कल मैंने आपको बताया था कि दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान अख़बार में 'ब्लॉग की क्रिएटिव दुनिया' के तहत भारत मल्होत्रा अंकल ने बच्चों से जुड़े ब्लॉगस की चर्चा की है. इस चर्चा को तो आप सभी लोगों ने पसंद ही किया. पर पापा के दिल्ली में पोस्टेड एक मित्र ने जब यह पढ़ा तो अचरज में पड़ गए. वे मेरे नाम से तो परिचित हैं, पर मेरे ब्लॉग से नहीं. फिर उन अंकल जी ने ही यह बताया कि 'पाखी की दुनिया' का जिक्र तो उन्होंने अन्यत्र भी पढ़ा है. इसके बाद उन अंकल जी ने इसे ढूंढने के लिए मेहनत आरंभ कर दी और 'पाखी की दुनिया' की चर्चा मिली 'शुक्रवार' पत्रिका के 31 जुलाई-6 अगस्त अंक में. इसमें 'चर्चित चेहरे' के तहत 'पाखी की दुनिया' का जिक्र किया गया है. और हाँ, ब्लॉग के साथ-साथ मेरे जन्म-दिन, ममा-पापा और स्कूल के बारे में भी बताया गया है. अब तो चर्चा के फायदे भी पता चल गए. आप भी पढ़िए ना और बताइयेगा कि अपनी नन्हीं पाखी के बारे में पढ़कर आपको कैसा लगा-
(पढने में सुविधा के लिए पूरी रिपोर्ट को हू-ब-हू यहाँ पढ़ सकते हैं- प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं, बशर्तें उसे अनुकूल वातावरण मिले। ऐसे ही वातावरण में पली-बसी अक्षिता (पाखी) को वर्ष 2010 की श्रेष्ठ नन्हीं ब्लॉगर का खिताब मिला है। अक्षिता का 'पाखी की दुनिया' http://pakhi-akshita.blogspot.com/ नाम से ब्लॉग है। 25 मार्च, 2007 को कानपुर में जन्मी अक्षिता वर्तमान में कार्मेल स्कूल, पोर्टब्लेयर में नर्सरी में पढ़ती हैं। अक्षिता के पिता कृष्ण कुमार यादव अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक, डाक सेवा पद पर पदस्थ हैं और मम्मी आकांक्षा यादव उप्र के एक कालेज में प्रवक्ता हैं। दोनों ही चर्चित साहित्यकार व सक्रिय ब्लॉगर भी हैं। अक्षिता की रूचि ड्राइंग में भी है. पहले तो उसके मम्मी-पापा ने उसकी ड्राइंग पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में उन्होंने इन चित्रों को ब्लॉग के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की.)
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंmaine kal kahaa thaa.. har taraph teraa jalwaa he..
जवाब देंहटाएं@ Mayank Dada ji,
जवाब देंहटाएं@ Ranjan Uncle,
Thanks a lot. अपना आशीष यूँ ही बनाये रहें.
यह तो हमने भी पढ़ा था पाखी...ढेरों शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंपाखी बेटू, आपको उस अंक की प्रति भी डाक से भिजवा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंहर तरफ पाखी की चर्चा...मिठाई खिलाओ जल्दी से.
जवाब देंहटाएंbahut khub ....
जवाब देंहटाएंpaakhi ki charcha to sab jagah hai....
DHER SAARI KHUSHIYAAN MILE TUMHEIN.....
जवाब देंहटाएंbahut khub ....
जवाब देंहटाएंpaakhi ki charcha to sab jagah hai....
Pakhi
जवाब देंहटाएंKal bhi tumhara blog dekha aaj bhi yeh hobby aacha hai.Khub tarrakki karo aur padhai me bhi aage- raho.Hamari shubhkamhai aur Aashirwad tumharey sssth hai.
अच्छा लगता है,जब पाखी जैसी कोई गुड़िया,गंभीर शब्दों के अर्थ भी समझती है और बधाइयाँ भी देती है, पढूंगा तुम्हे(!) भी.फिलहाल अगर मेरी ब्लॉग फाल्लोवर बन जाओ तो अच्छा लगे ....
जवाब देंहटाएंइतनी बड़ी बड़ी सुन्दर सुन्दर आँखों वाली बिटिया की चर्चा कैसे नहीं होगी भला :)
जवाब देंहटाएंपाखी द ग्रेट :)
जवाब देंहटाएंनन्ही सी पाखी को बहुत बहुत शुभकामनाऎँ!!
वाह वाह पाखी जी।
जवाब देंहटाएंbadhai ho pakhi aapko.
जवाब देंहटाएं----------------------------------------
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई बढ़िया-बढ़िया!
----------------------------------------
अरे वाह ! बहुत अच्छे समाचार दिए .......बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंनन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
Great hai Pakhi...hardik badhaaee...
जवाब देंहटाएंतुम तो हो ही स्टार ब्लॉगर हमारी...सुपर स्टार...आखिर तुम्हारे अंकल भी तो सबसे अच्छे वाले हैं.. :)
जवाब देंहटाएंवाह !!बधाई...पाखी जो ठहरी...हर जगह पहुँच जाओगी......आशिर्वाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात सुनाई
जवाब देंहटाएंबधाई हो !
