आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

शुक्रवार, सितंबर 30, 2011

अक्षिता की सिस्टर अपूर्वा 11 माह की


मेरी सिस्टर अपूर्वा (तन्वी) 27 अक्तूबर को पूरे 11 महीने की हो गई. अब तो वह घुटने के बल घर में खूब दौड़ लगाती है. ममा-पापा और मेरी ऊँगली पकड़कर भी दौड़ती है. मुझे तो विश्वास ही नहीं होता कि तन्वी इत्ती जल्दी से बड़ी हो गई. अपनी बोली में ढेर सारी बातें करती रहती है. अब तो लगता है जल्द ही अच्छे से सब कुछ समझने और बोलने लगेगी. अगले महीने तो उसका पहला हैपी बर्थ-डे है. मैं तो अभी से सोचकर बहुत खुश हूँ.
आप भी अपूर्वा (तन्वी) को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद दीजियेगा !!

शनिवार, सितंबर 24, 2011

चाचू का जन्मदिन आया..

आज मेरे चाचू का जन्मदिन है. चाचू का नाम श्री अमित कुमार है. उनका एक ब्लॉग भी है- युवा-मन. चाचू इलाहाबाद में रहकर सिविल-सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं. मैंने तो आज सबसे पहले चाचू को हैपी बर्थ-डे विश किया. चाचू तो बहुत प्यारे हैं. मेरे लिए खूब चाकलेट और बैलून भेजते रहते हैं. यह फोटो तब की है, जब मेरी सिस्टर तान्या पैदा हुई थी और चाचू मिलने आए थे.


चाचू के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यह परिचय पढ़ें-




अमित कुमार यादव : 24 सितम्बर, 1986 को तहबरपुर, आजमगढ़ (उ.प्र.) के एक प्रतिष्ठित परिवार में श्री राम शिव मूर्ति यादव एवं श्रीमती बिमला यादव के सुपुत्र-रूप में जन्म। आरंभिक शिक्षा बाल विद्या मंदिर, तहबरपुर-आजमगढ़, आदर्श जूनियर हाई स्कूल, तहबरपुर-आजमगढ़, राष्ट्रीय इंटर कालेज, तहबरपुर-आजमगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद वि.वि. से 2007में स्नातक और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) से 2010 में लोक प्रशासन में एम.ए.। फ़िलहाल अध्ययन के क्रम में इलाहाबाद और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी।

अध्ययन और लेखन अभिरुचियों में शामिल. सामाजिक-साहित्यिक-सामयिक विषयों पर लिखी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं पढने का शगल, फिर वह चाहे प्रिंटेड हो या अंतर्जाल पर। तमाम पत्र-पत्रिकाओं , पुस्तकों/संकलनों एवं वेब-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाओं और ब्लॉग पर रचनाएँ प्रकाशित। वर्ष 2005 में 'आउटलुक साप्ताहिक पाठक मंच' का इलाहाबाद में गठन और इसकी गतिविधियों के माध्यम से सक्रिय। जुलाई-2006 में प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका 'आउटलुक' द्वारा एक प्रतियोगिता में पुरस्कृत, जो कि शैक्षणिक गतिविधियों से परे जीवन का प्रथम पुरस्कार। ब्लागिंग में भी सक्रियता और सामुदायिक ब्लॉग "युवा-मन" (http://yuva-jagat.blogspot.com) के माडरेटर। 21 दिसंबर 2008 को आरंभ इस ब्लॉग पर 250 के करीब पोस्ट प्रकाशित और 101 से ज्यादा फालोवर।





(चित्र में : हिंदी भवन, दिल्ली में 'हिंदी साहित्य निकेतन', परिकल्पना डाट काम, और नुक्कड़ डाट काम द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन में उत्तरांचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक', वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामदरश मिश्र, डा. अशोक चक्रधर इत्यादि द्वारा मेरे लिए 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' सम्मान ग्रहण करते चाचू अमित कुमार यादव)

!! चाचू को जन्मदिन पर खूब बधाई और प्यार !! आप भी चाचू को शुभकामना दीजिएगा !!

गुरुवार, सितंबर 15, 2011

हिंदी तो मैं भी पढ़ रही हूँ...

