शुक्रवार, अप्रैल 23, 2010

पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को

अब मैं नियमित रूप से स्कूल जाने लगी हूँ। स्कूल जाती हूँ तो नई-नई बातें भी पता चलती हैं. रोज मनाये जाने वाले तमाम दिवसों के बारे में भी जानकारी मिलती है. कल टीचर ने 'विश्व पृथ्वी दिवस' के बारे में बताया था, आज ' विश्व पुस्तक दिवस' के बारे में जानकारी दी.

मुझे तो अपनी पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है। कभी राइम, कभी ड्राइंग...कित्ता मजा आता है. मैं अपनी पुस्तकें खूब अच्छे से रखती हूँ, नहीं तो पुरानी और गन्दी नहीं हो जायेंगीं. हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते हैं पर उनके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे ही नहीं.

जब मैं कानपुर से अंडमान आ रही थी तो वहाँ एक अनाथालय में गई थी। इन सभी के मम्मी-पापा नहीं थे। कुछ तो पढ़ना चाहते हैं, पर कोई मदद करने वाला नहीं। फिर मैंने उनके लिए कुछ किताबें खरीदीं और साथ में अपनी तमाम पुरानी पुस्तकों को भी लेकर उन सभी को दे दिया. उस दिन वे बहुत खुश हुए.

आज विश्व पुस्तक दिवस है..आप भी कुछ ऐसा ही कीजिये ताकि हर बच्चा पढ़ सके. अपने घर में पुरानी हो चुकी पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय उन लोगों तक पहुँचा दीजिये, जिन्हें वाकई इसकी जरुरत है।
और चलते-चलते "विश्व पुस्तक दिवस" पर यह कविता। इसे मेरे पापा ने लिखा है.....
प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक
ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक
कला-संस्कृति, लोकजीवन की
कहती है कहानी पुस्तक।

अच्छी-अच्छी बात बताती
संस्कारों का पाठ पढ़ाती
मान और सम्मान बड़ों का
सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।

सीधी-सच्ची राह दिखाती
ज्ञान पथ पर है ले जाती
कर्म और कर्तव्य हमारे
सद्गुण हमें सिखाती पुस्तक।
( इस पोस्ट की चर्चा झिलमिल करते सजे सितारे (चर्चा मंच-131) के अंतर्गत भी देखें )

47 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर व सार्थक sandesh दिया पाखी ने..आपको ढेर सारा प्यार व आशीष.

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  2. ..आपके पापा का बाल गीत भी बहुत प्यारा लगा.

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  3. बिलकुल सही कहा आपने। पुस्तकों को नहीं बेचना चाहिए रद्दी में। किसी के काम आ सकती हैं। मैं तो अपनी बड़ी बहन की पुस्तकें पढ़-पढ़ कर शिक्षा प्राप्त की।
    और जब नौकरी में आया तो एक पुस्तकालय को दे दिया।
    आपके ख़्यालत कितने अच्छे हैं!
    शुभकामनाएं!

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  4. शाबाश पाखी! होनहार विरवान के होत हैँ चिकने पात ।

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  5. पाखी बिटिया ने तो बहुत ज्ञान की बात बताई. विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनायें !!

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  6. अच्छी-अच्छी बात बताती
    संस्कारों का पाठ पढ़ाती
    मान और सम्मान बड़ों का
    सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।

    ....बहुत सुन्दर बाल गीत..बधाई.

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  7. ...और हाँ अब मैं भी ऐसा ही करूँगा. अपनी पुरानी किताबें किसी जरूरतमंद को दे दूंगा.

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  8. अले वह अक्षिता, पुस्तक दिवस के बारे में एकदम नई जानकारी. इसके बारे में तो बहुतों को पता नहीं. इस जानकारी के लिए आभार. और आपका आइडिया तो बड़ा प्यारा है..खूब उन्नति करो.

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  9. अरे पाखी कितनी समझदार हो गई है. अभी से बड़ी-बड़ी बातें सोचती है. ढेर सारा आशीष व स्नेह.

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  10. नई-नवेली जानकारी और उस पर से ये प्यारा गीत...गुनगुनाने का मन कर रहा है.

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  11. बहुत खूब पाखी, कल पृथ्वी दिवस और आज पुस्तक दिवस...दिवसों का पर्व चल रहा है. बधाई.

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  12. होनहार विरवान के होत हैँ चिकने पात. अद्भुत कल्पनाशीलता है पाखी आपके पास. बहुत आगे जाओगी...आशीष.

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  13. पाखी जी, आपकी बात तो एकदम सही है. मुझे तो पुस्तकें पढना भी बहुत अच्छा लगता है. इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आपको मेरी तरफ से एक चाकलेट.