बहुत अच्छे समाचार दिए .......बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार-महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत प्यारा ब्लॉग है, बिलकुल पाखी की तरह.
जवाब देंहटाएंप्रिय पाखी,
जवाब देंहटाएंहमारे एक मित्र जो प्रिंसिपल रहे हैं और अब स्कूल मेनेजर हैं;अपने स्कूल में बच्चों को को एक प्रेरक प्रसंग सुनाया करते हैं,उन्हीं श्री राजेन्द्र मोहन शेरी की जुबानी सुनी कहानी तुम्हे भी भेज रहे हैं-
डेड़ दोस्त-
श्याम प्रसाद एक बैंक में बड़े अधिकारी हैं.वह कम से मतलब रखते हैं और सीधे घर आते है.क्लब सिनेमा वगैरह उन्हें नहीं पसंद.उनका एकलौता और लाडला बेटा दामोदर उनसे अलग स्वभाव का है.उसके पास दोस्तों की भारी फ़ौज है और मौज मस्ती से उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है.श्याम प्रसाद को यह सब पसंद नहीं है.उनकी पत्नी सीमा भी पुत्र को असीमित प्यार करती हैं जिस कारन दामोदर और भी बेफिक्र रहता है.श्याम प्रसाद जानते हैं कि यह दोस्ती नहीं छलावा है और उनका पुत्र अपना भविष्य बिगड़ रहा है.अब दामोदर B A कर रहा है फिर उसे आत्मनिर्भर भी होना है.उसे उसके दोस्तों की असलियत समझाना ज़रूरी हो गया है.श्याम प्रसाद ने दामोदर से जब बात की तो वह बिफर गया बोला पापा आप का कोई दोस्त नहीं है आप को किसी कि मदद नहीं मिलेगी जबकि मैं पलक झपकते अपने सभी दोस्तों को खड़ा कर सकता हूँ.श्याम प्रसाद ने एक दिन रात के बारह बजे दामोदर से कहा मेरे डेड़ दोस्त हैं आओ आज तुम्हें उनसे मिलवा दें -चलो.श्याम प्रसाद और दामोदर आधी रात को एक मकान पर पहुंचे बेल दबाने पर अन्दर से पूछा गया कौन और जवाब में श्याम प्रसाद कहने पर सत्येन्द्र एक हाथ में छुरा और रुपयों कि पोटली लेकर बाहर आये और बोले श्याम इतनी रात में दो ही बातें हो सकती हैं अगर रुपया लेने आये हो तो यह पोटली ले लो और जान लेने आये हो तो लो यह छुरा और अभी जान ले लो.धन्यवाद कह कर श्याम प्रसाद दामोदर को लेकर चल दिए और बोले बेटा यह मेरा एक दोस्त है और अब आधे से मिलवाता हूँ.श्याम और दामोदर अब पहलवान सिंह के यहाँ पहुंचे और आवाज़ दी.पहलवान सिंह सौ-सौ के नोटों कि एक गड्डी ले कर बाहर आये और बोले भई श्याम यह रूपये लेलो और जाओ अगर जान लेना चाहते हो तो वह इतनी सस्ती नहीं है.श्याम प्रसाद ने शुक्रिया कहा और बेटे का हाथ पकड़ कर वापिस चल दिए;बोले मैंने तुम्हे अपने डेड़ दोस्तों से मिलवा दिया अब तुम भी अपने दोस्तों से मिलवाओ.दामोदर अपने दोस्तों राजू,टोनी,सोनी,पिंटू,मिंटू,रोहित,गौरव,सौरभ,राकेश,प्रकाश अदि के यहाँ पापा को ले गया और उन से सौ रु.कि गुजारिश की.उनमे से किसी ने भी दरवाज़ा नहीं खोला और इतनी रात में आने के लिए फटकार और लगायी.श्याम प्रसाद ने दामोदर को समझाया बेटे-मेरे तो डेड़ दोस्त हैं और तुम्हारा कोई दोस्त ही नहीं है.अब दामोदर की आँखें खुल चुकीं है और वो समझ गया है.नादान की दोस्ती और जी के जंजाल को वह खुद अब सब बच्चों को समझाता फिरता है कि पैसा खर्च कर के दोस्ती नहीं बनती है.दोस्ती तो दो दोलों को जोड़ने का नाम है और जिससे दिल जुड़ जाए वही सच्चा दोस्त है.
पाखी पाखी मन करे
जवाब देंहटाएंपाखी है चित चोर
आगे भी होगी तेरी
चर्चा चारों ओर
चर्चा चारों ओर
कह रहे यशवंत अंकल
ऐसे ही चहकती रहना
पाखी फुदक फुदक कर.
हर तरफ पाखी की चर्चा...मिठाई खिलाओ जल्दी से
जवाब देंहटाएंवाह! पाखी क्या बात है! आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंAkshita (Pakhi) ko bahut bahut aasheesh.
