हम बच्चों के ब्लाग और बच्चो से जुड़े ब्लॉगों की अनूठी चर्चा जाकिर अली 'रजनीश' अंकल जी ने लखनऊ से प्रकाशित दैनिक अख़बार 'जनसंदेश' के 16 नवम्बर, 2011 अंक में 'ब्लॉगवाणी' कालम में की है. इस के लिए जाकिर अंकल जी को ढेर सारा प्यार और धन्यवाद. आपने ब्लागिंग पर मुझे प्राप्त 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' की भी चर्चा की..अच्छा लगा. यह पोस्ट जाकिर अंकल जी के ब्लॉग
'मेरी दुनिया मेरे सपने' पर प्रकाशित है, जहाँ से इसे साभार प्रकाशित किया जा रहा है. इससे पहले दैनिक हिंदुस्तान अख़बार ने भी हम बच्चों के ब्लाग के सम्बन्ध में लिखा था. आप भी पढ़ें और ब्लागिंग जगत में बढ़ते हम बच्चों को जानें-
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था- ‘मैं हैरत में पड़ जाता हूँ कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र का भविष्य जानने के लिए लोग तारों को देखते हैं। मैं ज्योतिष की गिनतियों में दिलचस्पी नहीं रखना। मुझे जब हिन्दुस्तान का भविष्य देखने की इच्छा होती है, तो बच्चों की आँखों और चेहरों को देखने की कोशिश करता हूँ। बच्चों के भाव मुझे भावी भारत की झलक दे जाते हैं।’
बच्चे सचमुच किसी भी राष्ट्र के भविष्य होते हैं। इसीलिए विद्वानों ने देश और समाज को संवारने के लिए बच्चों के वर्तमान को संवारने पर जोर दिया है। बच्चों के समुचित विकास के लिए जितना जरूरी यह है कि उन्हें जीने की बेहतर सुविधाएँ मिलें और उनकी शिक्षा-दीक्षा का समुचित प्रबंध हो, उतना ही जरूरी है कि उनके मानसिक विकास पर भी ध्यान दिया जाए।
बच्चों की इसी मानसिक खुराक को दृष्टिगत रखते हुए जहाँ देश के अलग-अलग भागों से ‘नंदन’, ‘बालहंस’, ‘चकमक’, ‘बालवाटिका’, ‘नन्हे सम्राट’, ‘बाल भारती’, ‘बालवाणी’ जैसी बाल पत्रिकाएँ निकल रही हैं, वहीं इंटरनेट पर बच्चों की मानसिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनेक ब्लॉगों का नियमित प्रकाशन भी हो रहा है। ऐसे तमाम ब्लॉगों में ‘बाल उद्यान’ (http://baaludyan.hindyugm.com) का प्रमुख स्थान है। यह ब्लॉग इंटरनेट पर हिन्दी लेखन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय संस्था ‘हिन्द युग्म’ का एक प्रयास है। इस ब्लॉग के संचालकों में जहाँ एक ओर तकनीक के महारथी शामिल हैं, वहीं बच्चों के लिए लिखने वाले बहुत से कवि, कहानीकार, पेंटर, गायक भी इससे जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि इस ब्लॉग की विषय सामग्री में जितनी विविधता देखने को मिलती है, उतनी और कहीं नहीं मिलती।
ऐसा ही एक अन्य ब्लॉग है ‘नन्हा मन’ (http://nanhaman.blogspot.com), जहाँ पर बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं की मनोरंजक रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। कविता-कहानी के अतिरिक्त यहाँ एक ओर सैर-सपाटा जैसे घुमक्कड़ी का कॉलम है, तो दूसरी ओर पर्यावरण और बाघ बचाओ जैसे जनोपयोगी अभियानों से सम्बंधित प्रेरक सामग्री। इस ब्लॉग की संचालिका सीमा सचदेव ब्लॉग के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहती हैं ‘हर मासूम चेहरे पर खुशी हमारा ध्येय है। बच्चों की हँसी, राष्ट्र की विजय है। हम सद्-विचारों को फैलाएँगे। नेता देश का, बच्चों को बनाएँगे।’ प्रसन्नता का विषय है कि इस अभियान से देश के कोने-कोने से लोग जुड़े हुए हैं। वे नियमित रूप से बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री रच रहे हैं, देश के सुंदर भविष्य की कामना कर रहे हैं।
