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बुधवार, फ़रवरी 27, 2013

नन्हीं ब्लागर अक्षिता ने बेटी बचाओ अभियान के लिए दी पाँच हजार रूपये की भेंट


(नन्हीं ब्लागर अक्षिता ने बेटी बचाओ अभियान के लिए दी हीरालाल यादव जी को पाँच हजार रूपये की भेंट)

(सर्वधर्म सद्भावना यात्रा के तहत बेटी बचाओ, वन बचाओ, भाईचारा बचाओ का सन्देश लेकर अरुणांचल प्रदेश से अमृतसर तक बिना सीट की साईकिल से यात्रा कर रहे हीरालाल यादव)

मंगलवार, फ़रवरी 26, 2013

बिना सीट की साईकिल का जज्बा : बेटी बचाओ, वन बचाओ, भाईचारा बचाओ का सन्देश

सायकिल चलाना हम सभी को अच्छा लगता है। पर बिना सीट की साईकिल चलाना मुश्किल ही नहीं असंभव लगता है। पर इसे सच कर दिखाया है हीरा लाल यादव जी ने। एक दिन में तो कई बार वह 100 किलोमीटर तक साईकिल चलते हैं।
उद्देश्य है-लोगों को जागरूक करना। इस बार उन्होंने अपनी यात्रा आरंभ की अरुणांचल प्रदेश से अमृतसर तक। इलाहबाद पहुंचे तो हमारे घर भी मिलने आए। इससे पहले वह अंडमान में भी हमसे मिल चुके हैं।  
सर्वधर्म सद्भावना यात्रा के तहत बेटी बचाओ, वन बचाओ, भाईचारा बचाओ का सन्देश लेकर अमृतसर तक बिना सीट की साईकिल से यात्रा कर रहे हीरालाल यादव अंकल जी के जज्बे को मैं सलाम करती हूँ। उनके इस अभियान के लिए मैंने 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' के तहत प्राप्त राशि में से पाँच हजार रूपये भी भेंट किये।

शनिवार, फ़रवरी 09, 2013

संगम-तट पर अपूर्वा का कुम्भ

 संगम-तट पर अपूर्वा खूब मस्ती कर रही हैं। देखिये इनकी शरारतें, जो कि तस्वीरों में कैद हो गई हैं।






कुम्भ पर्व के दौरान इस मौनी अमावस्या पर शनि और राहु जैसे ग्रहों की अद्भुत जुगलबंदी देखने को मिल रही है, जो श्रधालुओं को अमृत की प्राप्ति करायेंगें। ऐसा संयोग 147वर्ष बाद बन रहा है। संगम तट पर इस पुण्य बेला में स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं। कईयों के लिए तो यह जीवन का अंतिम कुम्भ भी साबित होगा। वाकई इस समय कुम्भ-नगरी की छटा देखते ही बन रही है।
(पापा के फेसबुक से )

शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2013

अब 'डाक-टिकट' पर अक्षिता


आपको डाक-टिकट अच्छे लगते हैं। मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं। पिछले दिनों इलाहाबाद में डाक-टिकट प्रदर्शनी लगी तो मैंने भी 'माई स्टैम्प' का फायदा उठाया और डाक-टिकट पर मेरी भी फोटो अंकित हो गई।

(इस सम्बन्ध में विशेष जानकारी के लिए पापा का यह आलेख पढ़ें, फिर आपकी फोटो भी डाक-टिकट पर-

भारतीय डाक विभाग डाक-टिकटों के क्षेत्र में नित नए और अनूठे प्रयोग कर रहा है. पिछले वर्षों में जहाँ चन्दन, गुलाब व जूही की सुगंध से सुवासित खुशबूदार डाक-टिकट और हालमार्क के साथ मिलकर सोने के डाक टिकट जारी किये गए, वहीँ अब 'माई स्टांप' या 'पर्सनालाईजड स्टैम्प' के साथ डाक-टिकट पर कोई व्यक्ति अपनी भी तस्वीर लगा सकता है. फ़िलहाल ये 17 से ज्यादा डाक-टिकटों के साथ उपलब्ध हैं. इनमें ताजमहल, पंचतंत्र, एयरो फ्लाईट, स्टीम इंजन, विभिन्न तरह के फूल एवं वाइल्ड लाइफ डाक-टिकटों के साथ 12 राशियों के डाक टिकट भी उपलब्ध हैं.
 दुनिया के कई देशों में 'माई स्टाम्प' सुविधा पहले से ही लागू है, पर भारत में पहली बार इसे विभाग द्वारा वर्ष 2000 में कोलकाता में 'इंदिपेक्स एशियाना' के आयोजन के दौरान जारी किया गया था. पर उस समय यह उतनी लोकप्रिय न हो सकी. पिछले वर्ष नई दिल्ली में विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी (12-18 फरवरी 2011 ) के आयोजन के दौरान इसे पुन: लांच किया गया और लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया. नतीजन देखते ही देखते हजारों लोगों ने डाक टिकटों के साथ अपनी तस्वीर लगाकर इसका लुत्फ़ उठाया. उत्तर प्रदेश में 17 -19 दिसंबर, 2011 के दौरान लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी में इसे जारी किया गया। इसके बाद इसे आगरा और हाल ही में 13-14 जनवरी 2013 को कुम्भ के दौरान इलाहाबाद में जारी किया गया। इस सु-अवसर का फायदा हमने भी उठाया और अपने पूरे परिवार को ही माई स्टैम्प के तहत डाक-टिकटों पर ला दिया।