आजकल तो जिधर देखो हिंदी-दिवस और पखवाड़े के बैनर ही टंगे नजर आते हैं. जब सुबह मैं स्कूल जाती हूँ तो बीच में कई जगह यह बैनर देखती हूँ. फिर पापा ने बताया कि सितम्बर का पूरा महीना ही हिंदी को लेकर कोई ना कोई कार्यक्रम होता रहता है. कोई 14 सितम्बर से पहले तो कोई बाद में हिंदी पखवाडा और सप्ताह मनाता है. पापा के कार्यालय में भी कल 14 सितम्बर को हिंदी-दिवस मनाया गया.

आजकल तो हमें भी स्कूल में टीचर जी हिंदी पढ़ा रही हैं. मैं भी हिंदी के ढेर सारे वाक्य सीख रही हूँ और कई सारी कवितायेँ भी. जल्द ही आप सभी को सुनाउंगी ...!!


यह स्क्रैप मुझे काफी अच्छा लगा, आप सब भी इसे देखिये..अच्छा लगेगा !!

मंगलवार, सितंबर 06, 2011

पाखी ने भी मनाया टीचर्स-डे

कल शिक्षक दिवस (Teachers day) था. इसे हमने भी अपने स्कूल में सेलिब्रेट किया. हमारी टीचर बहुत प्यारी हैं. रोज हमें नई-नई बातें बताती हैं और ढेर सारे खेल भी खिलाती हैं।
टीचर्स-डे के बारे में उन्होंने बताया कि यह डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिन पर मनाया जाता है. डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी एक अच्छे शिक्षक थे और बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने. उनके जीवन से जुडी और भी कई बातें टीचर जी ने बताईं।

उन्होंने कहा कि यदि हम बच्चे अच्छी तरह से पढाई करेंगें और बड़े होकर नाम कमाएंगे तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगेगा. टीचर्स डे पर हम लोगों ने टीचर जी को प्यारे-प्यार फूल, कार्ड्स और गिफ्ट देकर इस दिवस की बधाई दी और हम लोगों को चाकलेट भी खाने को मिली।




गुरुवार, सितंबर 01, 2011

गणेश जी का मोदक

आज तो गणेश-चतुर्थी है. गणेश भगवान जी तो मुझे बहुत प्रिय हैं. कित्ते सारे मोदक (लड्डू) खा जाते हैं. कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं. और हम बच्चे अगर ज्यादा मिठाई खाने लगें तो दांत से लेकर पेट तक ख़राब होने की बात.

..सोचिये गणेश जी को मोदक इत्ता प्रिय क्यों है ? गणेशजी को मोदक यानी लड्डू बहुत प्रिय हैं। इनके बिना गणेशजी की पूजा अधूरी ही मानी जाती है। यह सवाल मैंने ममा-पापा से पूछा और फिर गूगल सर्च द्वारा यह बात पता चली. तो चलिए आप भी जान लीजिए.

श्रीगणेशजी को मोदकप्रिय कहा जाता है। वे अपने एक हाथ में मोदक पूर्ण पात्र रखते है। मोदक को महाबुद्धि का प्रतीक बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार पार्वती देवी को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य मोदक दिया। मोदक देखकर दोनों बालक (स्कन्द तथा गणेश) माता से माँगने लगे। तब माता ने मोदक के प्रभावों का वर्णन कर कहा कि तुममें से जो धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करके आयेगा, उसी को मैं यह मोदक दूँगी। माता की ऐसी बात सुनकर स्कन्द ने मयूर पर बैठकर कुछ ही क्षणों में सब तीर्थों का स्नान कर लिया। इधर लम्बोदरधारी गणेशजी माता-पिता की परिक्रमा करके पिताजी के सम्मुख खड़े हो गये। तब पार्वतीजी ने कहा- समस्त तीर्थों में किया हुआ स्नान, सम्पूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान तथा सब प्रकार के व्रत, मन्त्र, योग और संयम का पालन- ये सभी साधन माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं हो सकते। इसलिये यह गणेश सैकड़ों पुत्रों और सैकड़ों गणों से भी बढ़कर है। अत: देवताओं का बनाया हुआ यह मोदक मैं गणेश को ही अर्पण करती हूँ। माता-पिता की भक्ति के कारण ही इसकी प्रत्येक यज्ञ में सबसे पहले पूजा होगी। तत्पश्चात् महादेवजी बोले- इस गणेश के ही अग्रपूजन से सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हों।

..तो चलिए हम सभी गणेश-चतुर्थी के इस त्यौहार को मोदक (लड्डू) खाकर इंजॉय करें और आप सभी का आशीर्वाद तो मुझे मिलेगा ही !!

(मोदक खाने का मन करे तो यहाँ जरुर जाइएगा...)