जवाब देंहटाएंlekin ek prashn hai aakaankshaa jee se jise vo paakhee ka blog bataatee hai usmai paakhe ka kya yogdaan hai vo har post par likhaa hona chahiye yadi nahee to jis praaroop mai paakhee bankar aap likhtee hai vo paakhee ke soch nahee paakhe bankar aapkee soch hai
jo bhee patrikaa binaa samjhe paakhee ( jo baastav mai aap dono se bhee pratibhaashaalee hogee yah meraa vishwaas hai ) ka vastvik moolyaankan kar rahe hai mujhe ismai dandeh hai.
ek bar phir paakhee bitiyaa ko angin shubhaasheesh. bahut din se ye baat man mai aatee rahee hai. aapko ruchikar naa lage to ise hataa saktee hai
Bahut bahut badhaai .... hmaari shubhkaamnaayen bhi ...
जवाब देंहटाएंपाखी बहुत बहुत बधाई, आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंपाखी का ब्लॉग मनभावन है ,बधाई
जवाब देंहटाएं@ अमित चाचू,
जवाब देंहटाएंThanks alot.जल्दी भेजिएगा..इंतजार करूँगीं.
@ समीर अंकल जी,
जवाब देंहटाएंसबसे अच्छे वाले अंकल जी का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहेगा, तो फिर मजे ही मजे हैं...
@ Archana Aunty,
जवाब देंहटाएं...तभी तो फुदक-फुदक करती रहती हूँ.
@ Vijai Mathur Uncle,
जवाब देंहटाएंयह तो बड़ी अच्छी कहानी है और सीख भी देती है.
@ यशवंत माथुर अंकल,
जवाब देंहटाएंआपने तो प्यारी सी कविता ही रच डाली...अच्छी लगी. ...तभी तो फुदक-फुदक करती रहती हूँ.
@ महफूज अंकल,
जवाब देंहटाएंजल्दी से अंडमान आ जाओ आप मिठाई खाने के लिए...
@ HP Sharma uncle,
जवाब देंहटाएंThanks a lot for ur kind wishes.
इस ब्लॉग पर तो मेरी ही बातें हैं. मैं ड्राइंग बनाती हूँ, अब तो फोटो भी लोड कर लेती हूँ (कई बार मम्मा-पापा के ब्लॉग पर भी), फोटो खींच भी लेती हूँ, प्रिंट-आउट निकालना जानती हूँ, कई बार मम्मा-पापा के साथ बैठकर कुछ बक-बक करती हूँ और वह प्यारी सी कविता भी बन जाती है. इस ब्लॉग पर मैं जहाँ भी घूमने जाती हूँ, स्कूल के बारे में ....ये सब बातें वो हैं जो मैं मम्मा-पापा के साथ शेयर करती हूँ और उन्हें अपने इस ब्लॉग पर उनसे ही पोस्ट भी करवाती हूँ. जब खूब लिखना सीख जाउंगी तो फिर किसी की मदद की जरुरत नहीं. वैसे मैंने अपना अलग से लैपटॉप भी ले लिया है, कित्ती सारे चीजें देखती रहती हूँ.
आप सभी के प्यार और आशीर्वाद के लिए ढेरों प्यार और आभार.
जवाब देंहटाएंअरे यहाँ तो पाखी की चर्चा खूब विस्तार से की गई है...जलवे हैं पाखी बिटिया के.
जवाब देंहटाएंजानकर अच्छा लगा कि अब आप काफी कार्य खुद कर लेती हो...आज की पीढ़ी वाकई बहुत फास्ट है..शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआजकल के बच्चे काफी स्मार्ट हो गए हैं...चर्चा की बधाइयाँ और प्यार.
जवाब देंहटाएंपाखी, आपकी यह चर्चा हमने भी शुक्रवार में पढ़ी थी..मुबारकवाद.
जवाब देंहटाएंपाखी रे तु तो फेमस हो गयी यार (तु के लिये माफी पर क्या करू सच मे जब मॆने देखा तो अपने आप यही बात निकल गयी)...आज मुझॆ बोसा चाहिये...बता दे रहा हू पहले से ही..
जवाब देंहटाएंहर तरफ पाखी ही पाखी ...बधाई.
जवाब देंहटाएंयशवंत माथुर अंकल ने तो पाखी के लिए प्यारी सी कविता भी लिख दी.
जवाब देंहटाएंखूब बधाई...खिलाओ मिठाई.
जवाब देंहटाएंपाखी, आपके बारे में कानपुर से प्रकाशित बाल साहित्य समीक्षा और देहरादून के नवोदित स्वर में भी पढ़ा ...बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह, अंकल जी की मेहनत तो रंग लाई पर कहाँ है मिठाई.
जवाब देंहटाएं---क्या बाकई नर्सरी की छात्रा पाखी- बच्ची ही यह पोस्ट लिखती है--या कोई ओर उसके नाम पर---क्या नर्सरी की बच्ची यह सब लिख सकती है या बस ब्लोग का दुरुपयोग है।
जवाब देंहटाएं