आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

गुरुवार, अगस्त 20, 2009

बाइकिंग विद् पाखी

आप लोग सोच रहे होंगें न कि आपकी पाखी कहाँ चली गई, लीजिये मैं आ गई। अब देखिये मेरी मस्ती एंड धमाल। ओह नो! यहाँ तो बस कार ही दिख रही है पर आज तो मैं बाइकिंग के मूड में हूँ।
अरे ये रही मेरी फेवरेट बाइक, है न मजेदार....अब जरा रेस लगा लूँ..... वंडर..आई लाइक इट।

बाइकिंग तो हो गई, अब जरा यहाँ भी एन्जॉय कर लूँ....वाह इट्स मूविंग राउंड एंड राउंड.

अरे ये क्या है...डिस्को भांगड़ा...फन एंड मस्ती का वन मोर चांस...अभी मम्मी-पापा को बोलती हूँ. चलिए अगली बार फिर मिलते हैं !!



रविवार, अगस्त 09, 2009

इस बार का संडे- मूवी-डे

हिप..हिप ..हुर्रे...आज मैंने मूवी देखी. अब आप कहोगे इसमें नया क्या है. यही तो आपको बताने जा रही हूँ. आज थिएटर में मैंने मूवी "लव आजकल" देखी, वो भी पूरी. वैसे इससे पहले भी मैं मूवी देखने गई हूँ, पर हर बार सो जाती थी. मम्मी बताती हैं कि जब मैं चार माह माह की थी तो पहली बार थिएटर में गई थी. वो मूवी थी-"कृष" व जगह थी-बरेली. पर आज तो मैंने कमाल कर दिया, पूरी मूवी बिना सोये देख गई..पॉपकार्न व पेप्सी के साथ कैसे ढाई घंटे बीत गए, पता ही नहीं चला। मूवी के गाने मुझे अच्छे लगे और सबसे अच्छा लगा दीपिका पादुकोण आंटी का रोल। वैसे भी वो मेरी फेवरेट हैं, तभी तो मैं मूवी देखने गई। सैफ अंकल मेरे फेवरेट नहीं हैं पर उनका भी रोल अच्छा है। आप आप पूछोगे ये मूवी कहाँ देखी मैंने, अरे वहीँ जहाँ मैं रहती हूँ...यानी की कानपुर के रेव-3 मल्टीप्लेक्स थिएटर में, वो भी संडे का फर्स्ट शो-12 से3.तो इस बार का संडे भी मजेदार रहा।.......और आपका संडे कैसा रहा। कुछ धमाल मचाया कि नहीं !!!
(और हाँ ...इस बार तो अपनी फोटोग्राफ लगाना भूल ही गई। लीजिये अब लग गई. आपकी पाखी की यह फोटो "आई-नेक्स्ट" अख़बार के 15 जुलाई, 2009 अंक में प्रकाशित हुयी थी. बताइयेगा मैं कैसी लग रही हूँ !!)

शनिवार, अगस्त 01, 2009

ये रही मेरी बोटिंग-ट्रिप

इस बार मेरी बोट-ट्रिप के बारे में. 24-28 जुलाई तक हम मध्य प्रदेश में रहे और वहाँ उज्जैन से अपनी यात्रा आरंभ की. 25-26 को उज्जैन भ्रमण और महाकालेश्वर के दर्शन बाद, 26की शाम हम इंदौर के लिए रवाना हो गए। देर शाम मैं मम्मी-पापा के साथ इंदौर में खरीददारी करती रही और अगली सुबह 27 को इंदौर से आगे ओंकारेश्वर और ममलेश्वर गई। ये दोनों मंदिर मिलकर ज्योतिर्लिंग का निर्माण करते हैं. सबसे मजेदार है इन दोनों मंदिरों के बीच का बोट द्वारा सफर. चारों तरफ मंदिर और सुन्दर सीनरी...मैंने तो खूब फोटोग्राफ लिए.वाकई इसमें बड़ा मजा आया
पैडल वाली बोट पर तो खूब एन्जॉय किया है पर ऐसी बोट पर कम ही चांस मिलता है। मन्दिर में हमने भगवान जी के दर्शन किए और प्रसाद भी खूब खाया। मेरे गले में मन्दिर के पुजारी ने सुंदर सी माला भी डाल दी.कुछ भी हो मेरी यह बोटिंग-ट्रिप बड़ी मजेदार रही। कई सीन मैंने अपने कैमरे में लिए और पापा ने हेंडी-केम में। इन्हें आपको बाद में दिखाउंगी !!