का करती हूँ.
पथ में जो कुछ दिखता है,
शीतल जल से भरती हूँ.

आज इसी शीर्षक से मुझ पर एक रिपोर्ट दैनिक जागरण ने कवर की है. इस पर मेरे ब्लॉग के बारे में भी बताया गया है. आप भी इसे उपरोक्त इमेज पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

बुधवार, अप्रैल 18, 2012

'बच्चों की दुनिया' को छोड़ गया आदित्य....

'आदित्य' एक दिन 'बच्चों की दुनिया' को छोड़कर यूँ ही चला जायेगा, किसी ने भी नहीं सोचा था. आदित्य तो हमेशा उर्जावान और प्रकाशमान रहता है, पर इस आदित्य को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि वह 8 अप्रैल, 2012 को ना सिर्फ ब्लागिंग जगत बल्कि इस दुनिया को ही अलविदा कह गया. अभी 10 मार्च को तो उसने अपना जन्म-दिन सेलिब्रेट किया था. उसके ब्लॉग पर अंतिम पोस्ट पढ़ी तो बड़ा अजीब सा लगा, समझ में ही नहीं आया कि क्या कहूँ...भगवान जी ने भला उसे अपने पास क्यों इत्ती जल्दी क्यों बुला लिया...?? कहते हैं कि लोग भगवान जी के पास जाकर फिर से नए रूप में धरती पर आते हैं, पर उसमें आदित्य कौन होगा, यह भला कैसे पता चलेगा ??..आदित्य का जाना वाकई दुखद है..हमारी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि !!
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आदित्य के ब्लॉग की अंतिम पोस्ट : अलविदा दोस्तों..

बहुत दिनों बाद पुनः एक नई और अंतिम कहानी के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत हो रहा हूँ आशा है मैं आप सभी के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना पाऊँगा...



एक बहुत ही छोटा सा प्यारा सा बच्चा था ३ साल का. वह कभी भी मुसीबतों से घबराता नहीं था. हमेशा मुस्कराता हुआ उसका चेहरा सबको खुश कर देता था. वह अपने घर की एकमात्र संतान जो बिस्तर में ३ साल से था क्योंकि उसकी ब्रेन की दवाइयाँ चल रही थी. उन दवाइयों की वजह से और दिमाग में आने वाले झटकों के कारण वह पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रहा था. इसके बावजूद घर के सभी सदस्य आशा के साथ उसके स्वस्थ होने की उम्मीद में थे. सभी उससे बहुत बहुत प्यार करते थे।



नाना जी, दादा जी और बड़े पापा उसके सबसे प्यारे थे. मम्मी पापा का लाडला, नाना-नानी का दोस्त, बाकि बच्चों का दुलारा वह बच्चा ८ अप्रैल को अस्पताल जाते जाते रास्ते में ही अपना शरीर त्याग दिया. और सबको अकेला छोड़ वह दूसरी शरीर यात्रा के लिए निकल पड़ा.


उस प्यारे से छोटे बच्चे के परिजन उसके अगले शरीर यात्रा में सुन्दर और स्वस्थ शरीर की कामना करते हुए उसे आशीर्वाद दिए।



आप सभी से निवेदन है कि आप भी इस दिवंगत आत्मा के सुन्दर भविष्य के लिए प्रार्थना करें।



क्या आप जानना चाहोगे यह प्यारा बच्चा कौन है?
यह, मैं.... याने आदित्य... आपका प्यारा दोस्त हूँ.....
आप सभी से बिछुड़ते मुझे बहुत दुःख हो रहा है पर एक सुन्दर और स्वस्थ शरीर की कल्पना से मुझे आशा की एक किरण नज़र आ रही है.
एक ऐसा स्वस्थ शरीर मुझे चाहिए जिससे मैं इस सुन्दर सृष्टि के लिए और मानवता के लिए कार्य कर सकूँ.......



आप सभी ने मुझे बहुत सा प्यार और आशीर्वाद दिया उन सबके लिए मैं आप सभी का शुक्र गुजार हूँ.....



आप सभी स्वस्थ और प्रसन्न रहें इसी कामना के साथ आपका प्यारा आदित्य आप सभी से विदा लेता है।



अलविदा प्यारे दोस्तों!
आपका प्यारा, नन्हां आदित्य

मंगलवार, अप्रैल 17, 2012

वाह..क्या आम हैं !!

मुझे तो आम खाना बहुत अच्छा लगता है. अंदमान में तो साल भर में दो-तीन बार आम होते थे, पर यहाँ इलाहाबाद में अब जाकर आम के दर्शन हुए हैं
जब हम आपने घर में शिफ्ट हुए तो आम के पेड़ों पर सिर्फ बौर थीं, और आज जाकर देखा तो खूब सारे आम आ गए हैं.
फलों के राजा आम को इत्ते करीब से मैंने पहली बार देखा है. अब तो लगता है , जल्दी से ये बड़े होकर पीले-पीले हो जाएँ, फिर इन्हें खूब खाऊन्गी.


!! मेरे मुंह में तो इन्हें देखकर ही पानी आ रहा है !!

रविवार, अप्रैल 08, 2012

ये रहा अक्षिता (पाखी) का सन-ग्लास

आजकल तो इलाहाबाद में खूब गर्मी पड़ रही है. कहाँ अंडमान का सुहाना मौसम और अब इलाहाबाद की गर्मी.एक तो सूरज दादा सबको परेशान किये हुए हैं, वहीँ सिविल लाइंस, जहाँ हमारा आवास है, बाहर निकलिए तो खूब सारे गड्ढे खुदे हुए हैं. इत्ती धूल उडती है कि अब आँखों का ख्याल तो करना ही पड़ेगा. इसीलिए मैंने भी एक खूबसूरत सन-ग्लास ले लिया है. अब देखती हूँ, सूरज दादा कैसे परेशान करते हैं या धूल कैसे मेरी आँखों में जाती है !!

(ये सारी फोटो हमारे आवास के लान की हैं )

मंगलवार, अप्रैल 03, 2012

अक्षिता (पाखी) पहुँची के. जी. II में

चलिए आज आपको एक अच्छी खबर सुनाती हूँ. अब मैं के.जी.-II (प्रेप) में चली गई हूँ. आज स्कूल में मेरा पहला दिन था.बड़ा अच्छा लगा, पर सब कुछ नया. इलाहाबाद में मेरे स्कूल का नाम है- गर्ल्स हाई स्कूल एंड कालेज, इलाहाबाद.
अब आपको अपने स्कूल के बारे में ढेर सारी बातें बताऊन्गी.