आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, सितंबर 01, 2011

गणेश जी का मोदक

आज तो गणेश-चतुर्थी है. गणेश भगवान जी तो मुझे बहुत प्रिय हैं. कित्ते सारे मोदक (लड्डू) खा जाते हैं. कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं. और हम बच्चे अगर ज्यादा मिठाई खाने लगें तो दांत से लेकर पेट तक ख़राब होने की बात.

..सोचिये गणेश जी को मोदक इत्ता प्रिय क्यों है ? गणेशजी को मोदक यानी लड्डू बहुत प्रिय हैं। इनके बिना गणेशजी की पूजा अधूरी ही मानी जाती है। यह सवाल मैंने ममा-पापा से पूछा और फिर गूगल सर्च द्वारा यह बात पता चली. तो चलिए आप भी जान लीजिए.

श्रीगणेशजी को मोदकप्रिय कहा जाता है। वे अपने एक हाथ में मोदक पूर्ण पात्र रखते है। मोदक को महाबुद्धि का प्रतीक बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार पार्वती देवी को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य मोदक दिया। मोदक देखकर दोनों बालक (स्कन्द तथा गणेश) माता से माँगने लगे। तब माता ने मोदक के प्रभावों का वर्णन कर कहा कि तुममें से जो धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करके आयेगा, उसी को मैं यह मोदक दूँगी। माता की ऐसी बात सुनकर स्कन्द ने मयूर पर बैठकर कुछ ही क्षणों में सब तीर्थों का स्नान कर लिया। इधर लम्बोदरधारी गणेशजी माता-पिता की परिक्रमा करके पिताजी के सम्मुख खड़े हो गये। तब पार्वतीजी ने कहा- समस्त तीर्थों में किया हुआ स्नान, सम्पूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान तथा सब प्रकार के व्रत, मन्त्र, योग और संयम का पालन- ये सभी साधन माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं हो सकते। इसलिये यह गणेश सैकड़ों पुत्रों और सैकड़ों गणों से भी बढ़कर है। अत: देवताओं का बनाया हुआ यह मोदक मैं गणेश को ही अर्पण करती हूँ। माता-पिता की भक्ति के कारण ही इसकी प्रत्येक यज्ञ में सबसे पहले पूजा होगी। तत्पश्चात् महादेवजी बोले- इस गणेश के ही अग्रपूजन से सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हों।

..तो चलिए हम सभी गणेश-चतुर्थी के इस त्यौहार को मोदक (लड्डू) खाकर इंजॉय करें और आप सभी का आशीर्वाद तो मुझे मिलेगा ही !!

(मोदक खाने का मन करे तो यहाँ जरुर जाइएगा...)



19 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

जानकारी के लिए शुक्रिया..गणेश चतुर्थी पर हार्दिक बधाई और प्यार.

Unknown ने कहा…

लड्डू तो हमें भी बहुत अच्छे लगते हैं पाखी जी.

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

पाखी तुम्हारी रचना पढ़ी,तुम्हें आशीर्वाद रूप मे यह जानकारी भेज रहे है-
ग =ज्ञान,
ण=मोक्ष,
ईश=नायक।
ज्ञान और मोक्ष का नायक परमात्मा का स्वरूप गणेश कहलाता है।
गण=जनता,
ईश=नायक।
जनता का नायक=राष्ट्रपति।
राष्ट्रपति अर्थात शासक कैसा हो=जैसे गणेश के हाथी जैसे कान यह बताते हैं सुनो खूब ,कुप्पा ऐसा पेट यह बताता है सब हजम रखो,खाने के दाँत और नकली दाँत यह बताते है रहस्यपूर्ण बातें न बताओ और जो बताओ वह असली न हो ताकि शत्रु दुरुपयोग न कर सके। चूहे की सवारी अर्थात पंचमार्गी लोगों को दबा कर रखना चाहिए वरना वे राष्ट्र को कुतर डालते हैं। जैसे न दबाने के कारण अन्ना के एन जी ओज ने राष्ट्र का काफी कुतर-बोंत कर डाला। ,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जय गणेश देवा।

रेखा ने कहा…

मोदक तो मुझे भी बहुत पसंद है ...आपको हमारी तरफ से ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद ,गणेश चतुर्थी की बधाई

Shah Nawaz ने कहा…

गणेशोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत सुंदर पोस्ट बधाई और शुभकामनाएं

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत सुंदर पोस्ट बधाई और शुभकामनाएं

Kailash Sharma ने कहा…

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !

Dr Varsha Singh ने कहा…

गणेशोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

रुनझुन ने कहा…

गणेश चतुर्थी की कोटिश: बधाइयाँ...तुमने मोदक खाया या नहीं?

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

सुनीता शानू ने कहा…

चर्चा में आज नई पुरानी हलचल

आपकी चर्चा

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया पाखी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया जानकारी दी है ..गणेश चतुर्थी की बधाई ..खूब मोदक खाना ..

Unknown ने कहा…

तो खूब सारे मोदक खाए कि नहीं ??

Shahroz ने कहा…

अब पता चला कि गणेश जी को मोदक इतने प्रिय क्यों हैं.

Shahroz ने कहा…

गणेशोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

बेनामी ने कहा…

I also like Modak.