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  14. मन प्रफुल्लित हो गया पाखी की बात सुनकर. काश ऐसा ही हर कोई सोचता...

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  15. प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक
    ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक
    कला-संस्कृति, लोकजीवन की
    कहती है कहानी पुस्तक।

    ++++++++बहुत सुन्दर बात.पुस्तक दिवस की शुभकामनायें.

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  16. पाखी ने तो हम सभी को पुस्तक दिवस पर सुन्दर राह दिखाई...बहुत उम्दा विचार हैं.

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  17. बेहतरीन पोस्ट पाखी. पुस्तकों के प्रति प्रेम ही किसी समाज को सभ्य व सांस्कारिक बनाता है.आपके उत्तम विचारों से काफी लोग लाभान्वित होंगे.

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  18. @ मनोज कुमार Uncle ji,

    आपने तो बहुत अच्छा उदारहण प्रस्तुत किया..इससे लोगों को भी सीख लेनी चाहिए.

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  19. @ जयकृष्ण राय तुषार Uncle ji,

    बस आप लोगों का प्यार और आशीष है.

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  20. @ Ratnesh Uncle ji,

    तब कितना अच्छा लगेगा...

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  21. @ Rashmi singh Aunty,

    मुझे भी तो आज ही पता चला.

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  22. अरे पाखी कितनी समझदार हो गई है

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  23. क्या आईडिया है पाखी
    आईडिया कंपनी को पता चला तो इस पर एड फिल्म बना देंगे
    अच्छा विचार

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  24. आज विश्व पुस्तक दिवस है..आप भी कुछ ऐसा ही कीजिये ताकि हर बच्चा पढ़ सके. अपने घर में पुरानी हो चुकी पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय उन लोगों तक पहुँचा दीजिये, जिन्हें वाकई इसकी जरुरत है। ...बहुत सुन्दर बात.

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  25. बहुत प्यारा सन्देश.

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  26. सुन्दर विचार के साथ अति उत्तम सन्देश! बहुत अच्छा लगा पाखी! बाल गीत बिल्कुल तुम्हारे जैसी प्यारी है!

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  27. बेनामी24 अप्रैल, 2010

    bilkul samajhdaari ki baat ki hai pakhi tumne...
    bahut achhe.....

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  28. बेनामी24 अप्रैल, 2010

    aur haan mere blog par aana na bhulna...
    http://i555.blogspot.com/

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  29. very good idea dear..........
    pakhi meri thodi help karogi, actually main aapki mummy ke blog jagranjuction par padti thi par ab unke blog ka naam bhul gai kya aap mujhe mail karke bata sakti ho plzzzz.........

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  30. बहुत सुन्दर विचार....पुस्तकें कभी भी बेचनी नहीं चाहिए....और वो भी रद्दी में? ज़रूरतमंदों को दे कर तुमने बहुत सराहनीय काम किया है...बधाई...पापा की कविता भी बहुत अच्छी लगी....मेरी ओर से अपने पापा को बधाई देना

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  31. उपयोगी और प्रेरक होने के कारण
    चर्चा मंच पर

    झिलमिल करते सजे सितारे!

    शीर्षक के अंतर्गत
    इस पोस्ट की चर्चा की गई है!

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  32. बहुत अच्छा संदेश दिया है हमारी बिटिया रानी ने. कितनी समझदार हो गई है, शाबाश!

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  33. अक्षर अजर अमर हैं . जहाँ अंकित हैँ , वह पवित्र है । विक्रय का कोई औचित्य नहीं ।
    प्रशंसनीय ।

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  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  35. अच्छी-अच्छी बात बताती
    संस्कारों का पाठ पढ़ाती
    मान और सम्मान बड़ों का
    सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।

    बहुत ही उत्तम पाखी ,

    बहुत बहुत आभार I

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  36. @ Soni Garg Aunty,

    http://shabdshikhar.jagranjunction.com/

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  37. @ माधव,

    ये तो खूब रही ..है ना.

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  38. आप सभी के प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद. अपना प्यार व आशीर्वाद यूँ ही बनाये रहें !!

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  39. पाखी क्या धांसू आइडिया दिया है आपने...मान गए आपके परिवार, संस्कारों, विचारों, परिवेश और कल्पनाशीलता को...ढेर सारा आशीर्वाद !!

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  40. बेनामी27 अप्रैल, 2010

    मुझे भी पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आभार.

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  41. बेनामी27 अप्रैल, 2010

    ....बहुत सुन्दर है पापा का बाल गीत..बधाई.

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