अंडमान में इन दिनों आइलैंड-फेस्टिवल की धूम है. मैं भी मामा-पापा और अपूर्वा के साथ घूमने गई थी. बड़ा मजा आया. मेरी तरह के ढेर सारे बच्चे वहाँ कार्यक्रम पेश कर रहे थे. कोई परी बना था तो कोई भालू, मोर, तोता, बन्दर, खरगोश, क्रोकोडाइल और बटरफ्लाई. उसके बाद दूसरे राज्यों के कलाकारों द्वारा किया गया नृत्य भी मैंने देखा. ढेर सारे स्टाल पर मैं गई और अपने और अपूर्वा के लिए खूब खिलौने ख़रीदे. फिर खाने-पीने के स्टाल भी तो खूब सजे थे, वहाँ तो खूब मजा आया. ढेर सारी मिठाई, चाकलेट, आइसक्रीम, जूस, चाट, पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, पास्ता...सब पर थोडा-थोडा हाथ साफ किया. -
इस पर पापा ने भी अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट लगाई है, उसे भी पढ़ें-
जब सारा भारत ठण्ड से ठिठुर रहा होता है, उस संमय अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मौसम सुहाना होता है. देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए यहाँ नवम्बर से फरवरी माह का संमय घूमने और मौज-मस्ती के करने के लिए उम्दा माना जाता है. खूबसूरत समुद्र-तट और लहरों की अठखेलियाँ, प्राकृतिक सौंदर्य, जैव-विविधता के बीच सेलुलर जेल और काला-पानी की ऐतिहासिकता पर्यटकों को रोमांचित करती है. समुद्र में सीप, मोलस्क, रंग-बिरंगी मछलियों के मध्य स्कूबा डाइविंग और स्नोरकलिंग का आनंद एक नए ही जीवन में ले जाता है.
ऐसे ही खुशनुमा अहसास के बीच जनवरी माह में आरंभ होता है- अंडमान-निकोबार द्वीप पर्यटन उत्सव. उत्सव क्या, मानिये पूरा भारत ही सिमट आता है. भिन्न-भिन्न प्रान्तों की संस्कृति के दर्शन यहाँ करने को मिलते हैं. इस साल मैं भी सपरिवार इस पर्यटन उत्सव में पहुंचा. राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आरंभ होने वाला द्वीप पर्यटन उत्सव पांच जनवरी को आरंभ होकर आज पंद्रह जनवरी को ख़त्म होगा. इस उत्सव में जहाँ तमाम सरकारी विभागों की गतिविधियाँ उनके स्टाल पर परिलक्षित होती हैं, वहीँ मुख्यभूमि से मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, दिल्ली और गोवा जैसे राज्यों के पर्यटन निगम भी अपने स्टॉल लगाकर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. द्वीप महोत्सव का उद्घाटन भले ही उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल भूपेन्द्र सिंह ने एक ही स्थान पर किया हो, पर यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. शाम को सड़कों पर निकालिए तो आपको संगीत की मधुर स्वर-लहरियां अपने चारों तरफ गुंजित होती सुनाई देंगीं. पोर्टब्लेयर के साथ-साथ द्वीपसमूह के अन्य पर्यटक स्थलों पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन चलता रहता है. इनमें डिगलीपुर, लोंग आइलैंड, नील, हैवलॉक, विम्बर्लीगंज और भातू बस्ती इत्यदि शामिल हैं।आई.टी.एफ. मैदान में आयोजित होने वाला हास्य कवि सम्मेलन तो इस कार्यक्रम की जन है, जहाँ मुख्यभूमि से तमाम चर्चित कवि अपनी रचनाओं से लोगों को बांधने के लिए पहुँचते हैं. स्थानीय कवियों का कवि-समेलन तो होता ही है. तमाम स्कूलों के बच्चे अंतर स्कूल नृत्य प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रोत्साहित होते हैं तो सेना और पुलिस की ओर से भी तमाम कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. रॉक बैंड ‘यूफोरिया’ का प्रदर्शन तो इस बार लाजवाब रहा.
पोर्टब्लेयर में आयोजित द्वीप पर्यटन उत्सव अब इन द्वीपों से बाहर भी अपनी रंगत बिखेरने लगा है. इसीलिए इसे पहली बार राष्ट्रीय प्रसारण में भी शामिल किया गया. उद्घाटन समारोह का दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल डी.डी. भारती से सीधा प्रसारण किया गया. सभी द्वीपों के अलावा बत्तीस अन्य राष्ट्रों में भी यह सीधा प्रसारण देखा गया. इसके अलावा दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारण चैनल डी.डी.वन पर द्वीप पर्यटन उत्सव पर बाइस मिनट की टी.वी.रिपोर्ट भी प्रसारित की गई.
इस बार पहली बार निकोबार में भी द्वीप पर्यटन उत्सव आयोजित किया गया. गौरतलब है कि निकोबार भारत का सबसे दूरस्थ क्षेत्र है और इंदिरा प्वाइंट भी यहीं पर स्थित है. जिला मुख्यालय कार निकोबार में निकोबार पर्यटन महोत्सव सात जनवरी से आरंभ होकर ग्यारह जनवरी तक चला. यहाँ भी पर्यटन उत्सव का उद्घाटन करने उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल भूपेन्द्र सिंह पहुंचे. विभिन्न विभागों के स्टॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों कि छटा के साथ-साथ निकोबारी संस्कृति को नजदीक से महसूस करने का अपना अलग ही लुत्फ़ है. वैसे भी अंडमान-निकोबार कि जनजातियों में अभी मात्र निकोबारी ही सभ्य हुए हैं, अन्य अभी भी आदिम अवस्था में ही हैं.