आपकी जानकारी हेतु बता दूं कि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए अपने शहर में स्थित फिलाटेलिक ब्यूरो में पंजीकरण कराना होता है. एक फार्म भरकर उसके साथ अपनी फोटो और 300 /-जमा करने होते हैं. एक शीट में कुल 12 डाक-टिकटों के साथ फोटो लगाई जा सकती है. इसके लिए आप अपनी अच्छी तस्वीर डाक विभाग को दे सकते हैं, जो उसे स्कैन करके आपका खूबसूरत 'माई स्टांप' बना देगा. यदि कोई तत्काल भी फोटो खिंचवाना चाहे तो उसके लिए भी प्रबंध किया गया है. 'माई स्टैम्प' को ही 'पर्सनालाईजड स्टैम्प' भी कहा जाता है. इस पर सिर्फ जीवित व्यक्तियों की ही तस्वीर लगाई जा सकती है. सम्बंधित व्यक्ति को फिलाटेलिक ब्यूरो में व्यक्तिगत रूप से जाना पड़ता है, यदि किसी कारणवश न जा सके तो सम्बंधित संदेशवाहक से अपना फोटो युक्त परिचय पत्र भेजना पड़ता है.

तो अब देर किस बात की, किसी को उपहार देने का इससे नायब तरीका शायद ही हो. इसके लिए जेब भी ज्यादा नहीं ढीली करनी पड़ेगी, मात्र 300 रूपये में 12 डाक-टिकटों के साथ आपकी खूबसूरत तस्वीर. अब आप इसे चाहें अपने परिवारजनों को दें, मित्रों को या फिर अपने प्रेमी-प्रेमिका को. डाक-टिकट पर आप अपनों की तस्वीर भी छपवा कर उसे भेज सकते हैं. मतलब, आप किसी से बेशुमार प्यार करते हैं, तो इस प्यार को बेशुमार दिखाने का भी मौका है. पांच रुपए के डाक-टिकट, जिस पर आपकी तस्वीर होगी, वह देशभर में कहीं भी भेजी जा सकती है.

'माई स्टाम्प' पर सिर्फ आप अपनी तस्वीर ही नहीं देखते, बल्कि वक़्त की नजाकत के अनुसार इसे विभिन्न डाक-टिकटों के साथ देख सकते हैं. मसलन, प्रेम को दर्शाने के लिए ताजमहल, बच्चों के लिए रंग-बिरंगे फूल और पञ्चतंत्र, एडवेंचर के लिए वाइल्ड लाइफ से जुड़ा डाक टिकट या फिर एयरो फ्लाईट और स्टीम इंजन. यही नहीं अपनी राशि के अनुरूप भी डाक-टिकट पसंद कर उस पर अपनी फोटो लगवा सकते हैं !!
  
                    ( माई स्टैम्प के तहत सिनेरेरिया (Cineraria) फूल के साथ अपूर्वा की तस्वीर)

मंगलवार, फ़रवरी 05, 2013

डाक-टिकटों की खूबसूरत दुनिया में अक्षिता


पिछले दिनों (13-14 जनवरी 2013) इलाहाबाद में 'डाक- टिकट प्रदर्शनी' (Philatelic Exhibition) का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के महात्मा गाँधी कला वीथिका में हुआ तो मैं भी ममा-पापा के साथ देखने पहुँची। वाह, वहां तो ढेर सारे रंग-बिरंगे डाक टिकट लगे हुए थे। कहीं गाँधी जी पर जारी डाक टिकटों की सीरीज थी तो कहीं इलाहाबाद और आस-पास से जुड़े विषयों और लोगों पर जारी डाक टिकटें प्रदर्शित की गई थीं।
 
इस प्रदर्शनी में फिलेटलिस्टों द्वारा तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगायी गयी। कुल 59 फ्रेमों में हजारों की संख्या में डाक-टिकट प्रदर्शित किए गये। इनमें इलाहाबाद से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट, डाक-टिकटों के माध्यम से सिनेमा के 100 वर्ष,राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, रविंद्रनाथ टैगोर,नेहरु परिवार पर जारी डाक टिकट, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर जारी डाक टिकट, मस्जिदों पर जारी डाक-टिकट से लेकर से लेकर जैव विविधता, रोटरी,अग्निशमन, रेड क्रास और एड्स, मलेरिया इत्यादि के विरूद्ध जागरूक करते तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट प्रदर्शित किये गये।
 
 
इनमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों द्वारा जारी दुर्लभ डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी भी शामिल थे। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शनी देखने के बाद तो यही लगा कि हर डाक टिकट की अपनी एक कहानी है और इसे समझने की जरुरत है !!