आज विश्व पुस्तक दिवस है. मुझे तो पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इन पुस्तकों में होती हैं- ढेर सारी प्यारी-प्यारी बातें, राइम और चित्र.
वाह...कित्ता मजा आता है. मैं अपनी पुस्तकें खूब अच्छे से रखती हूँ, नहीं तो पुरानी और गन्दी नहीं हो जायेंगीं.
अब तो अपूर्वा भी मेरी बुक्स देखकर पढ़ने के लिए जिद करती है. उसे चित्र देखना खूब अच्छा लगता है.
***********************
क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते हैं पर उनके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे ही नहीं. जब मैं अंडमान से इलाहाबाद आ रही थी तो वहाँ एक अनाथालय में गई थी। इन सभी के मम्मी-पापा नहीं थे। कुछ तो पढ़ना चाहते हैं, पर कोई मदद करने वाला नहीं। फिर मैंने उनके लिए कुछ किताबें खरीदीं और साथ में अपनी तमाम पुरानी पुस्तकों को भी लेकर उन सभी को दे दिया. उस दिन वे बहुत खुश हुए. यह काम मैंने कानपुर से अंडमान जाते समय भी किया था.
आज विश्व पुस्तक दिवस है..आप भी कुछ ऐसा ही कीजिये ताकि हर बच्चा पढ़ सके. अपने घर में पुरानी हो चुकी पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय उन लोगों तक पहुँचा दीजिये, जिन्हें वाकई इसकी जरुरत हैहै।
और चलते-चलते "विश्व पुस्तक दिवस" पर यह कविता। इसे मेरे
पापा ने लिखा है.....
प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक
ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक
कला-संस्कृति, लोकजीवन की
कहती है कहानी पुस्तक।
अच्छी-अच्छी बात बताती
संस्कारों का पाठ पढ़ाती
मान और सम्मान बड़ों का
सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।
सीधी-सच्ची राह दिखाती
ज्ञान पथ पर है ले जाती
कर्म और कर्तव्य हमारे
सद्गुण हमें सिखाती पुस्तक।