ऐसे ही दो अन्य रोचक और पठनीय ब्लॉग है, ‘नन्हे-मुन्ने’ (http://naneymuney.blogspot.com) और ‘बाल-संसार’ (http://balsansar.blogspot.com), जिनपर विविधतापूर्ण रोचक और पठनीय सामग्री उपलब्ध है। इनमें जहाँ ‘नन्हे मुन्ने’ उपरोक्त तमाम ब्लॉगों की तरह एक सामुहिक ब्लॉग है, वहीं ‘बाल संसार’ अजय विश्वास के व्यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने अपने अथक श्रम से इस ब्लॉग की जड़ों को सींचा है।
बच्चों से जुड़े तमाम ब्लॉगों की भीड़ में एक ऐसा ब्लॉग भी है, जो अपने पवित्र लक्ष्य के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। ‘नन्हे पंख’ (http://nanhenpankh.blogspot.com) नामक यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है। अमलेन्दु अस्थाना द्वारा संचालित यह ब्लॉग बताता है कि भारत में मानसिक रूप से विकलाँग बच्चों की संख्या तीन प्रतिशत है। लेकिन इस संख्या को देखते हुए देश में इसके लिए काम करने वाले लोग काफी कम हैं। ‘नन्हे पंख’ एक तरह का वैचारिक ब्लॉग है, जो मानसिक विकलाँग बच्चों की आवाज को पूरे दमखम से उठाता है और उनके सम्बंध में चेतना जगाने का कार्य करता है।
एक ओर जहाँ इन्टरनेट पर बच्चों के लिए रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सामग्री से सुसज्जित ब्लॉगों की संख्या पिछले कुछ एक सालों में तेजी से बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर ऐसे ब्लॉग भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिनमें अभिभावक अपने बच्चों की गतिविधियों पर केन्द्रित सामग्री का प्रकाशन करते हैं। ऐसे ही कुछ चर्चित ब्लॉग हैं: ‘आदित्य’ (http://aadityaranjan.blogspot.com), ‘पाखी की दुनिया’ (http://www.pakhi-akshita.blogspot.com), ‘लविज़ा’ (http://blog.laviza.com), ‘माधव’ (http://madhavrai.blogspot.com), ‘अक्षयाँशी’ (http://riddhisingh.blogspot.com), ‘जादू’ व (http://jadoojee.blogspot.com), ‘नन्ही परी’ (http://nanhi-pari.blogspot.com)। ये तमाम ब्लॉग एक तरह से बचपन की ऑनलाइन डायरी के समान हैं, जहाँ पर बच्चों की गतिविधयाँ सचित्र रूप में दर्ज हो रही हैं। इनका एक लाभ जहाँ यह है कि अभिभावक अपने बच्चों की छोटी से छोटी गतिविधियों को भी ध्यान से निरख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे बच्चों में सकारात्मक भावनाएँ भरने के लिए प्राण-पण से लगे हुए हैं।
शायद यह इन्हीं सद्प्रयासों का परिणाम है कि ‘पाखी की दुनिया’ के द्वारा अपनी सकारात्मक गतिविधियों को ब्लॉग पर दर्ज करा रही नन्हीं ब्लॉगर अक्षिता (पाखी) को वर्ष 2011 के राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। ब्लॉगिंग के इतिहास में यह पहली घटना है, जब ब्लॉगिंग जैसे कार्य के लिए किसी को सरकारी पुरस्कार मिल रहा है। आने वाले दिनों में इससे नि:संदेह सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा मिलेगा और ब्लॉगों पर बच्चों से सम्बंधित सामग्री का प्रतिशत बढ़ेगा।
साभार : मेरी दुनिया मेरे सपने